प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रुनेई सुल्तान पहली बार नवंबर 2014 में ने पी ताव में 25वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे. वे मनीला में आयोजित 2017 पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान एक बार फिर मिले.
विदेश मंत्रालय (एमईए) की तरफ से शुक्रवार को बताया गया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह ब्रुनेई और सिंगापुर का दौरा करेंगे.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “प्रधानमंत्री मोदी महामहिम सुल्तान हसनल बोल्किया के निमंत्रण पर 3-4 सितंबर को ब्रुनेई का दौरा करेंगे. यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्रुनेई की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी. यह यात्रा भारत और ब्रुनेई के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है. इसके बाद प्रधानमंत्री ब्रुनेई से 4 और 5 सितंबर को प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के निमंत्रण पर सिंगापुर का दौरा करेंगे.”
प्रधानमंत्री मोदी को पहले बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बिम्सटेक के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जाना था. जो 3-4 सितंबर को बैंकॉक में होने वाला था. जिसे देश में नई सरकार के गठन के कारण पिछले सप्ताह स्थगित कर दिया गया था.
पिछले महीने, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वियनतियाने में आसियान बैठकों के दौरान ब्रुनेई के विदेश मंत्री एरीवान पेहिन यूसुफ से मुलाकात की थी और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 40 साल पूरे होने का जश्न मनाते हुए संयुक्त रूप से लोगो लॉन्च किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रुनेई सुल्तान पहली बार नवंबर 2014 में ने पी ताव में 25वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे. वे मनीला में आयोजित 2017 पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान एक बार फिर मिले.
जनवरी 2018 में, ब्रुनेई सुल्तान, 10 आसियान राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के साथ, आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आए. वह 26 जनवरी, 2018 को भारत के 69वें गणतंत्र दिवस समारोह में ‘मुख्य अतिथि’ भी थे.
वर्ष 2013 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 11वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 8वें ईएएस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्रुनेई दारुस्सलाम का दौरा किया था. अगस्त 1968 में ब्रुनेई दारुस्सलाम के 29वें सुल्तान और यांग डि-पर्टुआन के रूप में ताज पहनाए गए सुल्तान हाजी हसनल बोल्कियाह ने सितंबर 1992 में भारत की अपनी पहली राजकीय यात्रा की थी. उनकी दूसरी राजकीय यात्रा मई 2008 में हुई थी. विदेश मंत्रालय के अनुसार, ब्रुनेई दारुस्सलाम सरकार आसियान के साथ सहयोग के विस्तार और गहनता के लिए भारत की ‘लुक ईस्ट’ और ‘एक्ट ईस्ट’ नीतियों का समर्थन करती रही है. भारतीय नौसेना और तट रक्षक जहाजों ने नियमित रूप से ब्रुनेई का दौरा किया है और दो भारतीय रक्षा कंपनियों – भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और एमकेयू लिमिटेड – ने पहली बार जून 2024 में ब्रुनेई सशस्त्र बलों द्वारा आयोजित रक्षा उद्योग प्रदर्शनी में भाग लिया. सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया और क्राउन प्रिंस अल-मुहतादी बिल्लाह ने एक्सपो के दौरान भारतीय स्टॉल का दौरा किया और भारतीय कंपनियों की भागीदारी की सराहना की.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान में ब्रुनेई दारुस्सलाम में लगभग 4,50,500 की कुल आबादी में से लगभग 14,500 प्रवासी भारतीय हैं, जिनमें से आधे से अधिक भारतीय प्रवासी अर्ध कुशल और अकुशल श्रमिक हैं, जो तेल और गैस उद्योग निर्माण, खुदरा व्यापार आदि में काम करते हैं.
ब्रुनेई के बाद, पीएम मोदी सिंगापुर की यात्रा करेंगे – एक ऐसा देश जिसके साथ भारत डिजिटल, कौशल विकास, स्वास्थ्य सेवा, कनेक्टिविटी और उन्नत विनिर्माण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की संभावना तलाश रहा है.
इस सप्ताह की शुरुआत में, विदेश मंत्री (ईएएम) एस. जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सिंगापुर में आयोजित दूसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज (आईएसएमआर) में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया.
अपनी यात्रा के दौरान, भारतीय मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त रूप से सिंगापुर के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री लॉरेंस वोंग से भी मुलाकात की, जिन्होंने सितंबर 2022 में नई दिल्ली में आयोजित पहले आईएसएमआर के लिए सिंगापुर प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था.
सोमवार को दौरे पर आए भारतीय मंत्रियों के साथ अपनी बैठक के बाद सिंगापुर के पीएम ने कहा, “मुझे खुशी है कि हमारी पिछली बैठक के बाद से कई मोर्चों पर प्रगति हुई है. और उन्नत विनिर्माण और कनेक्टिविटी सहित सहयोग के नए विचारों को आगे बढ़ाया जा रहा है. ये पहल भारत और सिंगापुर के बीच घनिष्ठ रणनीतिक सहयोग और साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करेंगी.”
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