NCTA 2025-2026 कनाडा में व्यक्तियों और संगठनों के समक्ष उत्पन्न हो सकने वाले साइबर खतरों पर प्रकाश डालता है. इसे 30 अक्टूबर को कैनेडियन सेंटर फॉर साइबर सिक्योरिटी (साइबर सेंटर) द्वारा जारी किया गया, जो साइबर सुरक्षा पर कनाडा का तकनीकी प्राधिकरण है और यह संचार सुरक्षा प्रतिष्ठान कनाडा (CSE) का हिस्सा है.
कूटनीतिक विवाद जारी रहने के बीच कनाडा ने पहली बार भारत का नाम साइबर खतरा पैदा करने वाले दुश्मनों की लिस्ट में शामिल किया है. इसके जरिये उसने यह संकेत देने की कोशिश की है कि (भारत) सरकार द्वारा प्रायोजित तत्वों के माध्यम से ओटावा के खिलाफ जासूसी किए जाने की संभावना है. जबकि भारत ने इसे “हमला” करार दिया है.
कनाडा की राष्ट्रीय साइबर खतरा आकलन 2025-2026 (NCTA 2025-2026) रिपोर्ट में चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के बाद भारत को पांचवें स्थान पर रखा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा आकलन है कि साइबर खतरा पैदा करने वाले भारत सरकार द्वारा प्रायोजित तत्वों द्वारा जासूसी के मकसद से कनाडा सरकार के नेटवर्क के खिलाफ साइबर खतरा पैदा करने वाली गतिविधि संचालित किए जाने की संभावना है.”
NCTA 2025-2026 कनाडा में व्यक्तियों और संगठनों के समक्ष उत्पन्न हो सकने वाले साइबर खतरों पर प्रकाश डालता है. इसे 30 अक्टूबर को कैनेडियन सेंटर फॉर साइबर सिक्योरिटी (साइबर सेंटर) द्वारा जारी किया गया, जो साइबर सुरक्षा पर कनाडा का तकनीकी प्राधिकरण है और यह संचार सुरक्षा प्रतिष्ठान कनाडा (CSE) का हिस्सा है.
साल 2018, 2020 और 2023-24 की राष्ट्रीय साइबर खतरा आकलन रिपोर्ट में भारत का कोई उल्लेख नहीं था, जबकि 2025-26 के आकलन में भारत का उल्लेख – चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के साथ – ‘बैरी देशों से साइबर खतरा’ खंड में किया गया है, जिसमें कनाडा के लिए साइबर खतरों पर चर्चा की गई है.
आकलन रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत का नेतृत्व लगभग निश्चित रूप से घरेलू साइबर क्षमताओं के साथ एक आधुनिक साइबर प्रोग्राम तैयार करने की आकांक्षा रखता है. भारत इसका इस्तेमाल अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने के लिए करता है, जिसमें जासूसी करना, आतंकवाद का मुकाबला तथा भारत के वैश्विक दर्जे को बढ़ाने की कोशिश करना शामिल है.”
इसमें यह भी कहा गया है, “हमारा आकलन है कि भारत का साइबर प्रोग्राम अपने संचालन को बढ़ाने के लिए वाणिज्यिक साइबर सेवा प्रदाताओं का लाभ उठाता है. हमारा आकलन है कि भारत सरकार की ओर से प्रायोजित साइबर खतरा पैदा करने वाले तत्वों द्वारा जासूसी के उद्देश्य से कनाडा सरकार के नेटवर्कों के खिलाफ साइबर खतरा गतिविधि किए जाने की संभावना है.”
रिपोर्ट में दावा किया गया है, “हमारा मानना है कि कनाडा और भारत के बीच आधिकारिक द्विपक्षीय संबंधों के कारण ओटावा के खिलाफ भारत सरकार द्वारा प्रायोजित साइबर खतरे की गतिविधि को बढ़ावा मिलेगा.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा और ‘फाइव आईज’ में सीएसई और उसके साझेदार देश कनाडा को साइबर खतरे पैदा करने वाले तत्वों से अवगत हैं और उन पर नजर रखे हुए हैं. ‘फाइव आईज’ गठबंधन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का एक खुफिया नेटवर्क है.
‘उभरते साइबर कार्यक्रम’ में कहा गया है: “साथ ही, वैश्विक प्रणाली में शक्ति के नये केंद्र बनने की आकांक्षा रखने वाले भारत जैसे देश ऐसे साइबर प्रोग्राम बना रहे हैं जो कनाडा के लिए अलग-अलग स्तर पर खतरा पेश करते हैं.”
इसमें कहा गया है, “जबकि उभर रहे देश अपने साइबर प्रयासों को घरेलू खतरों और क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों पर केंद्रित करते हैं, वे अपनी साइबर क्षमताओं का उपयोग विदेशों में रहने वाले कार्यकर्ताओं और उसे चुनौती पेश करने वालों पर नजर रखने व निगरानी करने के लिए भी करते हैं.”
रिपोर्ट में कहा गया है, “कूटनीतिक तनाव भी हैकटिविस्ट गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है. कनाडा द्वारा भारत पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या में संलिप्तता का आरोप लगाए जाने के बाद, एक भारत समर्थक हैकटिविस्ट समूह ने कनाडा की वेबसाइटों के खिलाफ हमले करने का दावा किया, जिसमें कनाडाई सशस्त्र बलों की सार्वजनिक वेबसाइट भी शामिल है.”
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक साल पहले कहा था कि कनाडा के पास इस बारे में विश्वसनीय सबूत हैं कि जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में कनाडाई सिख हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल थे. भारत ने इस आरोप को बेतुका करार देते हुए खारिज कर दिया था. वहीं, कनाडा के इस आरोप से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए.
इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, “एक अन्य श्रेणी, कनाडा ने भारत को इसमें डाल दिया है. यह वर्गीकरण इसके द्वारा जारी की गई साइबर रिपोर्ट के अनुसार है. यह भारत पर हमला करने की कनाडा की रणनीति का एक और उदाहरण प्रतीत होता है.”
जायसवाल ने कहा, “जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया है, उनके (कनाडा के) वरिष्ठ अधिकारियों ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि वे भारत के खिलाफ वैश्विक राय को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं, जैसा कि अन्य अवसरों पर बिना किसी सबूत के आरोप लगाए गए हैं.” भारत को उस श्रेणी में रखे जाने को खारिज करते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत के खिलाफ लगाए जा रहे आरोप बिल्कुल सही नहीं हैं.
भारत का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा अपनी धरती से गतिविधियां कर रहे खालिस्तान समर्थक तत्वों को बिना किसी रोक-टोक के ऐसा करने दे रहा है.
भारत ने पिछले महीने ओटावा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और अपने उच्चायुक्त संजय वर्मा और कुछ अन्य राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया था.
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