November 30, 2024
आध्यात्मिकता और परंपरा का अद्भुत संगम प्रयागराज महाकुंभ, जानें पौराणिक महत्व

आध्यात्मिकता और परंपरा का अद्भुत संगम प्रयागराज महाकुंभ, जानें पौराणिक महत्व​

Prayagraj Mahakumbh 2024 : महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भी जुटते हैं. इस दौरान वह हवन, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं. महाकुंभ में कुछ विशिष्ट दिनों को शाही स्नान के रूप में मनाया जाता है. इसमें श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है.

Prayagraj Mahakumbh 2024 : महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भी जुटते हैं. इस दौरान वह हवन, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं. महाकुंभ में कुछ विशिष्ट दिनों को शाही स्नान के रूप में मनाया जाता है. इसमें श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है.

देश में महाकुंभ मेला सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में एक है. जो हर 12 साल में चार प्रमुख स्थलों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में लगता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी में महाकुंभ के दौरान स्नान करने से जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. ऐसे में लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए के कुंभ मेला में आते है.

महाकुंभ मेला में लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम स्थल पर आकर पवित्र स्नान करते हैं और इसे मोक्ष प्राप्ति का अवसर माना जाता है. इसका आयोजन विशेष खगोलीय संयोग के आधार पर होता है. माना जाता है कि प्राचीन समय में देवों और असुरों के बीच युद्ध हुआ था, इस दौरान समुद्र मंथन से अमृत कलश प्राप्त हुआ था. इस अमृत कलश से प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में पवित्र जल ग‍िरा था. यहीं कारण है कि इन जगहों पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.

महाकुंभ से जुड़ी ये है धार्मिक मान्यता
मान्यता है कि प्राचीन समय में देवों और असुरों के बीच युद्ध हुआ था, इस दौरान समुद्र मंथन से अमृत कलश प्राप्त हुआ था. देवताओं और राक्षसों ने समुद्र मंथन और उससे निकले सभी रत्नों को आपस में बांटने का फैसला किया. समुद्र मंथन में जो सबसे मूल्यवान रत्न निकला, वह अमृत था. ऐसे में उसे पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच लड़ाई हुई. असुरों से अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने वह पात्र अपने वाहन गरुड़ को दे दिया. असुरों ने जब गरुड़ से वह पात्र छीनने का प्रयास किया, तो उस पात्र मे से अमृत की कुछ बूंदें छलक कर इलाहाबाद, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरीं. यहीं कारण है कि तभी से हर 12 साल के अंतराल पर इन स्थानों पर महाकुंभ मेला आयोजित किया जाता है.

महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सामाजिक एकता और श्रद्धा का भी प्रतीक है. इस बार महाकुंभ मेला 2025 में प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है. इससे पहले 2013 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हुआ था.

वहीं हरिद्वार महाकुंभ हिंदू धर्म के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है. यह मेला हर 12 साल में एक बार हरिद्वार में हर की पौड़ी पर आयोजित होता है. जहां लाखों श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं. इस दौरान श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं. यहां स्नान करने से श्रद्धालु अपने जीवन के पापों से मुक्त हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भी जुटते हैं. इस दौरान वह हवन, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं. महाकुंभ में कुछ विशिष्ट दिनों को शाही स्नान के रूप में मनाया जाता है. इसमें श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है.

NDTV India – Latest

Copyright © asianownews.com | Newsever by AF themes.