“आदित्य ठाकरे की हिम्मत नहीं हुई…” नामांकन पर भड़के संजय निरुपम; कही दी बड़ी बात​

 संजय निरुपम ने NDTV से बात करते हुए कहा, “महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे के नाम पर जो आग लगी है वह बुझने का नाम नहीं ले रही है. पिछले तीन दिन से महाविकास अघाड़ी गठबंधन के नेताओं की ताबड़तोड़ बैठकें हो रही हैं.

शिवसेना नेता संजय निरुपम ने बुधवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में विपक्षी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में आपसी फूट है और उनके घटक दल एक-दूसरे से लड़ रहे हैं.  महाराष्ट्र में चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. मुंबई की वर्ली सीट से आदित्य ठाकरे ने नामांकन भर दिया है. इससे पहले उन्होंने रोड शो भी किया.  Sanjay Nirupam ने वर्ली सीट से आदित्य ठाकरे के नामांकन पर हमला करते हुए कहा कि उनकी हिम्मत नहीं के वो एकनाथ शिंदे के सामने लड़े. देखिए पूरी बातचीत.

संजय निरुपम ने NDTV से बात करते हुए कहा, “महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे के नाम पर जो आग लगी है वह बुझने का नाम नहीं ले रही है. पिछले तीन दिन से महाविकास अघाड़ी गठबंधन के नेताओं की ताबड़तोड़ बैठकें हो रही हैं. दिल्ली में कांग्रेस बैठक कर रही है और यहां पर शरद पवार और उनके सभी प्रतिनिधि बैठक कर रहे हैं. उनका अभी तक कोई फार्मूला निकला नहीं है.”

उन्होंने कहा, “मजेदार बात यह है कि महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष को इन बैठकों से निकालकर बाहर फेंक दिया गया है. शरद पवार के चौहान सेंटर में आज सुबह एमवीए की तीनों पार्टियों की एक प्रेस कांफ्रेंस होने वाली थी. ऐसा बताया जा रहा था कि इस बैठक में गठबंधन सीटों के बंटवारे की घोषणा करने जा रहा है. अचानक वह प्रेस कांफ्रेंस रद्द कर दी गई. इसका सीधा मतलब है कि कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) में गतिरोध बढ़ता जा रहा है.”

इसके बाद उन्होंने कहा, “उनका अभी भी कोई फॉर्मूला तय नहीं हुआ है. इसका सीधा मतलब यह है कि जब सीटों के बंटवारे पर दोनों पार्टियों में इतने मतभेद हैं, इतने झगड़े हैं तो यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव लड़ते वक्त ये लोग कितना झगड़ा करेंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. जब अभी ही इतने झगड़े हैं तो महाराष्ट्र को बचाने के दौरान वह कितना झगड़ा करेंगे.”

उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी एक बहुत ही बिखरा हुआ संगठन है. महाविकास अघाड़ी की गाड़ी कहीं जा कर अटक गई है. ऐसे महाविकास अघाड़ी को रोकना चाहिए. महाराष्ट्र के लोग ऐसे महाविकास अघाड़ी को जानते हैं. महाराष्ट्र के मतदाता इन्हें कभी सत्ता में नहीं आने देंगे, क्योंकि इन्हें महाराष्ट्र की चिंता नहीं है. इन्हें महज अपने लिए कुर्सी की चिंता है.”

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