कार्ब्स कम करना बेहतर सेहत की गारंटी नहीं है. ऐसा करने से आपके डाइट से फाइबर, विटामिन और मिनरल जैसे जरूरी पोषक तत्व समाप्त हो सकते हैं. कार्ब्स मस्तिष्क और मसल्स के लिए प्राइमरी एनर्जी सॉर्स हैं.
अति हर चीज की बुरी होती है. चाहें वो सेहत को सुधारने के लिए की गई कोशिश ही क्यों न हो? कुछ आदतें हम लोग मानते आ रहे हैं कि हमारे लिए अच्छी हैं. जैसे लो कार्ब इनटेक डाइट, एक्सरसाइज, ग्लूटेन से दूरी, वीगन होना या फिर व्रत रखना. लेकिन, ऐहतियात न बरती जाए तो ये सेहत के लिए आफत का सबब बन सकती हैं. अंग्रेजी की मशहूर कहावत है “ऑल दैट ग्लिटर्स इज नॉट गोल्ड” यानि हर चमकती चीज सोना नहीं होती.
एक्सपर्ट्स की राय है कि फैशन के चक्कर में लो कार्ब डाइट का सेवन नहीं कहना चाहिए! मतलब कि लो कार्ब डाइट को इसलिए नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि ऐसा करके हमारा दोस्त वजन कम करने में कामयाब रहा. इसे एक्सपर्ट की सलाह से लेते रहने में ही वेलबीइंग है. फ्रंटियर्स में प्रकाशित (2021) एक स्टडी के मुताबिक कार्ब्स की सही मात्रा सेहत के लिए जरूरी होती है.
यह भी पढ़ें:एसिडिटी से तुरंत राहत के लिए आजमाएं ये घरेलू नुस्खा, बिना दवा के शांत होगी पेट की जलन?
कार्ब्स कम करना बेहतर सेहत की गारंटी नहीं है. ऐसा करने से आपके डाइट से फाइबर, विटामिन और मिनरल जैसे जरूरी पोषक तत्व समाप्त हो सकते हैं. कार्ब्स मस्तिष्क और मांसपेशियों के लिए प्राइमरी एनर्जी सॉर्स हैं. इसे कम किया तो थकावट हो सकती है और ब्रेन की एक्टिविटी भी प्रभावित हो सकती है.
व्यायाम या वर्जिश भी बिना सोचे-समझे करना ठीक नहीं. अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुताबिक वयस्कों को हफ्ते में 150 से 300 मिनट मध्यम-तीव्रता या 75 से 150 मिनट तीव्र-तीव्रता वाली फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए. वर्कआउट के बीच पर्याप्त आराम जरूरी है. एक तथ्य ये भी है कि बहुत ज्यादा व्यायाम से कोर्टिसोल लेवल (स्ट्रेस हार्मोन) में वृद्धि होती है और वजन में इजाफा हो सकता है. शोध से पता चलता है कि अगर आप अपने छुट्टी के दिनों में भी घूमना चाहते हैं, तो चलना या योग जैसे हल्के एरोबिक कार्डियो एक अच्छा विकल्प है.
यह भी पढ़ें:इन लोगों को गलती से भी नहीं खाने चाहिए मखाने, बड़ी दिक्कत हो सकती है
आजकल फास्टिंग का बहुत ट्रेंड है. वैसे तो हमारे यहां ये आत्मा और शरीर की शुद्धि से जुड़ा है लेकिन मॉर्डन युग में इसे सेहत के लिए जरूरी से ज्यादा फैशन के तौर पर लिया जा रहा है. ज्यादातर चलन ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ यानि ‘इफ’ का है. 8 से 16 घंटों तक किसी सेलिब्रिटी को देख अक्सर फॉलोअर्स इसे अपना लेते हैं. लेकिन, ये सही नहीं है.
“इनटेक एंड एडिक्येसी ऑफ द वीगन डाइट” नाम से प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक एकदम से एनिमल प्रोडक्ट छोड़ वीगन होना भी ठीक नहीं. इससे कई पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. योजना के बिना, शाकाहारी बनने से विटामिन बी12, जिंक और कैल्शियम सहित विटामिन और मिनरल्स में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है.
लंग कैंसर सिर्फ स्मोकर्स को होता है? लंग कैंसर होने पर मौत निश्चित है? डॉक्टर से जानें इस कैंसर के बारे में पूरी
NDTV India – Latest
More Stories
बर्थडे के दिन गांजा रखने के आरोप में गिरफ्तार हुए आईआईटी बाबा, कुछ देर बाद जमानत पर छूटे
राजस्थान के किस जिले में सबसे ज्यादा अपराध, कौन सा जिला है शांत, यहां जानिए हर जवाब
दिल्ली की CM ने AAP के स्वास्थ्य मॉडल को बताया ‘बीमार’, कहा- 10 सालों में सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