दुनिया में बदलते हालात और अमेरिकी चुनाव के बाद और इजरायल (Israel Hamas war) की आक्रामकता में कमी नहीं होने के चलते हमास को अब लगने लगा है कि उसके पास शांति समझौते के अलावा कोई और विकल्प बचा नहीं है. हमास की ओर से जो इशारा हो रहा है उससे साफ है कि हमास जल्द से जल्द इजरायल से कोई शांति समझौता का मार्ग तलाश रहा है. उधर, इजरायल पर भी कई प्रकार के दबाव हैं और वह भी चाहता है कि हमास के साथ युद्ध समाप्त हो और गाज़ा के लोगों को अपनी जिंदगी जीने का अधिकार मिले. दूसरी ओर इजरायल की बेंजामिन नेतन्याहू सरकार पर अपने लोगों का दबाव बनता जा रहा है. लेबनान के साथ समझौते के बाद अब इजरायल में जिन लोगों का अपहरण किया गया था उनके परिजन अब सड़क पर उतर आए हैं. वे चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द बंधकों की रिहाई के लिए काम करे. लोगों का कहना है कि जब लेबनान से समझौता हो सकता है तो हमास के साथ शांति वार्ता में क्या दिक्कत है.
Israel Hamas war: दुनिया में बदलते हालात और अमेरिकी चुनाव के बाद और इजरायल (Israel Hamas war) की आक्रामकता में कमी नहीं होने के चलते हमास को अब लगने लगा है कि उसके पास शांति समझौते के अलावा कोई और विकल्प बचा नहीं है. हमास की ओर से जो इशारा हो रहा है उससे साफ है कि हमास जल्द से जल्द इजरायल से कोई शांति समझौता का मार्ग तलाश रहा है. उधर, इजरायल पर भी कई प्रकार के दबाव हैं और वह भी चाहता है कि हमास के साथ युद्ध समाप्त हो और गाज़ा के लोगों को अपनी जिंदगी जीने का अधिकार मिले. दूसरी ओर इजरायल की बेंजामिन नेतन्याहू सरकार पर अपने लोगों का दबाव बनता जा रहा है. लेबनान के साथ समझौते के बाद अब इजरायल में जिन लोगों का अपहरण किया गया था उनके परिजन अब सड़क पर उतर आए हैं. वे चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द बंधकों की रिहाई के लिए काम करे. लोगों का कहना है कि जब लेबनान से समझौता हो सकता है तो हमास के साथ शांति वार्ता में क्या दिक्कत है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हमास के कुछ नेता गाजा बंधक-युद्धविराम समझौते पर विचार कर रहे हैं, जिसमें आईडीएफ अस्थायी रूप से गाजा पट्टी में फिलाडेल्फी कॉरिडोर में रहेगा. यानी हमास इस बात पर तैयार हो गया है कि गाज़ा के इस इलाके पर अब इजरायल का कब्जा रहेगा.
टाइम्स ऑफ इजरायल की खबर के मुताबिक, फिलिस्तीनी और अमेरिकी अधिकारियों का मानना था कि पिछले महीने याह्या सिनवार के खात्मे के बाद हमास का राजनीतिक नेतृत्व एक समझौता करने के लिए तैयार था. हमास की ओर से यह भी बताया जा रहा है कि याह्या सिनवार ही इजरायल से समझौते में सबसे बड़ा बाधक बना था. कई हमास नेता चाहते थे कि इजरायल से जल्द ही बंधकों के बदले फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई का समझौता हो जाए.
इजरायल में बंधकों के परिवार के एक फोरम ने एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से कहा है कि सौदे के लिए समय आ गया है. सभी बंधकों की घर वापसी के लिए एक ही बार में समझौता किया जाए. ये परिजन किसी भी स्थिति में किसी भी बंधक की रिहाई में देरी के पक्षधर नहीं हैं. इनका मानना है कि एक ही बार में सभी की रिहाई का समझौता किया जाए.
खास बात यह है कि इस समय इजरायल के साथ ईरान का सीधा टकराव चल रहा है. दोनों ही देशों ने एक-दूसरे पर हमला किया है. इजरायल ईरान को हमसा और हिजबुल्लाह की रीढ़ मानता है. ईरान के समर्थन से ही दोनों ही आतंकी संगठनों के पास बड़ी तादाद में अत्याधुनिक हथियार हैं.
