उत्तर प्रदेश में बजा उपचुनाव का बिगुल, जानें किस सीट पर किस पार्टी की कैसी है तैयारी​

 उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव का बिगुल बज गया है. इन सीटों पर मतदान 13 नवंबर और मतगणना 23 नवंबर को कराई जाएगी. इनमें से आठ सीटों पर उपचुनाव विधायकों के सांसद चुने जाने की वजह से कराया जा रहा है. एक सीट पर उपचुनाव विधायक को सजा होने की वजह से हो रहा है.

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है.इन सीटों पर मतदान 13 नवंबर को कराया जाएगा. वहीं वोटों की गिनती 23 नवंबर को कराई जाएगी.प्रदेश की नौ सीटों पर उपचुनाव कराया जा रहा है. इनमें सीसामऊ, कटेहरी, करहल, कुंदरकी, फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां, खैर और मीरापुर सीट शामिल है.इनमें से आठ सीटों पर उपचुनाव विधायकों के लोकसभा के लिए चुन लिए जाने की वजह से कराया जा रहा है. वहीं एक सीट पर उपचुनाव वहां 2022 में जीते विधायक को सजा सुनाए जाने की वजह से हो रहा है. नौ सीटों के इस उपचुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है. आइए देखते हैं कि किस सीट पर किस पार्टी का क्या दांव पर लगा हुआ है.

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी ने इनमें किसी भी सीट के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है.उसने मीरापुर सीट अपने गठबंधन सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को दी है.वहीं बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी को कोई भी सीट नहीं मिली है. निषाद पार्टी ने 2022 के चुनाव में मझवां सीट जीती थी. वहीं समाजवादी पार्टी ने 9 में से पांच सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. चार सीटों पर उसने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. यह संभव है कि सपा बाकी बची चार सीटों में से कुछ सीटें कांग्रेस को दे, जो कि उसकी गठबंधन सहयोगी है. 

कौन जीतेगा सीसामऊ का मुकाबला

सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव विधायक इरफान सोलंकी के सजायाफ्ता होने की वजह से कराया जा रहा है.इरफान को जाजमऊ में2022 में हुई आगजनी की एक वारदात में सात साल के जेल की सजा सुनाई गई है. वो अभी महाराजगंज जेल में बंद हैं.साल 2022 के विधानसभा चुनाव में इरफान सोलंकी ने बीजेपी के सलिल बिश्नोई को 12 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. उपचुनाव के लिए सपा ने इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है.सीसामऊ में सोलंकी परिवार का काफी रसूख है. सपा को उम्मीद है कि सोलंकी परिवार के रसूख और इरफान के जेल जाने से पैदा हुई सहानुभूति का लाभ उसे मिलेगा.इरफान के पिता हाजी मुश्ताक सोलंकी भी सीसामऊ से विधायक चुने जा चुके हैं. इस सीट पर बीजेपी ने अभी अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है.

करहल में कौन लेगा अखिलेश यादव की जगह

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के सांसद चुने जाने की वजह से मैनपुरी जिले की करहल सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है. अखिलेश ने 2022 के चुनाव में बीजेपी के प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को करीब 68 हजार वोट के विशाल अंतर से हराया था.बघेल 2024 के लोकसभा चुनाव में आगरा से सांसद चुने गए हैं. वो अभी नरेंद्र मोदी सरकार में राज्यमंत्री हैं. अखिलेख ने 2024 का लोकसभा चुनाव कन्नौज सीट से जीता था. कन्नौज में सपा ने पहले अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव को टिकट दिया था. लेकिन बाद उनका टिकट काटकर अखिलेश यादव खुद मैदान में उतरे. सपा ने तेजप्रताप को करहल सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है.यादव हार्टलैंड की इस सीट पर यादव वोटरों की बहुतायत है. इसलिए यह सीट समाजवादी पार्टी की पारंपरिक सीट मानी जाती है. 

कटेहरी में लाल जी वर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर

कटेहरी विधानसभा सीट अंबेडकरनर जिले में आती है. साल 222 के चुनाव में यहां से सपा के टिकट पर विधायक चुने गए लाल जी वर्मा के सांसद चुने जाने के बाद कटेहरी सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है. उपचुनाव के लिए सपा ने लाल जी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बसपा ने जितेंद वर्मा को उम्मीदवार बनाया है.वहीं बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. कटेहरी विधानसभा सीट पर 2022 के चुनाव में सपा ने लाल जी वर्मा को टिकट दिया था. वहीं बीजेपी और निषाद पार्टी ने अवधेश द्विवेदी और बसपा ने पूर्व विधायक पवन पाण्डेय के पुत्र प्रतीक पाण्डेय को उम्मीदवार बनाया था.लाल जी वर्मा ने बीजेपी-निषाद पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार अवधेश द्विवेदी को करीब सात हजार वोटों से हराया था.बसपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर था. 

किसके हाथ आएगी कुंदरकी

कुंदरकी विधानसभा सीट मुरादाबाद जिले में आती है. इस सीट पर उपचुनाव विधायक जियाउर्रहमान बर्क के सांसद बनने की वजह से कराया जा रहा है. इस उपचुनाव के लिए अभी न तो सपा ने और न ही बीजेपी ने अपने उम्मीदवार का ऐलान किया है.सपा ने इस सीट की जिम्मेदारी जिलाध्यक्ष के साथ चार विधायकों को सौंपी है.सपा की ओर से पूर्व विधायक रिजवान समेत दो लोगों के नाम आगे चल रहे हैं. लेकिन एक संभावना यह भी है कि सपा यह सीट कांग्रेस के खाते में डाल दे. वहीं बीजेपी ने कुंदरकी से रामवीर सिंह, ठाकुर दिनेश प्रताप सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष शेफाली सिंह, कमल प्रजापति के नाम प्रदेश नेतृत्व को भेजा है.बीजेपी की ओर से कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह संभाल रहे हैं. मुरादाबाद नगर के विधायक रितेश गुप्ता चुनाव प्रभारी बनाए गए हैं.

