सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन याचिकाकर्ताओं को संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE)-एडवांस्ड के लिए पंजीकरण करने की अनुमति दे दी जिन्होंने 5 नवंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच अपने पाठ्यक्रमों को छोड़ दिया था. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने JEE-एडवांस्ड के अभ्यर्थियों को दिए गए प्रयासों को तीन से घटाकर दो करने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन याचिकाकर्ताओं को संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE)-एडवांस्ड के लिए पंजीकरण करने की अनुमति दे दी जिन्होंने 5 नवंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच अपने पाठ्यक्रमों को छोड़ दिया था. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने JEE-एडवांस्ड के अभ्यर्थियों को दिए गए प्रयासों को तीन से घटाकर दो करने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.
सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि JEE-एडवांस्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए सौंपे गए संयुक्त प्रवेश बोर्ड (JAB) ने पिछले साल 5 नवंबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें कहा गया था कि शैक्षणिक वर्ष 2023, 2024 और 2025 में कक्षा 12 की परीक्षा देने वाले छात्र JEE-एडवांस्ड के लिए उपस्थित होने के पात्र होंगे.
पीठ ने आगे नोट किया कि 18 नवंबर, 2024 को एक और प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी जिसमें पात्रता को केवल दो शैक्षणिक वर्षों 2024 और 2025 तक सीमित कर दिया गया था. पीठ ने कहा कि यदि छात्र 5 नवंबर के निर्णय पर अमल करते हुए इस समझ के साथ अपने पाठ्यक्रम से बाहर हो गए हैं कि वे JEE परीक्षा में बैठने के हकदार होंगे, तो 18 नवंबर, 2024 को वादे को वापस लेने से उन्हें नुकसान नहीं होने दिया जा सकता है.
संयुक्त प्रवेश बोर्ड के फैसले के गुण-दोष पर विचार किए बिना, शीर्ष अदालत ने कहा कि 5 नवंबर से 18 नवंबर, 2024 के बीच पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों को परीक्षा के लिए पंजीकरण करने की अनुमति दी जाएगी.
शीर्ष अदालत दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें से एक 22 उम्मीदवारों द्वारा दायर की गई थी, जिसमें JEE-एडवांस्ड के लिए उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध प्रयासों की संख्या तीन से घटाकर दो करने को चुनौती दी गई थी.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि 5 नवंबर 2024 की प्रेस विज्ञप्ति में किए गए वादे के कारण उन्होंने प्रतिष्ठित आईआईटी में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा में भाग लेने के लिए कॉलेज छोड़ दिए. वहीं एक अन्य याचिका में कहा गया था कि मामला आईआईटी में प्रवेश की प्रक्रिया से संबंधित है और JAB ने छात्रों के लिए पात्रता मानदंड को मनमाने ढंग से बदल दिया.
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