कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो को अपनी नीतियों की वजह से ही विपक्षी दलों का ही नहीं बल्कि अब अपनी सरकार के अंदर भी विरोध झेलना पड़ रहा है. स्थिति कुछ ऐसी हो चुकी है कि विपक्ष उनपर अपने पद से इस्तीफा देने का दवाब भी बनाता दिख रहा है.
कनाडा में वहां की ट्रूडो सरकार के लिए सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इस वजह से अब अंतरराष्ट्रीर स्तर पर पीएम जस्टिन ट्रूडो की काफी किरकिरी भी होती दिख रही है. पीएम ट्रूडो के लिए हालात किस कदर जटिल बने हुए हैं इसका अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि उन्हें बीते कुछ समय से अपनी सरकार के भीतर भी तीखी आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं. साथ ही साथ ट्रूडो जिन आतंकी ताकतों को सहारा दे रहे थे,उससे कनाडा के लोग नाराज हैं. उस पर से अमेरिका के होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ट्रुडो फूटी आंख नहीं सुहाते. भारत का विरोध और खालिस्तान का समर्थन करने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के लिए जनता का समर्थन हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है. उनके खिलाफ कनाडा में उसी बगावत की सबसे बड़ी झलक उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिश्टिया फ्रीलैंड का इस्तीफा है.आपको बता दें कि कनाडा के उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सरकार में जारी टकराव के बीच बीते सोमवार को अपने पद से इस्तीफा देकर ट्रूडो सरकार की परेशानी को और बढ़ा दिया था.
बजट पेश करने से ठीक पहले दिया था इस्तीफा
ट्रूडो सरकार में पीएम और उनकी नीतियों को लेकर किस कदर नाराजगी है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने अपना इस्तीफा उस वक्त दिया जब उन्हें कुछ ही देर बाद संसद में बजट पेश करना था. बताया जाता है कि पीएम ट्रूडो और उनके बीच टकराव की सबसे बड़ी वजह में से एक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संभावित टैरिफ लागू करने को लेकर एक मत ना होना था. दरअसल वित्त मंत्री के रूप में फ्रीलैंड अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप की धमकी को लेकर काफी चिंतित थीं. फ्रीलैंड ने अपने इस्तीफ़े में ट्रंप के कनाडा पर 25 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने की योजना के बारे में लिखा.कैबिनेट मंत्री क्रिस्टिया फ़्रीलैंड लंबे समय से सरकार में उनकी सबसे भरोसेमंद और सबसे शक्तिशाली मंत्री रही हैं. यह ट्रूडो की सत्ता में बने रहने की कोशिश के लिए एक गंभीर झटका है. वह पहले से ही काफी अलोकप्रिय हो चुके हैं. उन्हें अगले साल चुनाव का सामना करना पड़ रहा है .संभव है कि, वह चुनाव अब किसी भी दिन शुरू हो सकता है. उनकी सरकार लड़खड़ा रही है.तो यह इस समय कनाडा में बहुत बड़ा राजनीतिक संकट है.
ट्रंप से भी बेहतर नहीं है ट्रूडो के रिश्ते
आपको बता दें कि अमेरिका कनाडा का प्रमुख ट्रेडिंग पार्टनर है.कनाडा का 75 फ़ीसदी निर्यात अमेरिका को जाता है. उधर, वित्त मंत्री के इस इस्तीफे के बाद विपक्षी दलों ने ट्रूडो पर निशाना साधना शुरू किया और उनसे इस्तीफा देने की मांग तक कर डाली. अमेरिकी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप के साथ ट्रुडो के तनाव को आप इस बात से समझ सकते हैं कि ट्रंप व्यंग्य में ट्रुडो को कनाडा का गवर्नर बोलते हैं यानी कनाडा को अपना ही एक राज्य मानते हैं. इन सबके बीच टैरिफ जैसे सवाल पर ही वित्त मंत्री के इस्तीफे से ट्रुडो की स्थिति काफी कमजोर हुई है.
ट्रुडो ने कनाडा के साथ भारत के रिश्तों को काफी खराब किया. उन्होंने जिस तरह भारत विरोधियों को खुला शह दिया, उसका असर दोनों देशों के रिश्तों पर भी पड़ा.जबकि कनाडा के लोग भारत के प्रति बेहतर नजरिया रखते हैं.ट्रूडो की इन्ही नीतियों का भारत के साथ उनके सदियों पुराने रिश्ते पर पड़ा है. भारत समय-समय पर कनाडा की सरकार को उनकी गलत नीतियों के प्रति अगाह करता रहा है साथ ही उसे लेकर अपनी नाराजगी भी जताता रहा है,
अभी से ही पिछड़े ट्रूडो
समाचार एजेंसी एएफ़पी के मुताबिक़ लिबरल पार्टी के नेता ट्रूडो अगले चुनाव से एक साल पहले ही सर्वे में कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता पीएर पॉलिवेयर से 20 फ़ीसदी पीछे चल रहे हैं.एक पोल ट्रैकर के अनुसार, पहली बार प्रधानमंत्री बनते वक़्त ट्रूडो को 63% प्रतिशत लोग पसंद करते थे लेकिन अब उनका समर्थन करने वाले 28 फीसदी ही बचे हैं. उसका ही नतीजा है कि ट्रुडो के सहयोगी रहे कनाडा की एनडीपी पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने भी प्रधानमंत्री से इस्तीफा मांगा है. जाहिर है कि नए वित्त मंत्री के शपथ से भी हालात बदलते नजर नहीं आ रहे हैं.
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