November 15, 2024
क्या होता है डायबिटीज रेमिशन, एक्सपर्ट से जानें इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव

क्या होता है डायबिटीज रेमिशन, एक्सपर्ट से जानें इस बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव​

Diabetes Symptoms: डायबिटीज एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर के अंदर ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है. इसके होने के दो कारण होते हैं.

Diabetes Symptoms: डायबिटीज एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर के अंदर ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है. इसके होने के दो कारण होते हैं.

World Diabetes Day: दुनियाभर में डायबिटीज के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, वो काफी डराने वाले हैं. पिछले कुछ सालों में बच्चों में भी डायबिटीज के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. एनडीटीवी ने डायबिटीज से जुड़े सवालों के जवाब जानने के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एंडोक्राइनोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संदीप खरब (Dr Sandeep Kharb) से बातचीत की और उनसे डायबिटीज के टाइप, लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में जाना.

डायबिटीज के टाइप- (Types of diabetes)

डॉ. संदीप खरब ने बताया कि डायबिटीज एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर के अंदर ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है. इसके होने के दो कारण होते हैं या तो मरीज के शरीर में इंसुलिन कम बनता है. या फिर इंसुलिन बनता है लेकिन वो ठीक से एक्शन नहीं कर पाता. उन्होंने बताया कि डायबिटीज 4 तरह की होती है.

टाइप 1 डायबिटीज – टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) में शरीर में इंसुलिन बनाने की क्षमता खत्म हो जाती है. इंसुलिन एक हार्मोन होता है जो ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने के लिए आवश्यक होता है.

टाइप 2 डायबिटीज – टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन बनता तो है लेकिन काम कम करता है और फिर समय के साथ इंसुलिन बनने की क्षमता भी कम हो जाती है. ज्यादातर लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होता है.

टाइप 3 डायबिटीज – अगर किसी पेशेंट को पैंक्रियाज का ट्यूमर हो गया है या किसी की पेनक्रियाज डिस्ट्रॉय हो गई हैं, तो यह टाइप 3 के सब टाइप में आता है. टाइप 3 के मामले काफी कम देखे जाते हैं.

टाइप 4 डायबिटीज – यह डायबिटीज प्रेगनेंसी के दौरान होती है. गर्भावस्था के अंदर शरीर में बहुत बदलाव होते हैं, और कई बार इस वजह से 6-7 महीने की प्रेगनेंसी के दौरान पेशेंट में शुगर लेवल बढ़ जाते हैं. इसे जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) कहते हैं.

डॉक्टर ने कहा, डेटा के मुताबिक 50 फीसदी महिलाएं जिन्हें जेस्टेशनल डायबिटीज हुआ है, उन्हें 5 से 10 साल के अंदर टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा होता है.

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डायबिटीज के लेट डायग्नोज होने के पीछे वजह- (Reasons behind late diagnosis)
डॉ. संदीप खरब ने कहा कि डायबिटीज के लक्षण शुरुआत में नजर नहीं आते हैं. शुगर 180 होने पर भी लोगों को महसूस नहीं होता कि उन्हें शुगर है इसलिए वो डायग्नोज नहीं कराते. इसके लक्षण तब दिखाई देने शुरू होते हैं जब उनका शुगर लेवल 180 या 200 के लेवल को पार कर जाता है. तब डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा यूरिन आना या ज्यादा प्यास लगना जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं.

किन पेशेंट को डायबिटीज की जल्दी स्क्रीनिंग करवानी चाहिए
डॉ संदीप ने कहा कि अगर भारत में किसी व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 23 से ज्यादा है या उनके परिवार में किसी सदस्य को डायबिटीज की हिस्ट्री रही है, या उन्हें कोलेस्ट्रॉल, बीपी, इनफर्टिलिटी की समस्या है, तो ऐसे लोगों को समय समय पर डायबिटीज की स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए.

डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of diabetes)

1. ज्यादा प्यास लगना
2. जल्दी जल्दी पेशाब आना
3. भूख बहुत ज्यादा लगना
4. शरीर का वजन अचानक से कम हो जाना या बढ़ जाना
5. गर्दन के पास चमड़ी मोटी या काली हो जाना
6. जहां स्किन फोल्ड बनते हैं वहां की स्किन मोटी होना
7. आंखों के आस-पास थक्के से जम जाना
8. नाखून में फंगल इन्फेक्शन, चोट का लंबे समय तक ठीक न होना
9. पांव में चकत्ते नजर आना

डायबिटीज होने पर क्या करें-

डॉ. संदीप ने कहा कि डायबिटीज के मरीज के लिए परहेज करना, टाइम से सोना और उठना, एक्सरसाइज करना, हेल्दी खाना, आर्टिफिशियल स्वीटनर से बचना जरूरी है. उन्होंने कहा कि डायबिटीज के मरीज के लिए हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाना बहुत इंपोर्टेंट है.

डायबिटीज के खतरे को टालने के लिए टिप्स- (Tips to avoid the risk of diabetes)
डॉ संदीप ने कहा कि अगर किसी को डायबिटीज होने का खतरा है तो उसे अपना वजन कम रखना चाहिए. खास तौर पर पेट के आस-पास जो फैट होता है उसे कम करके डायबिटीज होने का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है. हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाएं. अपना मसल मास बिल्ड करें. उन्होंने कहा कि रीसेंट डेटा कहता है कम सोना, लेट सोना और पॉल्यूशन इन सब वजहों से डायबिटीज का खतरा बढ़ता है.

