November 13, 2024

क्यों कई बार एनेस्थीसिया इंजेक्शन देने के बाद नहीं होता असर? क्या है इसके पीछे की वजह…?​

कई बार एनेस्थीसिया (Anesthesia) फेल हो जाने के मामले भी सामने आते हैं. इसके पीछे क्या वजह होती है, ये जानने के लिए एनडीटीवी ने बात की डॉ दिवेश अरोड़ा (Divesh Arora) से...

कई बार एनेस्थीसिया (Anesthesia) फेल हो जाने के मामले भी सामने आते हैं. इसके पीछे क्या वजह होती है, ये जानने के लिए एनडीटीवी ने बात की डॉ दिवेश अरोड़ा (Divesh Arora) से…

Anesthesia Failure During Surgery: एनेस्थीसिया दिए बिना कोई बड़ी सर्जरी नहीं की जाती है. कई बार छोटी सर्जरी के लिए भी एनेस्थीसिया दिया जाता है, लेकिन कई बार इसके फेल हो जाने के मामले भी सामने आते हैं. इसके पीछे क्या वजह होती है, ये जानने के लिए एनडीटीवी ने बात की डॉ दिवेश अरोड़ा (Divesh Arora) से, जो फरीदाबाद के एशियन हॉस्पिटल में एनेस्थीसिया एंड ओटी सर्विसेज के डायरेक्टर और हेड हैं.

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किन वजहों से एनेस्थीसिया हो सकता है फेल? (Reasons For Anesthesia Failure)

डॉ दिवेश अरोड़ा ने कहा, इसे ठीक से समझाने के लिए जनरल एनेस्थीसिया (General Anesthesia), लोकल (Local Anesthesia) और रीजनल एनेस्थीसिया (Regional Anesthesia) को अलग-अलग कैटेगरी में बांटना होगा. सबसे पहले लोकल एनेस्थीसिया के बारे में बात करें तो एक सर्जन भी मरीज को लोकल एनेस्थीसिया दे सकता है. स्टडीज में ये बात सामने आई है कि जिनको कभी बिच्छू ने डंक मारा होता है उन लोगों पर लोकल एनेस्थीसिया का कई बार असर नहीं होता है, क्योंकि लोकल एनेस्थीसिया जिन चैनलों पर काम करता है, बिच्छू का जहर उन चैनलों को डिस्टॉर्ट कर देता है. इस वजह से कई पर लोकल एनेस्थीसिया का ऐसे व्यक्ति पर असर नहीं होता है. इसलिए एनेस्थीसिया देने से पहले हमेशा मरीज की हिस्ट्री पूछ लेनी चाहिए.

उन्होंने आगे बताया कि रीजनल एनेस्थीसिया में कभी ऐसे मामले सामने आ जाते हैं कि डोज कम दे दी गई, या प्रॉपर जो साइट है वहां डोज नहीं दी गई, ऐसे मामलों में भी कई बार असर नहीं होता है. वहीं जनरल एनेस्थीसिया की बात करें तो जैसे जब कोई कार से दूर का सफर तय कर रहा होता है तो टायर पंचर होने की आशंका के चलते हमेशा अपने साथ में एक एक्स्ट्रा स्टेपनी रखता है. तो जनरल एनेस्थीसिया हमारे लिए स्टेपनी की तरह काम करता है.

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जनरल एनेस्थीसिया में कई बार देरी से इफेक्ट होता है:

डॉ अरोड़ा ने कहा कि कई मरीज लंबे समय से एपिलेप्सी की दवाइयां ले रहे होते हैं. ये दवाएं लिवर के एंजाइम्स को इंड्यूस्ड कर देती हैं. ज्यादातर एनेस्थीसिया ड्रग्स लिवर और किडनी से ही बाहर निकलती हैं. एंजाइम्स इंड्यूस्ड होने का मतलब होता है कि मेटाबॉलिज्म फास्ट होगा. इसलिए जितनी कैलकुलेटर डोज मरीज को दी गई है वो जल्दी मेटाबोलाइज्ड हो जाएगी उससे असर कम होगा तो ऐसे मामलों में डोज बढ़ानी पड़ती है. लेकिन जनरल एनेस्थीसिया बहुत कम फेल होता है.

जनरल एनेस्थीसिया की रेयर कॉम्प्लिकेशन (Rare Complication of General Anesthesia)

डॉ अरोड़ा ने बताया कि जनरल एनेस्थीसिया की एक बहुत रेयर कॉम्प्लिकेशन एक्सीडेंटल अवेयरनेस अंडर जनरल एनेस्थीसिया है . इसका मतलब ये है कि इंसान को बेहोश होने के बावजूद किसी वजह से सर्जरी के दौरान होने वाली बातें सुनाई दे रही होती हैं. लेकिन ऐसे मामले बहुत कम देखे गए हैं. 1000 में से मुश्किल से एक दो ऐसे मामले निकलते हैं.

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उन्होंने आगे कहा कि इसके होने का कारण हम तीन फैक्टर्स में बांट सकते हैं. पेशेंट फैक्टर, सर्जरी फैक्टर और एनेस्थीसिया. जब पेशेंट ट्रॉमा की सर्जरी के लिए आता है, तब उसका ब्लड प्रेशर कम होता है. ऐसी स्थिति में हम डोज कम दे पाते हैं, तो अवेयरनेस के चांसेस हो सकते हैं. कार्डियक सर्जरी में इस तरह के मामले देखे गए हैं. एनेस्थीसिया के जो रिस्क फैक्टर हैं उसमें इक्विपमेंट के सही तरीके से काम न करने का चांस बहुत कम होता है. जैसे इक्विपमेंट दिखा रहा है कि डोज डिलीवर हो रही है जबकि वास्तव में डिलीवर नहीं हो पाई किसी वजह से. तो ऐसे में मरीज पूरी तरह बेहोश नहीं होगा. इसे ही एक्सीडेंटल अवेयरनेस अंडर जनरल एनेस्थीसिया बोलते हैं जो बहुत रेयर है.

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