December 17, 2024
कभी मुल्क छोड़ने का नहीं था इरादा लेकिन... सीरिया में तख्तापलट के बाद रूस भागे असद ने पहली बार तोड़ी चुप्पी

कभी मुल्क छोड़ने का नहीं था इरादा लेकिन… सीरिया में तख्तापलट के बाद रूस भागे असद ने पहली बार तोड़ी चुप्पी​

इस्लामिक समूह हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में विद्रोही गठबंधन ने 8 दिसंबर को बशीर अल असद को सीरिया की सत्ता से हटा दिया. इसके बाद वो अपने परिवार के साथ देश से भाग गए थे. रूस ने उन्हें पनाह दी है.

इस्लामिक समूह हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में विद्रोही गठबंधन ने 8 दिसंबर को बशीर अल असद को सीरिया की सत्ता से हटा दिया. इसके बाद वो अपने परिवार के साथ देश से भाग गए थे. रूस ने उन्हें पनाह दी है.

सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशीर अल असद ने देश से भागने के 8 दिन बाद पहली बार बयान दिया है. असद ने सोमवार को रूस से जारी अपने बयान में दावा किया कि उनका इरादा कभी भी सीरिया छोड़ने का नहीं था. लेकिन मुल्क अब आतंकवादियों के हाथों में है. असद ने कहा, “किसी भी समय मैंने पद छोड़ने या दूसरे देश में शरण लेने के बारे में नहीं सोचा था. मेरी योजना लड़ाई जारी रखने की थी, लेकिन पश्चिमी सीरिया में उनके बेस पर हमला होने के बाद रूसियों ने मुझे वहां से निकाल लिया.” उन्होंने दमिश्क छोड़ने को आवश्यक रणनीतिक उपाय करार दिया, क्योंकि राजधानी पर हयात तहरीर अल-शाम (HTS) और उसके सहयोगी गुटों का कब्जा हो गया था.

बशीर अल असद ने अपने फेसबुक पेज पर एक बयान में कहा, “मैं 8 दिसंबर की सुबह दमिश्क छोड़ दिया. इस दिन विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर हमला किया था. सीरिया से मेरा जाना न तो योजनाबद्ध था और न ही यह लड़ाई के अंतिम घंटों के दौरान ऐसा हुआ. कुछ लोग ऐसा दावा कर रहे हैं, लेकिन इन दावों में सच्चाई नहीं है. जंग जारी थी और मैं दमिश्क में रहा. मैं रविवार 8 दिसंबर 2024 की सुबह तक अपने कर्तव्यों का पालन करता रहा.”

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दमिश्क में घुसपैठ के बाद लताकिया हुए थे रवाना
असद आगे कहते हैं, “जब आतंकवादी बलों ने दमिश्क में घुसपैठ की, तो मैं अपने रूसी सहयोगियों के साथ कोऑर्डिनेशन कर लताकिया चला गया, ताकि युद्ध अभियानों की देखरेख कर सकूं. उस सुबह हमीमिम एयरबेस पर पहुंचने पर, यह स्पष्ट हो गया कि हमारी सेनाएं सभी बैटल लाइन्स से पूरी तरह से हट गई थीं. सेना की आखिरी पोजिशन भी गिर गई थी.”

रूसी सैन्य बेस पर भी हो रहे थे ड्रोन अटैक
पूर्व सीरियाई राष्ट्रपति ने कहा, “रूसी बेस पर ड्रोन से हमला किए जाने के बाद, रूसियों ने 8 दिसंबर की रात को मुझे रूस ले जाने का फैसला किया. उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे क्षेत्र में स्थिति बिगड़ती गई, रूसी सैन्य बेस पर भी ड्रोन हमलों के कारण तेज हमले होने लगे. बेस से बाहर निकलने का कोई साधन न होने के कारण, मास्को ने अनुरोध किया कि बेस की कमान रविवार 8 दिसंबर की शाम को रूस के लिए तत्काल निकासी की व्यवस्था करे.”

पद छोड़ने या शरण लेने के बारे में नहीं सोचा
सीरिया से भागने के बाद अपने पहले संबोधन में बशर अल-असद ने कहा, “मैंने किसी भी समय पद छोड़ने या शरण लेने के बारे में नहीं सोचा था. मेरा एकमात्र उपाय आतंकवादी हमले के खिलाफ लड़ाई जारी रखना है. जिस व्यक्ति ने कभी फिलिस्तीन और लेबनान में प्रतिरोध को नहीं छोड़ा, न ही अपने सहयोगियों को धोखा दिया, जो उसके साथ खड़े थे, वह संभवतः वही व्यक्ति नहीं हो सकता जो अपने लोगों को छोड़ दे या सेना और राष्ट्र को धोखा दे, जिससे वह संबंधित है.”

रूसी विदेश मंत्रालय ने 8 दिसंबर को घोषणा की कि बशर अल-असद ने सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के आदेश जारी करने के बाद पद छोड़ दिया है. इसके तुरंत बाद, रूस की न्यूज एजेंसी TASS ने क्रेमलिन के सूत्रों के हवाले से कहा कि पूर्व राष्ट्रपति असद और उनके परिवार को रूसी राजधानी मॉस्को में शरण दी गई है. ये व्लादिमीर पुतिन का निजी फैसला था.