फूलपुर में कमल खिलेगा या साइकिल चलेगी

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से प्रवीण पटेल फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें फूलपुर सीट से उम्मीदवार बना दिया था. इसमें वो सांसद निर्वाचित हुए. इस वजह से इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है. समाजवादी पार्टी ने फूलपुर विधानसभा सीट पर मुस्तफा सिद्दीकी को अपना उम्मीदवार बनाया है.वो बसपा के टिकट पर तीन बार विधायक बन चुके हैं.सिद्दीकी 2020 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मुज्तबा सिद्दीकी को टिकट दिया था. लेकिन वो एक कांटे की टक्कर में बीजेपी के प्रवीण पटेल से दो हजार 765 वोट के अंतर से हार गए थे.मुज्तबा सिद्दीकी फूलपुर के वीरकाजी गांव के निवासी हैं. वो बसपा के टिकट पर 2002 और 2007 में सोरांव से विधायक चुने गए थे. लेकिन 2012 में बसपा ने उन्हें प्रतापपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया, लेकिन वो हार गए. फिर 2017 में बसपा ने उन्हें प्रतापपुर से विधानसभा सीट से टिकट दिया. उन्होंने जीत हासिल की थी. इस उपचुनाव में बसपा ने फूलपुर में शिवबरन पासी को टिकट दिया है. चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी भी वहां से अपना उम्मीदवार उतारेगी. बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है.

गाजियाबाद में बीजेपी को कौन देगा चुनौती

गाजियाबाद सदर विधानसभा सीट पर विधायक अतुल गर्ग के गाजियाबाद लोकसभा सीट से सांसदज चुने जाने की वजह से कराया जा रहा है. बीजेपी उम्मीदवार के रूप में अतुल गर्ग ने 2017 और 2022 में यहां से जीत दर्ज की थी.उपचुनाव के लिए  आजाद समाज पार्टी ने सतपाल चौधरी को उम्मीदवार बनाया है.वहीं बसपा ने पहले रवि गौतम को टिकट दिया था. लेकिन बाद में उनका टिकट काटकर पीएन गर्ग को उम्मीदवार बना दिया गया. यहां से अभी न तो सपा और न ही बीजेपी ने अपने उम्मीदवार की घोषणा की है. 

मझवां में सपा ने क्यों लगाया पूर्व सांसद की बेटी पर दांव

मझवां के विधायक डॉक्टर विनोद बिंद के भदोही से सांसद चुने जाने की वजह से उपचुनाव कराया जा रहा है.यहां से समाजवादी पार्टी ने रमेश बिंद की पुत्री ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है.वो मझवां के पूर्व विधायक और भदोही के पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी हैं. रमेश बिंद लगातार तीन बार मझवां से विधायक चुने गए थे. वह लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के टिकट पर भदोही से सांसद चुने गए थे.लेकिन 2024 के चुनाव से पहले वो सपा में शामिल हो गए. सपा ने उन्हें मिर्जापुर से टिकट दिया था. वहां उन्हें अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल के हाथों हार का सामना करना पड़ा. यहां से बीजेपी ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

खैर में क्या बीजेपी बचा पाएगी अपना किला

अलीगढ़ जिले की खैर सीट पर उपचुनाव विधायक अनुप प्रधान के सांसद चुने जाने की वजह से कराया जा रहा है. प्रधान हाथरस से बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए हैं. खैर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.बीजेपी 2017 से इस सीट पर जीत रही है. लेकिन बीजेपी ने अभी तक अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. सपा यह सीट अपने गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को दे सकती है.वहीं नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद की अजाद समाज पार्टी ने भी यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा की है.अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद भी यहां जाट वोट निर्णायक भूमिका में हैं. एक समय यह राष्ट्रीय लोकदल का गढ़ हुआ करता था. लेकिन बीजेपी ने उसे पराजित कर दिया है. रालोद ने उपचुनाव के लिए इस सीट की मांग की थी. लेकिन बीजेपी ने उसे केवल मीरापुर सीट ही दी है. 

मीरापुर में निर्णायक हैं मुसलमान

मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव कराया जाएगा. यहां से 2022 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी के चंदन चौहान विधायक चुने गए थे. वह चुनाव आरएलडी ने सपा के साथ लड़ा था. इस बार आरएलडी बीजेपी के साथ है. लोकसभा चुनाव में आरएलडी विधायक चंदन चौहान बीजेपी के सहयोग से बिजनौर सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए हैं. इस वजह से मीरापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है.यह सीट बीजेपी ने अपने गठबंधन सहयोगी आरएलडी को दी है. आरएलडी हर हाल में मीरापुर सीट जीतना चाहती है.हालांकि उसने अभी अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. आरएलडी के पास मीरापुर से दावेदारों की लंबी सूची पहुंची है.ज्यादातर दावेदार मुजफ्फरनगर के ही हैं. मीरापुर में मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं. यहां एक लाख से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं.इसके अलावा दलित और जाट मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं.इस वजह से सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार को यहां फायदा हो सकता है. लेकिन इस गठबंधन ने अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. 

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