अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जय भट्टाचार्य को एनआईएच का नया निदेशक नियुक्त किया है. भट्टाचार्य कोरोना से निपटने को लेकर राष्ट्रपकि जो बाइडेन की नीतियों के मुखर आलोचक रहे हैं. उन्होंने कोरोना महामारी में लॉकडाउन की आलोचना की थी.
अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अगले साल जनवरी में शपथ लेंगे. लेकिन उसके पहले ही उन्होंने नियुक्तियां करना शुरू कर दिया है.इसी कड़ी में उन्होंने डॉक्टर जय भट्टाचार्य को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) का निदेशक नियुक्त किया है.ट्रंप सरकार को भट्टाचार्य की इस नियुक्ति की सीनेट से मंजूरी लेनी होगी. एनआईएच वैसी ही संस्था है, जैसे भारत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) है. भट्टाचार्य अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में स्वास्थ्य नीति और अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं.उन्होंने एमडी की पढ़ाई और पीएचडी भी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ही की है.
कोरोना महामारी में क्यों की थी लॉकडाउन की आलोचना
भट्टाचार्य का नाम उस समय चर्चा में आया था जब उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन, मास्क पहने और करोना के टीके का बूटस्टर डोज लगाने का विरोध किया था.उनका कहना था कि लॉकडाउन का लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा. इस वजह से भट्टाचार्य को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. उनके आलोचकों में डॉक्टर फ्रांसिस कॉलिंस भी शामिल हैं. डॉक्टर कॉलिंस उसी एनआईएच के पूर्व निदेशक हैं, जिसके लिए भट्टाचार्य को नियुक्त किया गया है.ट
वहीं बारी वीस नाम के एक पत्रकार ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) के कागजात का विश्लेषण कर बताया था कि भट्टाचार्य का नाम उन लोगों में शामिल था, जिनके एकाउंट को गुपचुप तरीके से ब्लॉक कर दिया गया था. एलॉन मस्क ने जब ट्विटर का अधिग्रहण किया तो उन्होंने भट्टाचार्य को यह बताने के लिए आमंत्रित किया था कि कैसे उनकी आवाज को दबाया गया था.
बाइडेन सरकार के खिलाफ गए थे सुप्रीम कोर्ट
कोरोना से निपटने के तरीको को लेकर भट्टाचार्य जो बाइडेन सरकार के भी मुखर आलोचक रहे हैं. इसको लेकर उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी. भट्टाचार्य की दलील थी कि बाइडेन प्रसाशन सोशल मीडिया पर कोविड-19 को लेकर रूढीवादी विचारों को अनुचित तरीके से दबा रहा है. हालांकि इस साल जून में अदालत ने बाइडेन प्रशासन का ही पक्ष लिया था.
I’m so grateful to President Trump for this spectacular appointment. Dr. Jay Bhattacharya is the ideal leader to restore NIH as the international template for gold-standard science and evidence-based medicine. pic.twitter.com/NakHavsblX
— Robert F. Kennedy Jr (@RobertKennedyJr) November 27, 2024
ट्रंप की सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के साथ काम करना है, जो किसी भी तरह के टीके के मुखर विरोधी हैं. एनआईएच स्वास्थ्य विभाग के तहत ही काम करता है.कैनेडी की नियुक्ति ट्रंप ने 14 नवंबर को थी.कैनेडी की नियुक्ति की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ-साथ ट्रंप की अपनी रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने भी आलोचना की थी. क्योंकि कैनेडी कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के मुखर आलोचक रहे हैं. जय भट्टाचार्य के नियुक्ति की कैनेडी ने काफी सरहाना की थी. उन्होंने एक्स पर लिखि एक पोस्ट में कहा था कि एनआईएच की प्रतिष्ठा बहाली के लिए भट्टाचार्य एक आदर्श चुनाव हैं.
किस विषय का करते हैं अध्ययन
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी पर दिए बायोडाटा के मुताबिक जय भट्टाचार्य ने 89 शोध पत्र लिखे हैं और सात किताबें और रिपोर्ट लिखी हैं. भट्टाचार्य के अध्ययन का विषय नीतियों का कमजोर लोगों पर पड़ने वाला प्रभाव है. इसके अलावा उन्होंने 2022 में कुछ दूसरे विषेशज्ञों के साथ मिलकर एक पेपर लिखा था, जिसमें यह बताया गया था कि किस तरह से जापान और कोरिया जैसे देशों के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) की वजह से वहां कोविड का संक्रमण कम फैला और कम लोगों को अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा.
भट्टाचार्य के बायोडाटा के मुताबिक उन्होंने 1997 में यूनिवर्सिटी से मेडिकल की डिग्री पूरी की. उन्होंने 2000 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग से हेल्थकेयर इकोनॉमिक में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है.
एनआईएच करता क्या है
एनआईएच अमेरिका में स्वास्थ्य और जन स्वास्थ्य पर शोध करता है. एनआईएच से अलग-अलग विषयों में शोधकर वाले 27 शोध संस्थान जुड़े हुए हैं. एनआईएच का सालाना बजट करीब 48 अरब डॉलर का है. यह राशि रुपये में करीब 48 अरब रुपये के बराबर है. इसकी तुलना अगर हम भारत के आईसीएमआर के बजट से करें तो सरकार ने उसे 2024-2025 में 2,732.13 करोड़ रुपये का बजट दिया था.
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