चीन लेकर किए गए एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, मैं सरकार की ओर से जवाब दे सकता हूं. मैंने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी और हाल के घटनाक्रमों पर बहुत विस्तृत बयान दिया था. उस बयान में मैंने इस बात पर प्रकाश डाला था कि सैनिकों की वापसी के लिए आखिरी समझौता हो चुका है”.
लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को लेकर सवाल किया. उन्होंने कहा कि मेरा सवाल है कि भारत की नीति है पड़ोसी पहले, लेकिन क्या भारत का कोई ऐसा पड़ोसी है, जो भारत-पहले की नीति रखता हो?” विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेपाल जाने से पहले 17 साल तक भारत से नेपाल की कोई यात्रा नहीं हुई थी. तो क्या इसका मतलब यह है कि भारत में किसी को नेपाल की परवाह नहीं थी? श्रीलंका के लिए, प्रधानमंत्री मोदी के वहां जाने से पहले 30 साल तक कोई द्विपक्षीय यात्रा नहीं हुई थी. इसलिए यात्राएं महत्वपूर्ण हैं, मैं इसे स्वीकार करता हूं. यात्राएं समय, सुविधा, एजेंडे का विषय भी हैं. कई परियोजनाओं का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश हमें प्राथमिकता देते हैं.
चीन लेकर किए गए एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “…मैं सरकार की ओर से जवाब दे सकता हूं. मैंने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी और हाल के घटनाक्रमों पर बहुत विस्तृत बयान दिया था. उस बयान में मैंने इस बात पर प्रकाश डाला था कि सैनिकों की वापसी के लिए आखिरी समझौता हो चुका है, जो देपसांग और डेमचोक से संबंधित है…” मैं माननीय सदस्य को यह भी बताना चाहूंगा कि बयान में यह भी कहा गया था कि भारतीय सुरक्षा बल देपसांग में सभी गश्त बिंदुओं पर जाएंगे और पूर्व की ओर जाएंगे, जो ऐतिहासिक रूप से उस हिस्से में हमारी गश्त की सीमा रही है…”
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