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असद सरकार से कहां हुई गलती?
मानवाधिकार हनन: 2011 में अरब क्रांति के साथ ही सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हुई थी. असद सरकार पर मानवाधिकार हनन के कई आरोप लगाए गए हैं, जिनमें नागरिकों की हत्या, जेल में यातना, और अन्य मानवाधिकार उल्लंघन शामिल हैं. असद सरकार ने इन आरोपों को नजरअंदाज किया था.
गृहयुद्ध: सीरिया में 2011 से ही गृहयुद्ध जारी है, जिसमें असद सरकार के खिलाफ कई विद्रोही समूह लड़ रहे हैं. असद सरकार इस गृहयुद्ध को खत्म करने में प्रभावी कदम नहीं उठा पाई.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ तनाव: असद सरकार के कई देशों के साथ तनावपूर्ण संबंध हैं, जिनमें अमेरिका, यूरोपीय संघ, और कई अरब देश शामिल हैं.
भ्रष्टाचार के आरोप: असद सरकार पर कई अन्य आरोप भी लगाए गए हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, सत्ता का दुरुपयोग, और अन्य अनियमितताएं शामिल हैं.

सीरिया में कैसे हुआ तख्तापलट?
-सीरिया में 2011 से गृह युद्ध चल रहा है. असद के सत्ता संभालने के बाद विरोधियों की संख्या बढ़ती गई.
-27 नवंबर को सीरियाई सेना और विद्रोहियों के बीच संघर्ष की शुरुआत हुई.
– 1 दिसंबर को विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम यानी HTS ने यहां के सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया.
– 5 दिसंबर को HTS ने सीरिया के हमा शहर को अपने कब्जे में लिया.
– 6 दिसंबर को दारा और 7 दिसंबर को होम्स शहर पर कब्जा हो गया.
-8 दिसंबर को विद्रोही गुट राजधानी दमिश्क की ओर बढ़ने लगे. इसी दौरान असद ने अपने परिवार के साथ देश छोड़ दिया.
-इसी दिन विद्रोही राष्ट्रपति भवन और संसद भवन में घुस आए. जमकर लूटपाट की. वहां का सामान लूटकर अपने घर ले गए.
-सीरिया में विद्रोहियों ने सड़कों पर बंदूकें लेकर जश्न मनाया. विद्रोही महिलाओं ने भी सड़कों पर जश्न मनाया.
-तख्तापलट के बाद हजारों लोग देश छोड़कर भागते दिखे. गाड़ियों की लंबी कतारें देखी गईं.
-इस दौरान दमिश्क में ईरानी दूतावास पर भी विद्रोहियों ने हमले किए.

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कैसे सीरिया से भागे असद एंड फैमिली?
-अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, सीरियन एयर का विमान स्थानीय समय के हिसाब से रविवार सुबह करीब 4 बजे दमिश्क से उड़ा. इसमें असद और उनके परिवार के सदस्य थे.
-ये प्लेन पहले भूमध्यसागर के किनारे की तरफ बढ़ा, जो असद के अलवाइट सेक्ट का गढ़ है. इसी बीच प्लेन यू-टर्न लेकर हम्ज़ की ओर बढ़ने लगा.
-4:40 मिनट के करीब ये रडार से लापता हो गया. फिर प्लेन के क्रैश होने के कयास लगाए जाने लगे.
-ईरान के मीडिया ने तो यहां तक कह दिया कि इज़राइल ने इस प्लेन को मार गिराया, लेकिन प्लेन क्रैश होने के कोई सबूत नहीं थे.
-ये भी कहा गया कि प्लेन के ट्रांसपॉडर को ऑफ कर दिया गया, ताकि वो कहां जा रहा है इसका पता ना चले. बताया गया कि प्लेन कुछ देर के लिए तटीय शहर लताकिया में उतरा था, जहां रूस का आर्मी बेस भी है.
-इसके बाद बताया जाता है कि लताकिया से रूसी एयरफोर्स का प्लेन मॉस्को के लिए उड़ा. इसी प्लेन में सवार होकर असद अपने परिवार के साथ मॉस्को पहुंचे. फिर कुछ देर बाद रूस ने कंफर्म किया कि असद और उनके परिवार को पुतिन ने शरण दी है.

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अभी कौन चलाएगा सरकार?
अरब मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के लीडर मोहम्मद अल-बशीर सीरिया के अंतरिम सरकार के मुखिया होंगे. इससे पहले उन्होंने सीरिया के इदलिब राज्य में HTS की सरकार का नेतृत्व किया था. बशर अल असद का ताल्लुक अलावी समुदाय से है. यह समुदाय सीरिया में अल्पसंख्यक है. सीरिया में अलावी समुदाय की आबादी महज 12% है, लेकिन सत्ता इसी अलावी राजवंश के पास थी.

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