इस बार 5 नवंबर 2024 (मंगलवार) को अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव हो रहे हैं. भारत और अमेरिका के टाइम में फर्क है. लिहाजा इस दिन हमारे यहां 6 नवंबर हो जाएगा. वहां सरकार का कार्यकाल 4 साल का होता है, जो जनवरी 2025 से शुरू होगा. 20 जनवरी को नए राष्ट्रपति पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. अगर 20 जनवरी को संडे पड़ता है, तो नए राष्ट्रपति का कार्यकाल 21 जनवरी से शुरू होता है.
अमेरिका में 5 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति चुनाव (US elections 2024) के लिए वोट डाले जाएंगे. ये 60वां राष्ट्रपति चुनाव है. इसमें अमेरिकी नागरिक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनते हैं. दोनों का कार्यकाल 4 साल का होता है. इस बापर रिपब्लिकन पार्टी (Republican Party) की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और उपराष्ट्रपति पद के लिए जेडी वेंस (JD Vance) मैदान में हैं. जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) ने मौजूदा उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस (Kamala Harris)को राष्ट्रपति और टिम वाल्ज़ (Tim Walz) को उपराष्ट्रपति पद का कैंडिडेट बनाया है. इसके साथ ही कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में है.
आइए जानते हैं अमेरिका में कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव? कितने बजे से शुरू होगी वोटिंग? कब आएंगे एग्जिट पोल को नतीजे? व्हाइट हाउस में कब से काम शुरू करते हैं नए राष्ट्रपति:-
अमेरिका में कब है इलेक्शन?
इस बार 5 नवंबर 2024 (मंगलवार) को अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव हो रहे हैं. भारत और अमेरिका के टाइम में फर्क है. लिहाजा इस दिन हमारे यहां 6 नवंबर हो जाएगा. वहां सरकार का कार्यकाल 4 साल का होता है, जो जनवरी 2025 से शुरू होगा. 20 जनवरी को नए राष्ट्रपति पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. अगर 20 जनवरी को संडे पड़ता है, तो नए राष्ट्रपति का कार्यकाल 21 जनवरी से शुरू होता है.
अमेरिका में मंगलवार को ही क्यों होती है वोटिंग?
अमेरिका में हर 4 साल बाद नवंबर के पहले वीक में पड़ने वाले सोमवार के बाद वाले मंगलवार को ही वोटिंग होती है. अगर नवंबर की शुरुआत का पहला दिन मंगलवार है, तो भी इस दिन चुनाव नहीं कराए जाते. दरअसल, अमेरिका में जब 1845 में सभी राज्यों में एक साथ चुनाव कराने का कानून बना था, तब ज्यादातर लोग खेती-किसानी करते थे. नवंबर के शुरुआती दिनों में किसानों के पास फुर्सत रहती थी. इसलिए वोटिंग के लिए नवंबर महीना फिक्स कर दिया गया. अब बारी वोटिंग डे की थी. रविवार को ज्यादातर लोग चर्च में प्रे करने जाते थे. इसलिए रविवार का दिन रिजेक्ट कर दिया गया. बुधवार को मार्केट बंद रहती थीं. इसलिए इस दिन भी चुनाव नहीं कराए जाने का फैसला लिया गया. पोलिंग बूथ तक जाने के लिए कई लोगों को लंबी यात्राएं करनी पड़ती थी. इसलिए सोमवार का दिन भी सही नहीं समझा गया. गुरुवार और शुक्रवार धार्मिक कारणों से मनमाफिक नहीं लगा. लिहाजा सिर्फ मंगलवार का दिन ही वोटिंग डे के तौर पर फिक्स किया गया.
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अमेरिका में कुल कितनी पॉलिटिकल पार्टियां हैं?
अमेरिका में वैसे तो कई पार्टियां हैं. लेकिन लोग ज्यादातर डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी को ही जानते हैं. ये दोनों सबसे पुरानी पार्टियां हैं और इलेक्शन प्रोसेस में ये दोनों ही असरदार होती हैं. इसके अलावा ग्रीन पार्टी, लिबर्टेरियन पार्टी और कॉन्स्टिट्यूशन पार्टी सिर्फ नाम के लिए चुनाव लड़ते हैं. ये कभी नोटिस में आते ही नहीं.