नॉर्मल शुगर लेवल क्या होता है और इसे चेक करने का तरीका? (What is normal sugar level and how to check it?)
डॉक्टर ने समझाते हुए कहा कि अगर खाली पेट शुगर लेवल (Fasting Blood Sugar Level) 100 से कम है तो यह सेफ नंबर है. अगर यह 100 से 125 के बीच है तो यह प्रीडायबिटीज की ओर इशारा करता है. और अगर खाली पेट शुगर 126 से ज्यादा है तो यह डायबिटीज की कैटेगरी में आता है.

डायग्नोज का दूसरा तरीका (Second method of diagnosis)
उन्होंने कहा कि डायबिटीज चेक करने का दूसरा तरीका है कि 75 ग्राम ग्लूकोज देने के दो घंटे के बाद शुगर लेवल चेक किया जाए. शुगर लेवल 140 mg/dL से कम आता है तो यह सामान्य यानी नॉर्मल है. 140 से 199 mg/dL का लेवल प्री-डायबिटीज (Pre-Diabetes) दर्शाता है और 200 mg/dL या इससे ज्यादा डायबिटीज की रेंज में आता है.

डायग्नोज का तीसरा तरीका (Third method of diagnosis)
उन्होंने कहा कि डायबिटीज को डायग्नोज करने का तीसरा तरीका है HbA1c, जिसमें पिछले 3 महीने के एवरेज शुगर के लेवल का अंदाजा लगाया जाता है. अगर किसी इंसान का HbA1c 5.7% से कम है तो वह नॉर्मल यानी सामान्य माना जाता है. अगर यह 5.7- 6.4 है तो प्रीडायबिटीज और 6.5 से ज्यादा होने पर डायबिटीज माना जाता है.

बच्चों में डायबिटीज के मामले बढ़ने की वजह (Reasons for increasing cases of diabetes in children)
डॉ. संदीप ने कहा कि बदली लाइफ स्टाइल की वजह से बच्चों में डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं. हमारे ओपीडी में हर हफ्ते 3-4 बच्चे आते हैं, जो डायबिटीज से पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों में डायबिटीज होने की मुख्य वजह मोटापा है. बच्चों पर पढ़ाई, ट्यूशन, क्लासेज का इतना बोझ है कि उन्हें खेलने का वक्त नहीं मिलता और अगर वो खेलते भी हैं तो मोबाइल पर गेम खेलते है. जंक फूड भी बच्चों में बढ़ते वजन का एक बड़ा कारण है.

उन्होंने समझाते हुए कहा कि जंक फूड का मतलब सिर्फ बाहर का खाना नहीं होता है. जिस खाने में भी न्यूट्रिशन वैल्यू कम है और कैलोरी ज्यादा होती है, वो जंक फूड होता है. समोसे, बर्गर, पिज्जा, पूरी, पकौड़े चाहें आप बाहर खाएं या घर में बनाकर जंक फूड की कैटेगरी में ही आता है. उन्होंने यह भी कहा कि स्टडी कहती है कि जो लोग बचपन में मोटे होते हैं उनके लिए बड़े होकर वेट कम करना काफी मुश्किल होता है. इसलिए बच्चों के बढ़ते वजन पर उनके पेरेंट्स को खास ध्यान रखना चाहिए.

क्या डायबिटीज रिवर्स होता है? (Can diabetes be reversed?)
डॉ. संदीप ने कहा कि डायबिटीज रिवर्सल का मतलब होता है कि डायबिटीज खत्म हो जाना जो काफी हद तक मुमकिन नहीं है. डायबिटीज रेमिशन एक टर्म होता है जिसे अचीव करना मुमकिन है. जैसे किसी को कैंसर हुआ और उसका इलाज हुआ जिससे उसका कैंसर ठीक हो गया लेकिन कैंसर कुछ साल बाद दोबारा लौट सकता है. इसी तरह से डायबिटीज रेमिशन मुमकिन है. जैसे डायबिटीज होने पर मरीज ने दवा ली, अपने लाइफस्टाइल में बदलाव किए और अब उसको दवा की जरूरत नहीं है. लेकिन भविष्य में कभी जरूरत नहीं पड़ेगी ऐसा नहीं कहा जा सकता.

उन्होंने कहा कि अगर किसी मरीज को डायबिटीज हुए कुछ ही साल ही हुए हैं और उसका वजन ज्यादा है. तो वो अपनी लाइफ स्टाइल में बदलाव करके और हेल्दी डाइट के जरिए डायबिटीज रेमिशन (Diabetes remission) की स्टेट में आ सकता है और मुमकिन है कि इस तरह उसे मेंटेन भी रख पाए. लेकिन यह तरीका केवल टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए एप्लीकेबल है. उन्होंने अंत में कहा कि अच्छी आदतों का नुकसान कभी नहीं होता है. इसलिए डायबिटीज के मरीज ही नहीं हर किसी को हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाना चाहिए. इससे वो कई बीमारियों को खुद से दूर रख सकते हैं.

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