उसने बताया भारत की संसद पर हमला होगा, पर सिस्टम सोया रहा, कहानी सबसे गुमनाम किरदार की​

 मुंबई में अफरोज की गिरफ्तारी के बाद चीता कैंप में उसको जानने वाले लोग सन्न थे. यकीन करना मुश्किल था कि 5 फुट के दुबले-पतले लड़के के इरादे इतने खतरनाक हो सकते हैं. अफरोज ने बताया था कि अलकायदा की साजिश दिल्ली में भारत की संसद पर हमला करने की भी है. ये जानकारी मुंबई पुलिस ने दिल्‍ली पुलिस से साझा की थी.

संसद हमले की आज बरसी है. आज ही के दिन 2001 में संसद पर हमला हुआ था. इस हमले से जुड़े कई सवाल आज भी दिमाग में कौंधते हैं. कई बार ऐसा होता है कि किसी शख्स की कदकाठी, उसके हाव-भाव, बर्ताव या पहनावे से उसके इरादों का पता नहीं चलता. बाहर से वो आदमी भले ही बड़ा सामान्य और भोला-भाला नजर आता हो, लेकिन हो सकता है कि उसके भीतर एक खतरनाक दरिंदा छुपा हो! वो डरपोक दिखता हो, लेकिन उसके इरादे ऐसे हों सकते हैं, जो अच्छे-अच्छों को डरा दें. ऐसी ही एक कहानी सामने आई साल 2001 में… कोई शख्स जिसे बार्स में जाने का शौक है, जो खूबसूरत लड़कियों के साथ वक्त बिताता है, जिसे अय्याश जिंदगी पसंद है, क्या वो धर्म के नाम पर जिहाद भी कर सकता है? क्या वो फिदाइन बनकर मजहब के नाम पर खुद को खत्‍म करने के लिये तैयार होगा. मुंबई पुलिस के पास अब से 24 साल पहले ऐसा ही एक मामला आया.

संसद पर हमले की साजिश का खुलासा 2 महीने पहले ही हो चुका था…!
 

उत्तर-पूर्वी मुंबई की झुग्गी बस्ती का लड़का अफरोज विमान चलाने की ट्रेनिंग लेने गया था विदेश.अफरोज के पिता चीता कैंप में एक साधारण दर्जी का काम करते थे.अफरोज आतंकी संगठन अलकायदा की उस साजिश का हिस्सा था, जिसने अमेरिका में 9/11 हमले किये थे.अलकायदा उसी तरह के हमले ब्रिटेन की संसद और ऑस्ट्रेलिया के रिएलटो टॉवर पर भी करने वाला था, जैसे अमेरिका में हुए.अफरोज उस दस्ते का सदस्य था, जिसे ब्रिटेन की संसद पर हमला करना था, लेकिन सुरक्षा कड़ी होने पर साजिश पर अमल नहीं कर पाया. अफरोज ने बताया था कि अलकायदा की साजिश दिल्ली में भारत की संसद पर हमला करने की भी है. मुंबई के पुलिस कमिश्नर ने अफरोज के हवाले से दिल्ली पुलिस को संसद पर हमले की पूर्व सूचना दे दी थी.अफरोज की गिरफ्तारी के ठीक 2 महीने बाद वाकई में 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकियों ने हमला कर दिया.

कहानी मुंबई की है, लेकिन इस कहानी के तार जुड़े हैं दिसंबर 2001 में संसद पर हुए हमले से. नई सदी की शुरुआत दुनिया में कई बड़ी आतंकी घटनाओं के साथ हुई. दिसंबर 2001 में जहां भारत में IC-814 विमान की हाई जैकिंग ने देश को शर्मिंदा किया, तो वहीं सितंबर 2001 में अमेरिका में 9/11 का आतंकी हमला हुआ. जनवरी 2002 में कोलकाता के अमेरिकन सेंटर में भी आतंकी हमला किया गया. मुंबई पुलिस भी दुनियाभर में हो रही आतंकी घटनाओं के मद्देनजर सतर्क थी. अंडरवर्ल्‍ड गैंग्स के अलावा आतंकवाद उसके लिये नई सदी में एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा था.