वोट करने के लिए क्या है योग्यता?
अमेरिका में 18 साल और इससे ऊपर के लोग वोटिंग राइट का इस्तेमाल कर सकते हैं. नॉर्थ डकोटा को छोड़कर सभी राज्यों में लोगों को वोटिंग से पहले खुद को रजिस्टर करना होता है. सभी राज्यों का अपना-अपना वोटर रजिस्ट्रेशन प्रोसेस और डेडलाइन है.
वोटिंग की क्या है टाइमिंग?
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए 5 नवंबर को मतदान केंद्रों में स्थानीय समयानुसार सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक वोटिंग होगी. भारत में टाइमिंग के हिसाब से इसे 6 नवंबर को सुबह 4:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक देखा जा सकेगा.
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एग्जिट पोल के नतीजे कब आएंगे?
अमेरिकी चुनाव के एग्जिट पोल भारतीय समयानुसार 6 और 7 नवंबर की आधी रात 2:30 बजे के बाद शुरू होंगे.
नतीजे कब घोषित होंगे?
वोटिंग के बाद ही वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी. न्यूज चैनल्स अमेरिका के अलग-अलग राज्यों के विजेता का नाम जैसे जैसे काउंटिंग पूरी होगी बताते रहेंगे, लेकिन हर राज्य के वोट काउंट होने के बाद ही पूरी तस्वीर साफ होगी. अंतिम निर्णय में कई दिन या सप्ताह भी लग सकते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि वोटों की गिनती कितनी तेजी से की जाती है और क्या कोई कानूनी चुनौतियां भी आती हैं.
अमेरिकी चुनाव का प्रोसेस क्या है?
अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 2 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया के बारे में जिक्र किया गया है. ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव की व्यवस्था है. चुनाव प्रक्रिया ‘प्राइमरी’ के साथ चुनावी साल के पहले महीने यानी जनवरी में शुरू होती है और जून तक चलती है. इस दौर में पार्टी अपने उन उम्मीदवारों की सूची जारी करती है, जो राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में उतरना चाहते हैं. इसके बाद दूसरे दौर में अमेरिका के 50 राज्यों के वोटर पार्टी प्रतिनिधि ( पार्टी डेलिगेट) चुनते हैं. प्राइमरी में चुने गए पार्टी प्रतिनिधि दूसरे दौर में पार्टी के सम्मेलन (कन्वेंशन) में हिस्सा लेते हैं. कन्वेनशन में ये प्रतिनिधि पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं. इसी दौर में नामांकन की प्रक्रिया होती है. तीसरे दौर की शुरुआत चुनाव प्रचार से होती है. इसमें अलग-अलग पार्टी के उम्मीदवार मतदाताओं का समर्थन जुटाने की कोशिश करते हैं. इसी दौरान उम्मीदवारों के बीच टेलीविजन पर इस मामले से जुड़े मुद्दों पर बहस भी होती है. इसके बाद चुनाव की अंतिम प्रक्रिया में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ राष्ट्रपति पद के लिए मतदान करता है. लेकिन इससे पहले राज्यों के मतदाता इलेक्टर चुनते हैं, जो राष्ट्रपति पद के किसी न किसी उम्मीदवार का समर्थक होता है.
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चुनाव के बाद कैसे चुना जाता है विजेता?
इलेक्टर एक ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ बनाते हैं, जिसमें कुल 538 सदस्य होते हैं. ‘इलेक्टर’ चुनने के साथ ही आम जनता के लिए चुनाव खत्म हो जाता है. अंत में ‘इलेक्टोरल कॉलेज’ के सदस्य मतदान के जरिए अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल मत जरूरी होते हैं. अमेरिका में ‘विनर टेक्स ऑल’ यानी नंबर-1 पर रहने वाले को राज्य की सभी सीटें मिलने का नियम है. इसी वजह से 2016 के चुनाव में हिलेरी क्लिंटन से 28.6 लाख कम वोट पाकर भी डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बन गए थे.
