Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका ने अब अपनी रणनीति बदल दी है. अमेरिका ने यूक्रेन को बारूदी सुरंगें देने का फैसला लेकर सभी को चौंका दिया है. ये बारूदी सुरंगें कितनी खतरनाक हैं, डिटेल में जानिए.
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (Russia Uraine War) को 1 हजार दिन बीच चुके हैं, लेकिन तनाव अब तक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसा लगता है जैसे युद्ध शांति करने के बजाय और भड़काया जा रहा है. रूस के खिलाफ चल रहे युद्ध में अमेरिका यूक्रेन को हमेशा से ही सपोर्ट करता रहा है. वह यूक्रेन को फंड के साथ ही बड़े-बड़े हथियार और टैंक मुहैया करवाता रहा है. अब अमेरिका ने बारूदी सुरंगों (Landmines) की सप्लाई को मंजूरी दे दी है. इससे चिंता बढ़ गई है. यूक्रेन के भीतर एंटीपर्सनल माइंस भेजे जाने की मंजूरी पहली बार ही दी गई है. इसकी निंदा अंतरराष्ट्रीय समुदाय लंबे समय से करता आ रहा है. लेकिन फिर भी जेलेंस्की के देश को लैंड माइंस भेजे जाने का फैसला अमेरिका का एक प्रमुख नीतिगत बदलाव की ओर इशारा कर रहा है.
यूक्रेन को क्यों है लैंडमाइंस की जरूरत?
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यूक्रेन को रूसी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए लैंड माइंस की जरूरत है. दरअसल रूसी सैनिक ज्यादा भारी जमीनी बख्तरबंद वाहनों के बजाय जमीनी युद्ध के मैदान में आगे बढ़ रहे हैं. अब तक अमेरिका ने रूसी क्षेत्र में लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी, लेकिन अब लैंड माइंस भेजने का भी फैसला ले लिया है.
लैंडमाइंस क्या होती हैं?
अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन का कहना है कि ये लैंडमाइंस ज्यादा सुरक्षित हैं, क्यों कि यह समय के साथ अपने आप ही नष्ट हो जती हैं. एंटी पर्सनल लैंडमाइंस को इस तरह से बनाया जाता है कि इसके पास जाते ही वजन से ये फट जाती हैं. इससे लोगों के लिए जोखिम काफी कम होता है. कुछ दिनों या फिर कुछ ही हफ्तों में ये लैंडमाइंस नष्ट हो जाती हैं.ये भी कहा गया है कि इन लैंडमाइंस को रूस में तैनात नहीं किया जाएगा और न ही घनी आबादी वाले इलाकों में इनको तैनात किया जाएगा.
फ़ाउंडेशन फ़ॉर डिफेंस ऑफ़ डेमोक्रेसीज़ में सेंटर ऑन मिलिट्री एंड पॉलिटिकल पावर के ब्रैडली बोमन का कहना है कि अमेरिका की इस नई रणनीति से ऐसा लग रहा है कि बाइडेन इस बात से चिंता में हैं कि ट्रंप के सत्ता संभालते ही 20 जनवरी को यूक्रेन को लेकर अमेरिका की नीति कैसे बदलेगी.
रूस-यूक्रेन युद्ध में लैंडमाइंस की जरूरत
ब्रैडली बोमन ने कहा कि यूक्रेन ड्रोन युद्ध में ज्यादा प्रभावी है. बख्तरबंद वाहनों में चलने वाले रूसी सैनिकों को ड्रोन से प्रभावित होने का खतरा ज्यादा है, इसी वजह से वह पैदल ही आगे बढ़ रहे हैं. जिसकी वजह से यूक्रेन को उनको निशाना बनाना मुश्किल होता जा रहा है.यही वजह है कि उसकी प्लानिंग लैंडमाइंस से उनको निशाना बनाने की है.
कितनी खतरनाक हैं एंटीपर्सनेल माइंस?
एंटीपर्सनल माइंस जमीन के नीचे छपाई जा सकती हैं.जैसे ही इस पर वजन पड़ता है ये फट जाती हैं.बाइडेन प्रशासन यूक्रेन को जो एंटीपर्सनेल माइंस भेज रहा है, उनकी क्षमता सीमित है.ये बैटरी से चलने वाली हैं.एक बार बैटरी खत्म होने पर उनमें विस्फोट नहीं होगा. 4 घंटे से लेकर दो हफ्ते तक वह कहीं भी निष्क्रिय हो सकती हैं.
लैंडमाइंस पर अलोचना झेल रहा अमेरिका
लैंडमाइंस भेजे जाने पर मानवतावादी संगठन इसकी आलोचना कर रहे हैं. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में ह्यूमन राइट्स वॉच की निदेशक मैरी वेरेहम ने कहा कि यह फैसला लैंडमाइंस को खत्म करने के लिए काम करने वालों के लिए एक चौंकाने वाला और विनाशकारी है.
वाशिंगटन इस कदम के जरिए यूक्रेन की तरफ बढ़ रही रूसी सेना को रोकना चाहती है. लेकिन उसकी जमकर आलोचना हो रही है. मैरी वेरेहम के साथ ही लैंडमाइंस पर प्रतिबंध लगाने के अंतर्राष्ट्रीय अभियान ने भी अमेरिका के इस फैसले की निंदा की है. IECBL के डायरेक्टर, तामार गैबेलनिक ने बयान में कहा कि नागरिकों के जीवन और आजीविका पर लैंडमाइंस के उनके विनाशकारी प्रभाव की वजह से ही 1997 की माइन बैन ट्रीटी के तहत इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
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