झुग्गी-बस्ती का लड़का विमान चलाने की ट्रेनिंग लेने गया था विदेश

मुंबई पुलिस को अंडरवर्ल्‍ड पर नकेल कसने में उसके खबरियों का नेटवर्क बड़ी मदद करता था. पुलिस के खबरी शहर के हर इलाके में फैले होते थे और संदिग्ध लोगों की जानकारी पहुंचाते थे. अक्टूबर 2001 में मुंबई पुलिस के कमिश्नर एम.एन. सिंह को ऐसे ही किसी खबरी के मार्फत जानकारी मिली कि उत्तर-पूर्वी मुंबई की झुग्गी बस्ती, जिसे चीता कैंप कहा जाता था, में रहने वाला एक लड़का विमान उड़ाने का कोर्स करने विदेश गया था. उस शख्स का नाम अफरोज था. इस जानकारी ने पुलिस के कान खड़े कर दिये, क्योंकि बीते महीने ही (यानी कि सितंबर में) अमेरिका में 9/11 का आतंकी हमला हुआ था, जिनमें आतंकियों ने विमानों को हाईजैक करके अमेरीकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन और न्यूयॉर्क के ट्विन टावर उड़ाये थे. मुंबई पुलिस सिंह को ये बात भी खटकी कि एक ऐसी झुग्गी-बस्ती में रहने वाला शख्स जहां लोग दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते हैं, विदेश जाकर विमान उड़ाने का महंगा कोर्स कैसे कर सकता है? अफरोज के पिता चीता कैंप में एक साधारण दर्जी का काम करते थे. सिंह का अंदाजा था, जरूर किसी व्यक्ति या संगठन ने उसके लिये पैसों का इंतजाम किया होगा.

अमेरिका के बाद इन देशों में हमलों की थी प्‍लानिंग

अफरोज की तलाश शुरू हुई. पता चला कि वो भारत में लौट चुका था, लेकिन अपने घरवालों के संपर्क में नहीं था. मुंबई और आसपास के शहर की पुलिस को भी इस बारे में सतर्क किया गया. जल्द ही नवी मुंबई के होटल अबोट में उसकी मौजूदगी की जानकारी मिली. पुलिस ने होटल पर छापा मारा और अफरोज को पकड़ लिया. गिरफ्त होते वक्त अफरोज ने ज्यादा विरोध नहीं किया और न ही उसके पास से कोई हथियार मिला. कमिश्नर सिंह के मुताबिक, पकडे़ जाने के बाद पुलिसिया अंदाज में जब अफरोज से पूछताछ की गयी, तो उसने जो कुछ भी बताया उससे सभी के होश उड़ गये. बकौल सिंह, अफरोज ने कबूला था कि वो आतंकी संगठन अलकायदा की उस साजिश का हिस्सा था, जिसने अमेरिका में 9/11 हमले किये थे. अलकायदा उसी तरह के हमले ब्रिटेन की संसद और ऑस्ट्रेलिया के रिएलटो टॉवर पर भी करने वाला था.
 

अफरोज को करना था ब्रिटेन की संसद पर हमला!

अफरोज उस दस्ते का सदस्य था, जिसे ब्रिटेन की संसद पर हमला करना था. साजिश के तहत अफरोज को लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे से मैनचैस्टर जा रहे एक विमान को हाईजैक करना था. तारीख भी वही थी 11 सितंबर 2001 जब अमेरिका पर हमला हुआ… लेकिन अमेरिका पर हमले की खबर आने के बाद दुनियाभर के हवाई अड्डों पर सुरक्षा इंतजाम कडे़ कर दिये गये और अफरोज साजिश पर अमल नहीं कर पाया और भारत भाग आया. सिंह के मुताबिक, अफरोज जैसे गरीब परिवार के लड़के को धर्मांध करके उसे पाइलट की ट्रेनिंग का कोर्स करवाने के लिये पैसा ब्रिटेन के अमीर कारोबारी मुबारक मुसलमान ने दिया था.

अफरोज को पसंद था खूबसूरत लड़कियों के साथ वक्त बिताना

अफरोज ने पुलिस को बताया कि ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया नाम के शहर में मौलाना मंसूर इलियास नाम के शख्स ने उसे आतंकी बनने के लिये प्रेरित किया था. अफरोज ने विमान चलाने की ट्रेनिंग तीन देशों में ली थी जो कि आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका थे. हालांकि, आस्ट्रेलिया में अफरोज के फ्लाइट ट्रेनर ब्रैड फ्यूलर ने बताया कि अफरोज एक अच्छा स्टूडेंट नहीं था और ट्रेनिंग पर ध्यान नहीं देता था. आस्ट्रेलिया में जहां अफरोज किराये पर रहता था, वहां उसके मकान मालिक के मुताबिक, अफरोज को खूबसूरत लड़कियों के साथ वक्त बिताना पसंद था, पबों में जाना… और वो बेहद आराम पसंद था.

