जामताड़ा विधायक और उनके समर्थकों ने 28 अक्टूबर, 2018 को नाबालिग रेप पीड़िता और उसके परिवार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एक अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने कथित तौर पर उसका नाम, पता और तस्वीरें मीडिया के साथ साझा की थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को झारखंड के एक मंत्री की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनकी ओर से कथित तौर पर एक नाबालिग रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने के बाद शुरू किये गये आपराधिक मुकदमे को रद्द करने की अपील की गई थी. जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने मंत्री इरफान अंसारी के आचरण की आलोचना की.
बेंच ने कहा, “आप हर चीज के लिए प्रचार चाहते हैं? यह केवल प्रचार के लिए था. कानून के तहत अनिवार्य जरूरतों का पालन नहीं किया गया.”
बेंच ने कहा कि राजनेता अस्पताल में जीवित बचे व्यक्ति से मिलने के लिए या तो अकेले जा सकते थे, या अपने साथ एक व्यक्ति को ले जा सकते थे. कोर्ट ने कहा, “समर्थकों के साथ जाने की कोई जरूरत नहीं थी. यह केवल प्रचार के लिए था.”
अदालत के मिजाज को भांपते हुए अंसारी के वकील ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी. अदालत ने उन्हें इसकी इजाजत दे दी.
अंसारी ने झारखंड हाईकोर्ट के 6 सितंबर, 2024 के उस फैसले को चुनौती दी; जिसमें उसने भारतीय दंड संहिता और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय करने के दुमका अदालत के 21 नवंबर, 2022 को दिए गए आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया था.
जामताड़ा विधायक और उनके समर्थकों ने 28 अक्टूबर, 2018 को पीड़िता और उसके परिवार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एक अस्पताल का दौरा किया. उन्होंने कथित तौर पर उसका नाम, पता और तस्वीरें मीडिया के साथ साझा की थीं.
NDTV India – Latest
More Stories
6 फुट के कपिल देव के बराबर दिख रहे थे सलमान खान, पुरानी तस्वीर वायरल हुई तो भाईजान की हाइट पर छिड़ी बहस
प्रशांत किशोर के खिलाफ एक और FIR दर्ज, पटना सिविल कोर्ट में हंगामे का आरोप
भारतीय-कनाडाई लोगों के लिए क्या हैं जस्टिन ट्रूडो की विदाई के मायने? कितनी बदलेगी इमिग्रेशन पॉलिसी