“खुलेआम घूम रहे हैं अपराधी, डर के साए में पीड़ित” : केरल और बंगाल की घटना पर राष्ट्रपति मुर्मू ने जताई चिंता​

 राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि, कुछ मामलों में, साधन-सम्पन्न लोग अपराध करने के बाद भी निर्भीक और स्वच्छंद घूमते रहते हैं.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने लक्षित अपराधों से पीड़ित महिलाओं को समाज से समर्थन की कमी पर चिंता जताई है.  राष्ट्रपति की यह टिप्पणी महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर देशभर में आक्रोश के बीच आई है. गौरतलब है कि कोलकाता के एक अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना और मलयालम फिल्म उद्योग में जाने-माने अभिनेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न और बलात्कार के एक दर्जन से अधिक मामलों को लेकर देश भर में लोग गुस्से में हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि, कुछ मामलों में, साधन-सम्पन्न लोग अपराध करने के बाद भी निर्भीक और स्वच्छंद घूमते रहते हैं. जो लोग उनके अपराधों से पीड़ित होते हैं, वे डरे-सहमे रहते हैं, मानो उन्हीं बेचारों ने कोई अपराध कर दिया हो.

यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि, कुछ मामलों में, साधन-सम्पन्न लोग अपराध करने के बाद भी निर्भीक और स्वच्छंद घूमते रहते हैं। जो लोग उनके अपराधों से पीड़ित होते हैं, वे डरे-सहमे रहते हैं, मानो उन्हीं बेचारों ने कोई अपराध कर दिया हो।

— President of India (@rashtrapatibhvn) September 1, 2024

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रही थी. राष्ट्रपति ने कहा कि महाभारत में उच्चतम न्यायालय के ध्येय वाक्य, ‘यतो धर्मः ततो जयः’, का उल्लेख कई बार हुआ है, जिसका भावार्थ है कि ‘जहां धर्म है, वहां विजय है’. – राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, ‘न्याय और अन्याय का निर्णय करने वाला धर्म शास्त्र है…मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका में लोगों का विश्वास सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया है. न्याय की तरफ आस्था और श्रद्धा का भाव हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त और 1 सितंबर को जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिला न्यायपालिका से 800 से अधिक प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया. इस मौके पर  राष्ट्रपति और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अदालती मामलों को टालने की प्रथा का समाधान खोजने और “तारीख पर तारीख” संस्कृति की आम धारणा को तोड़ने का आह्वान किया. 

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