ये सिर्फ एक झंडे की कहानी नहीं है. ये उस समाज की कहानी है, जहां भावना के नाम पर हिंसा को जायज ठहराया जा रहा है. क्या हम वाकई कानून में विश्वास रखते हैं, या अब फैसले सड़कों पर भीड़ सुनाती है? ये सिर्फ एक झंडे की कहानी नहीं है. ये उस समाज की कहानी है, जहां भावना के नाम पर हिंसा को जायज ठहराया जा रहा है. क्या हम वाकई कानून में विश्वास रखते हैं, या अब फैसले सड़कों पर भीड़ सुनाती है? NDTV India – Latest
More Stories
अब गोंडा में होने वाले दामाद के साथ फरार हुई सास, पुलिस की जांच हुआ ये खुलासा
कनाडा चुनाव हारने के बाद खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह का बड़ा ऐलान- छोड़ेंगे NDA प्रमुख का पद
ईडी दफ्तर में अग्निकांड: विवादों में महाराष्ट्र में राजनीति की धुरी बनी ‘जादुई’ इमारत