Bowel Cancer Prevention: ब्रिटेन के वैज्ञानिक यह पता लगाने पर काम कर रहे है कि क्या अंगूर के रस और वाइन में पाया जाने वाला एक खास तरह का तत्व बाउल कैंसर को दूर कर सकता है.
Bowel Cancer Prevention: बाउल कैंसर, जिसे कोलोरेक्टल कैंसर के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार का कैंसर है जो बड़ी आंत में शुरू होता है, जिसमें कोलोन और रेक्टम शामिल हैं. ब्रिटेन के वैज्ञानिक यह पता लगाने पर काम कर रहे है कि क्या अंगूर के रस और वाइन में पाया जाने वाला एक खास तरह का तत्व आंत्र कैंसर (बाउल कैंसर) को दूर कर सकता है. टीम कैंसर की संभावित रोकथाम के लिए अंगूर, ब्लूबेरी, रास्पबेरी और मूंगफली में पाए जाने वाले प्राकृतिक घटक रेस्वेराट्रोल नामक रसायन की जांच करेगी.
ब्रिटेन के लीसेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए जा रहे परीक्षण में बाउल कैंसर के लिए एस्पिरिन और मेटफॉर्मिन सहित कई संभावित रोकथाम दवाओं का भी परीक्षण किया जा रहा है. हालांकि रेड वाइन पीने से कैंसर से बचाव नहीं होता है और यह एक बड़ा जोखिम कारक है, फिर भी शोध का ध्यान शुद्ध रेस्वेराट्रोल पर केन्द्रित था.
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लीसेस्टर विश्वविद्यालय में ट्रांसलेशन कैंसर अनुसंधान की प्रोफेसर करेन ब्राउन ने कहा, ”उन्नत स्क्रीनिंग विधियों के साथ आंत्र कैंसर का प्रारंभिक पता लगाना आसान हो गया है. उन्होंने आगे कहा कि आंत्र कैंसर को रोकने का सबसे अच्छा तरीका हमारी लाइफस्टाइल में सुधार करना है, धूम्रपान बंद करना, स्वस्थ वजन बनाए रखना और स्वस्थ संतुलित आहार लेना है.” हालांकि कैंसर रिसर्च यूके द्वारा वित्तपोषित नए परीक्षण के साथ टीम का लक्ष्य एक अनूठा प्रयोग करना है, जिससे यह देखा जा सके कि दवाएं बाउल पॉलीप्स को बढ़ने से कैसे रोक सकती हैं. ब्राउन ने कहा कि इन परिणामों का इस बात पर व्यापक प्रभाव हो सकता है कि हम उन लोगों में बाउल कैंसर की रोकथाम कैसे कर सकते हैं, जिनमें उम्र बढ़ने पर यह रोग विकसित होने की सबसे अधिक संभावना होती है.
टीम का लक्ष्य इंग्लैंड और वेल्स में 60 स्थानों पर 1,300 रोगियों को नामांकित करना है. परीक्षण में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के पॉलिप्स को निकाल दिया जाएगा और फिर उन्हें मुख्य ट्रायल में एस्पिरिन और मेटफॉर्मिन या उप-अध्ययन में रेस्वेराट्रोल या प्लेसिबो द्वारा उपचार दिया जाएगा.
एस्पिरिन या एस्पिरिन और मेटफॉर्मिन लेने वाले लोग तीन साल तक रोजाना ये दवाएं लेंगे जबकि रेस्वेराट्रोल या डमी टैबलेट लेने वाले लोग एक साल तक इसे लेंगे. इसके बाद सभी समूहों को कोलोनोस्कोपी दी जाएगी ताकि यह देखा जा सके कि क्या पॉलीप्स फिर से बढ़ने लगे हैं और यदि ऐसा है तो ट्रायल की शुरुआत में हटाए गए पॉलीप्स की तुलना में वे कितने बड़े हैं.
अगर ट्रायल सफल रहा, तो एनएचएस बाउल स्क्रीनिंग प्रोग्राम के लिए योग्य लोगों को टेस्ट किए गए किसी भी इलाज की पेशकश की जा सकती है. इससे बाउल पॉलीप्स बनने की संभावना कम हो सकती है और भविष्य में बाउल कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है.
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