इंसाफ की जंग जो 30 साल से जारी है… देखें, उमा कृष्णैया की कहानी​

 गोपालगंज के जिलाधिकारी रहे जी कृष्णैया की हत्या के मामले में पूर्व विधायक आनंद मोहन को गिरफ्तार किया गया था. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दर्ज किया था, जिसमें उसने कहा था कि आम जनता या लोक सेवक की हत्या करना एक जैसा नहीं है.

बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह को तुरंत अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए कहा था. साथ ही उन्हें ये भी कहा गया था कि वो पुलिस थाने में हर 15 दिन में रिपोर्ट करेंगे. मारे गए आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की पत्नी ने समयपूर्व रिहाई के खिलाफ याचिका दर्ज कराई है. 

बता दें कि गोपालगंज के जिलाधिकारी रहे जी कृष्णैया की हत्या के मामले में पूर्व विधायक आनंद मोहन को गिरफ्तार किया गया था. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दर्ज किया था, जिसमें उसने कहा था कि आम जनता या लोक सेवक की हत्या करना एक जैसा नहीं है. उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को केवल इस वजह से छूट देने से इनकार नहीं कर दिया जाता क्योंकि मारा गया व्यक्ति लोक सेवक था. मोहन को 1994 में  गोपालगंज जिला मजिस्ट्रेट की हत्या के लिए उकसाने के आरोप में उम्रकैद की सजा हुई थी,  लेकिन नियमों में 10 अप्रैल को संशोधन किया गया और गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन 7 अप्रैल को जेल से बाहर आ गए. 

जब मामले में एससी ने बिहार सरकार से मांगे थे मोहन के रिकॉर्ड्स

8 मई को बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से रिहाई संबंधी सिफारिश का पूरा रिकॉर्ड मांगा था. कोर्ट ने कहा कि 8 अगस्त को सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा कि अब आगे सुनवाई नहीं टलेगी. कोर्ट ने बिहार सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा  था. कृष्णैया की पत्नी उमादेवी ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर आनंद मोहन की रिहाई और कानून बदले जाने को चुनौती दी है, पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

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