समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच पिछले कुछ वक्त में विभिन्न मुद्दों को लेकर तनातनी बढ़ गई है. पिछले दिनों कई बयान सामने आए हैं, जिसके बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या सपा इंडिया गठबंधन से बाहर हो जाएगी.
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) में सब कुछ ठीक-ठाक है? ऐसा लगता तो नहीं है. कुछ मुद्दों को लेकर दोनों पार्टियों में तनातनी बढ़ गई है. पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) साथ-साथ नजर आए. हालांकि उसके बाद से कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है. वादा तो साथ साथ रहने का है, लेकिन इरादे पर मतभेद है. पहले रामगोपाल यादव का बयान और अब अबू आज़मी का ऐलान. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन (India Alliance) से बाहर हो सकती है.
महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी ने महाविकास अघाड़ी से अलग होने की घोषणा की है. पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आजमी ने कहा कि चुनाव में कांग्रेस ने टिकट बंटवारे पर हमसे कोई बात नहीं की. किसी तरह का कोई कॉर्डिनेशन नहीं रहा. ऐसे में गठबंधन में रहने का क्या मतलब है. महाविकास अघाड़ी ने EVM के मुद्दे पर विधानसभा में सदस्यता की शपथ लेने से मना कर दिया था. शिवसेना उद्धव गुट के आदित्य ठाकरे ने इसकी घोषणा की थी, लेकिन समाजवादी पार्टी के दोनों विधायकों अबू आजमी और रईस शेख ने शपथ ली है.
संभल पर आमने-सामने SP-कांग्रेस
संभल के मुद्दे पर भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में अनबन जारी है. उत्तर प्रदेश में दोनों पार्टियों का गठबंधन है, लेकिन संभल को लेकर दोनों में किसी तरह का कोई तालमेल नहीं है. संसद में जब इस पर बहस हुई तब कांग्रेस के सांसद बाहर प्रदर्शन कर रहे थे.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संभल में हुई हिंसा के मामले को लोकसभा में जोर शोर से उठाया. मामला मुस्लिम वोट का है. इसीलिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अगले ही दिन संभल के लिए रवाना हो गए. उत्तर प्रदेश पुलिस ने दोनों नेताओं को गाजीपुर बॉर्डर पर रोक दिया. इस पर समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि राहुल गांधी विरोध के नाम पर औपचारिकता कर रहे थे, उन्हें यह मुद्दा संसद में उठाना चाहिए था.
हार के बाद लगातार उठ रहे सवाल
पहले हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में हार का असर इंडिया गठबंधन पर दिखने लगा है. कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठने लगा है. हरियाणा के चुनावी नतीजे के बाद अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस को इस हार से सीखना चाहिए. कांग्रेस ने हरियाणा में समाजवादी पार्टी के लिए दो सीटें छोड़ने का वादा किया था. हालांकि बाद में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा इसके लिए तैयार नहीं हुए.
हरियाणा जैसा ही खेल समाजवादी पार्टी के साथ महाराष्ट्र में भी हुआ. अखिलेश यादव की पार्टी यहां कम से कम दस सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस ने कोई बातचीत ही नहीं की.
संसद के अंदर भी अलग-अलग रास्ते
संसद के अंदर और बाहर भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के रिश्तों में दरार आ गई है. समाजवादी पार्टी के सांसद संभल पर बहस चाहते थे, लेकिन राहुल गांधी और उनकी पार्टी का फोकस दूसरे मुद्दों पर था.
हालांकि इस मुद्दे पर ममता बनर्जी भी अखिलेश यादव के साथ हैं. दोनों के बीच अच्छे रिश्ते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में तो अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की भदोही सीट तृणमूल कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी, जबकि सब जानते हैं कि यूपी में ममता की पार्टी का कोई जनाधार नहीं है.
गठबंधन ऐसे नहीं चलता : सपा नेता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ताजा बयान ने समाजवादी पार्टी के स्टैंड को मजबूत किया है. अखिलेश यादव कहते रहे हैं कि कांग्रेस गठबंधन का धर्म निभाना नहीं जानती है. ममता बनर्जी ने कहा है कि वे इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करना चाहती हैं. समाजवादी पार्टी भी उनके समर्थन में है. अखिलेश यादव के करीबी नेता उदयवीर सिंह कहते हैं कि जिन राज्यों में कांग्रेस मजबूत है, वहां वो मनमानी करती है और जहां पर सहयोगी दल मजबूत स्थिति में हैं, वहां कांग्रेस अधिक की चाहत रखती है. गठबंधन ऐसे नहीं चलता है.
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