टाइम्स ऑफ इजरायल की खबर के अनुसार ईरान भी इजरायल के साथ एक और सीधे दौर से बचने के प्रयास में है. बता दें कि अक्टूबर में इजरायली हमले में उसकी वायु रक्षा प्रणालियों को काफी नुकसान पहुंचने के बाद ईरान को आगे की रणनीति बनाने में अभी दिक्कतें आ रही हैं. दूसरी ओर हाल ही में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद भी ईरान पर दबाव बन गया है. ट्रंप की ओर से इजरायल को हमेशा से पूरा समर्थन रहा है.
एक वर्ष से अधिक के युद्ध के बाद, हमास का कथित तौर पर गाजा पर पूर्ण नियंत्रण नहीं रह गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि हमास के आतंकियों की करतूतों से गाज़ावासियों को निजात मिली है. टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक से अधिक गाजावासी हमास समूह के खिलाफ हो गए हैं और उन पर 7 अक्टूबर के नरसंहार के साथ इजरायल को उकसाने का आरोप लगा रहे हैं.
अब हमास की ओर से भी इजरायल के लेबनान के साथ हुए समझौते की सराहना हो रही है. रायटर्स से बातचीत में हमास के नेता सामी अबू ज़ुहरी ने कहा है कि हमास अपने लोगों की रक्षा करने वाले समझौते पर पहुंचने के लेबनान के अधिकार की “सराहना” करता है, और वह गाजा में युद्ध को समाप्त करने के लिए एक समझौते की उम्मीद करता है.
अबू ज़ुहरी ने कहा कि हमास लेबनान के लोगों की रक्षा करने वाले समझौते पर पहुंचने के लेबनान और हिजबुल्लाह के अधिकार की सराहना करता है, और हमें उम्मीद है कि यह समझौता एक और समझौते तक पहुंचने का मार्ग खोलेगा जो गाजा में हमारे लोगों के खिलाफ नरसंहार के युद्ध को समाप्त करेगा.”
कुछ और हमास के करीबी लोगों की ओर से बताया जा रहा है कि हमास अपनी कुछ मांगें छोड़ सकता है और इजरायल सरकार को स्वीकार्य युद्धविराम समझौते पर आगे बढ़ सकता है. खास बात यह है कि गाज़ा में इजरायल अभी शांति समझौते के पक्ष में नहीं है.
हमास ने रॉयटर्स से कहा कि हम गाजा में युद्धविराम तक पहुंचने के किसी भी प्रयास में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और हम अपने लोगों के खिलाफ आक्रामकता को समाप्त करने में रुचि रखते हैं.”
हमास के एक अतिरिक्त अधिकारी ने एएफपी को बताया कि हमने मिस्र, कतर और तुर्की में मध्यस्थों को सूचित किया है कि हमास युद्धविराम समझौते और कैदियों की अदला-बदली के लिए एक गंभीर समझौते के लिए तैयार है.”
टाइम्स ऑफ इजरायल के सूत्रों के मुताबिक, विवाद का मौजूदा मुख्य मुद्दा गाजा से इजरायली सैनिकों की वापसी और पट्टी में हमास की भूमिका के इर्द-गिर्द घूमता है. हमास के एक सदस्य सलाह अल-दीन अल-अवदेह ने टाइम्स को बताया है कि अंततः चुनाव कराने की आवश्यकता होगी.
हमास की ओर से एक समस्या यह भी है कि संगठन के भीतर अलग-अलग गुट हैं और यहां पर शक्ति संतुलन एक समस्या है. इस वजह से भी यह समस्या बनी है कि एक गुट यदि तैयार है तो दूसरा कहीं कोई समस्या न बन जाए.
इसके अलावा खबरें यह भी हैं कि नेतन्याहू हमास के साथ बातचीत पर अपना रुख बदलने से पहले ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि ट्रंप ने गाजा में युद्ध को “खत्म” करने के लिए इज़राइल पर दबाव डाला है, लेकिन उनके सैन्य सहायता रोकने की धमकी देकर दबाव बनाने की संभावना नहीं है.
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