इलेक्शन में किसी को बहुमत नहीं मिला तो क्या होगा?
अगर कोई कैंडिडेट या पार्टी 270 इलेक्टोरल वोट नहीं हासिल कर पाती है, तो हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव यानी लोकसभा राष्ट्रपति का चुनाव करती है. सभी अमेरिकी राज्यों में 435 रिप्रेजेंटेटिव होते हैं. लेकिन इस वोटिंग में हर राज्य को एक ही वोट मिलता है. ऐसे में 50 राज्यों के वोट में जो कैंडिडेट 26 वोट जुटा लेता है, वो विनर बन जाता है.
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अमेरिका के इतिहास में क्या ऐसा कभी हुआ है?
अमेरिका में ऐसा 2 बार हो चुका है. 1800 में किसी कैंडिडेट को बहुमत नहीं मिलने पर थॉमस जेफर्सन को राष्ट्रपति हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव ने ही चुना था. 1824 में भी इसी तरह क्विंसी एडम्स को प्रेसिडेंट चुना गया था.
हाथी और गधा कैसे बना चुनावी चिह्न?
डेमोक्रेटिक पार्टी का चुनावी चिह्न गधा है. जबकि रिपब्लिकन का चुनावी चिह्न हाथी है. हाथी और गधे के अमेरिकी चुनाव का हिस्सा बनने के पीछे की कहानी दिलचस्प है. साल 1828 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से एंड्रयू जैक्सन उम्मीदवार थे. उनका मुकाबला व्हिग पार्टी के जॉन एडम्स से था. एडम्स ने जैक्सन के चुनावी कैंपेन और उनके चुनावी वादों का खूब मजाक बनाया था. एक समय में तो एडम्स अपने कैंपेन में जैक्सन को चिढ़ाने के इरादे से उन्हें जैकएस कहकर पुकारने लगे थे. जैक मतलब जैक्सन और एस मतलब गधा. जैक्सन ने आखिरकार इसे चैलेंज के तौर पर लिया. उन्होंने अपने इलेक्शन कैंपेन के पोस्टरों में गधे की तस्वीर भी शामिल कर ली. इसके बाद ये डेमोक्रेटिक पार्टी का इलेक्शन सिंबल बन गया.
इसी तरह 1860 में चुनाव के दौरान रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार अब्राहम लिंकन इलिनॉय राज्य में काफी मजबूती से लीड कर रहे थे. ऐसे में उनके समर्थकों ने अखबारों में उन्हें ताकतवर दिखाने के लिए उनकी जगह हाथी की तस्वीर छापनी शुरू कर दीं. अमेरिका के चर्चित कार्टूनिस्ट थॉमस नेस्ट ने हाथी के तौर पर रिपब्लिकन पार्टी को पहचान देने में अहम भूमिका निभाई थी.
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चुनाव से पहले एडवांस वोटिंग कैसे हुई?
अमेरिका में चुनाव से पहले एडवांस पोलिंग या प्री पोलिंग का सिस्टम है. ऐसा लोगों की बिजी लाइफ को देखते हुए किया जाता है. मंगलवार तक करीब 1.50 करोड़ से ज्यादा अमेरिकी वोट डाल चुके हैं. यह वोटिंग 47 से ज्यादा राज्यों में मेल (डाक) के जरिए हुई है.
कहां देख सकते हैं अमेरिकी चुनाव का लाइव रिजल्ट?
रियल टाइम में अमेरिकी चुनाव के नतीजे जानने के लिए आप NDTV के अंग्रेजी और हिंदी चैनल, वेबसाइट और अलग-अलग प्लेटफॉर्म से जुड़ सकते हैं. NDTV इंडिया आपको US इलेक्शन के लाइव कवरेज के साथ ही नतीजों की पल-पल की रिपोर्ट देगा.
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