December 15, 2024
संभल शिव मंदिर की कहानी क्या है... 46 साल पहले क्यों बंद हुई थी पूजा और अब कैसे शुरू हुई

संभल शिव मंदिर की कहानी क्या है… 46 साल पहले क्यों बंद हुई थी पूजा और अब कैसे शुरू हुई​

Sambhal Shiva Temple Story: संभल के मोहल्ला दीपा सराय से सटे खग्गू सराय में लगभग 46 साल से बंद पड़े एक पुराने शिव मंदिर को प्रशासन ने शनिवार को खुलवाया था. जानिए इस मामले की पूरी कहानी...

Sambhal Shiva Temple Story: संभल के मोहल्ला दीपा सराय से सटे खग्गू सराय में लगभग 46 साल से बंद पड़े एक पुराने शिव मंदिर को प्रशासन ने शनिवार को खुलवाया था. जानिए इस मामले की पूरी कहानी…

Sambhal Shiva Temple Story: संभल के दीपा सराय में मिले शिव मंदिर में आज सुबह की पहली आरती की गई. मंदिर में भक्तों ने भगवान शिव की आरती करने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ किया. मंदिर में 46 साल के बाद सुबह की पहली आरती हुई है.

आखिर क्या हुआ था 46 साल पहले?

29 मार्च 1978 को याद करते ही संभल का हर इंसान सहम जाता है. आरोप है कि डिग्री कॉलेज में सदस्यता न मिलने पर मंजर शफी ने खौफनाक साजिश रची और साथियों संग मिलकर जिले को दंगे की आग में झोंक दिया. 10-12 हिंदुओं को जान गंवानी पड़ी. दो माह तक जिले में कर्फ्यू लगा रहा. 169 केस दर्ज हुए. बाद में खुफिया विभाग ने दंग पर एक गोपनीय रिपोर्ट तैयार की.

क्या था गोपनीय रिपोर्ट में

इस रिपोर्ट के अनुसार साल 1978 में संभल नगरपालिका कार्यालय के पास महात्मा गांधी मेमोरियल डिग्री कॉलेज था. उसके संविधान के अनुसार प्रबंध समिति 10 हजार रुपये दान लेकर संस्था का आजीवन सदस्य बना सकती थी. मंजर शफी कॉलेज प्रबंध समिति में आजीवन सदस्य बनना चाहते थे. इस बीच ट्रक यूनियन की तरफ से कॉलेज को 10 हजार का रुपये का चेक दिया गया. इस पर मंजर शफी के साइन थे. शफी के दावे पर ट्रक यूनियन के पदाधिकारियों ने ये लिखकर दे दिया कि उनकी ओर से किसी को इसके लिए अधिकृत नहीं किया गया है. इस पर कॉलेज की प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष (जो उस समय एसडीएम के पद भी जिले में तैनात थे) ने शफी को सदस्य नहीं बनाया. इसके बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ.

ऐसे शुरू हुआ दंगा

25 मार्च को होली के समय दो स्थानों पर दोनों संप्रदायों में तनाव फैल गया. एक होली जलने के स्थान पर खोखा बना लिया गया तो दूसरी जगह चबूतरा बना लिया गया. फिर किसी तरह बातचीत कर मामला संभला. फिर 28 मार्च को कॉलेज में स्टूडेंट्स को उपाधि दी जानी थी. उसी दिन कुछ मुस्लिम छात्राएं प्राचार्य से मिलीं और उपाधियों को आपत्तिजनक बताया. मामला बढ़ा तो फिर 29 मार्च को घेराव हुआ और इसमें अराजक तत्व शामिल हो गए. आरोप है कि मंजर शफी भी पहुंचे. अचानक दुकानें बंद कराई जाने लगीं. अफवाह फैली कि मंजर शफी को मार दिया गया है. मस्जिद तोड़ी जा रही है और फिर दंगा फैल गया.

अब तक 16 बार संभल में हुए दंगे

1947 में संभल के इतिहास में पहली बार दंगा हुआ. जगपाल शरण नाम के आढ़ती की हत्या के बाद दंगा शुरू हुआ था.1953 में शिया-सुन्नी के बीच संघर्ष हुआ और इसने दंगे का रूप ले लिया. इसमें कई लोग मारे गए थे.1955, 1956, 1966 में भी संभल में दंगे हुए. इसके बाद 1976, 1978, 1980, 1982, 1986, 1990, 1992, 1993, 2001, 2019 और 24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद सर्वे को लेकर दंगा हुआ.

कैसे पता चला मंदिर का?

दंगे के कारण इस मुस्लिम बाहुल्य इलाके से हिंदू परिवार पलायन करने लगे. औने-पौने दामों में मकान बेचने लगे. अभी संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पेन्सिया ने बताया कि इस इलाके में बिजली चोरी की घटनाएं बहुत सारी हो रही थीं. इस इलाके में लोग घुसते नहीं थे. जब हम यहां पर आए तो हमें यहां एक मंदिर मिला. इसे हम साफ करवा रहे हैं. यहां पर एक कुआं भी मिला है, जिसके ऊपर रैंप बनाया गया था. किसी ने हमें बताया कि रैंप के नीचे कुआं है, तो हमने उसे हटाया. इसके बाद हमें नीचे कुआं मिला. पूरे संभल में मिस्क्ड आबादी है, लेकिन यहां पर केवल मुस्लिम आबादी है. हम मंदिर की सफाई करवा रहे हैं. यह जिस समाज का मंदिर है, उसे हम सौंपेंगे. वह जैसा इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं, वैसा कर सकते हैं. कब्जा करने वाले लोगों को भूमाफिया के रूप में चिह्नित किया जाएगा.

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