अफरोज ने बताया था- दिल्‍ली में संसद पर हमले की है प्‍लानिंग…

अफरोज ने दुनियाभर में आतंकी हमले करवाने की अल कायदा की साजिश से जुड़ी जो जानकारी मुंबई पुलिस को दी उसमें एक बात ने कमिश्नर सिंह के पैरों तले जमीन खिसका दी. अफरोज ने बताया कि अलकायदा की साजिश दिल्ली में भारत की संसद पर हमला करने की भी है. हालांकि, अफरोज उस साजिश दस्ते का हिस्सा नहीं था और उसके पास ज्यादा जानकारी नहीं थी. सिंह ने तुरंत अपने समकक्ष दिल्ली के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अजयराज शर्मा को इसकी जानकारी दी. अफरोज की गिरफ्तारी के ठीक 2 महीने बाद वाकई में 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकियों ने हमला कर दिया, लेकिन ये हमला उस तरह का नहीं था जिस तरह के हमले की साजिश अलकायदा ने अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया के लिये रची थी. इन देशों के टारगेट पर विमान हाईजैक करके हमला होना था, जबकि भारत की संसद में 5 हथियारबंद आतंकी एक एंबेसेडर कार पर गृह मंत्रालय का फर्जी स्टीकर लगाकर घुसे थे.

हमले की सूचना मिलने के बाद दिल्‍ली पुलिस ने क्‍या किया…?

संसद पर हमला करने वाले पांचों आतंकी पाकिस्तान से चलने वाले संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य थे. गाजी बाबा नाम का एक कमांडर इस साजिश का मास्टरमाइंड था, जिसका बीएसएफ ने साल 2003 में श्रीनगर में एनकाउंटर कर दिया. उस हमले में कुल 9 लोग मारे गये, जिनमें 6 पुलिसकर्मी, 2 संसद के सुरक्षाकर्मी और एक माली था. हमले के वक्त तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और तमाम सांसदों समेत करीब 100 लोग संसद के भीतर थे. संसद पर हमले की जांच में कई और लोगों के नाम भी सामने आये, जिनमें एक कश्मीरी फल कारोबारी अफजल गुरु का भी नाम था. हमला करने आये पांचों आतंकी तो उसी दिन एनएसजी की गोलियों से मारे गये और साल 2013 में अफजल गुरु को भी फांसीं दे दी गयी, लेकिन एक सवाल का जवाब अब भी नहीं मिला है. जब मुंबई के पुलिस कमिश्नर ने अफरोज के हवाले से दिल्ली पुलिस को संसद पर हमले की पूर्व सूचना दे दी थी, तब दिल्ली पुलिस ने क्या किया.

5 फुट के दुबले-पतले लड़के के इरादे इतने खतरनाक…

मुंबई में अफरोज की गिरफ्तारी के बाद चीता कैंप में उसको जानने वाले लोग सन्न थे. उनको यकीन ही नहीं हो रहा था कि पांच फुट के दुबले-पतले लड़के के इरादे इतने खतरनाक हो सकते हैं. पकडे़ जाने से कुछ वक्त पहले, तो उससे चाकू की नोंक पर एक झपटमार अफरोज की सोने की चैन लेकर भाग गया था. बहरहाल, अफरोज को मुंबई पुलिस ने पोटा कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया था. उसके दावों की पृष्टि के लिये मुंबई पुलिस की टीमें अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया गई थीं, हालांकि उन देशों की पुलिस ने मुंबई पुलिस से ज्यादा सहयोग नहीं किया. अदालत में मुंबई पुलिस अफरोज के खिलाफ कुछ भी साबित नहीं कर सकी. जिस अपराधिक साजिश में शामिल होने का उस पर आरोप था, वो अपराध हुआ ही नहीं था. ऐसे में अफरोज को छोड़ दिया गया.
आपराधिक मामले से बरी होने के बाद अफरोज ने अणुशक्तिनगर विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा, लेकिन वो हार गया. अफरोज का मानना था कि पुलिस ने उसे फंसाया था और उस पर लगे तमाम आरोप झूठे हैं. उसका इकबालिया बयान भी दबाव डालकर लिया गया. अब अफरोज एक ईमानदारी की जिंदगी जी रहा है और नवी मुंबई में चमड़ा उत्पादों का कारखाना चलाता है.

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