पुरस्कार समिति ने इस बात पर गौर किया कि दोनों डिजिटल पहलों ने पेपर-बेस्ड सबमिशन के इस्तेमाल को कम किया है, जिससे आरबीआई की आंतरिक और बाहरी प्रक्रियाओं में बदलाव आया है.
भारतीय रिजर्व बैंक को सेंट्रल बैंकिंग, लंदन द्वारा डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया है. आरबीआई को ‘प्रवाह’ और ‘सारथी’ डिजीटल पहल के लिए चुना गया है. इससे केंद्रीय बैंक में पेपर का इस्तेमाल कम हुआ है. सेंट्रल बैंकिंग ने एक प्रेस बयान में कहा कि ये दोनों पहल इस काम के लिए महत्वपूर्ण रही हैं.
सारथी पहल के साथ आरबीआई के सभी इंटरनल वर्कफ्लो डिजिटल हो गए हैं. जनवरी 2023 में लाइव होने वाली इस पहल के साथ कर्मचारियों को डॉक्यूमेंट्स को सुरक्षित रूप से स्टोर और शेयर करने की सुविधा मिली. साथ ही रिकॉर्ड मैनेजमेंट में भी सुधार हुआ.
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन का दूसरा चरण मई 2024 में ‘प्रवाह’ के रूप में शुरू किया गया, जिसने एक्सटर्नल यूजर्स के लिए आरबीआई को विनियामक आवेदन प्रस्तुत करने के लिए एक डिजिटल माध्यम बनाया.
प्रवाह पोर्टल के जरिए सबमिट और प्रोसेस्ड डॉक्यूमेंट्स को फिर सारथी डेटाबेस में प्लग किया जाता है, जहां उन्हें सेंट्रलाइज्ड साइबर सिक्योरिटी सिस्टम और डिजिटल ट्रैकिंग के साथ आरबीआई के ऑफिस में डिजिटल रूप से संभाला जा सकता है.

सारथी को सफलतापूर्वक अपनाना आंशिक रूप से आवश्यक समर्थन संरचनाओं को स्थापित करने में टीम के काम के कारण है.
आईटी टीम ने सिस्टम बनाने से पहले कर्मचारियों की जरूरतों को समझने के लिए उनके साथ एक लंबी सहयोगी प्रक्रिया में भाग लिया और अपग्रेड को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक विभाग से वरिष्ठ ‘नोडल अधिकारी’ नियुक्त किए.
ऑनलाइन सारथी पाठशाला (‘स्कूल’) यूजर्स को सिस्टम से परिचित होने में मदद करती है और पाठशाला को इन-पर्सन ट्रेनिंग के साथ शुरू किया गया था. इसके अलावा, सारथी मित्र (‘मित्र’) प्रत्येक आरबीआई ऑफिस में ऐसे लोग होते हैं जो सिस्टम को अच्छी तरह से जानते हैं और किसी भी मुद्दे पर सहकर्मियों की मदद कर सकते हैं.
आरबीआई ने अपने एक्स हैंडल पर घोषणा की कि केंद्रीय बैंक को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन अवॉर्ड 2025 के लिए चुना गया है.
केंद्रीय बैंक ने पोस्ट में लिखा, “आरबीआई को इन-हाउस डेवलपर टीम द्वारा डेवलप किए गए ‘प्रवाह’ और ‘सारथी’ सिस्टम सहित अपनी पहलों के लिए सम्मानित और मान्यता दी गई है. पुरस्कार समिति ने इस बात पर गौर किया कि दोनों डिजिटल पहलों ने पेपर-बेस्ड सबमिशन के इस्तेमाल को कम किया है, जिससे आरबीआई की आंतरिक और बाहरी प्रक्रियाओं में बदलाव आया है.”
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