Delhi Air Pollution:दिल्ली की हवा के गिरती क्वालिटी के बाद भी CAQM यानी कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने अब तक ग्रैप का तीसरा फेज लागू नहीं किया है. क्योंकि उनका मानना है कि तेज हवा के चलते प्रदूषण कम होकर बहुत खराब श्रेणी में आ जाएगा.
दिल्ली की हवा में सांस लेना अब सेहत के लिए खतरनाक हो गया है. बढ़ते प्रदूषण और पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने के धुएं से राजधानी गैस चेंबर में तब्दील हो गई है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड यानी CPCB के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 452 हो गया है. यानी अब दिल्ली की हवा ‘बेहद गंभीर कैटेगरी’ में पहुंच गई है. CPCB ने बुधवार देर रात दिल्ली के अलग-अलग इलाकों के एयर क्वालिटी इंडेक्स जारी किए हैं. आंकड़ों के मुताबिक, नजफगढ़ की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है. यहां AQI 482 रिकॉर्ड हुआ है. दूसरे नंबर पर नेहरू नगर है, जहां AQI 480 तक पहुंच गया है. इसके बाद आनंद विहार इलाके की हवा में प्रदूषण है.
दिल्ली की हवा के गिरती क्वालिटी के बाद भी CAQM यानी कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने अब तक ग्रैप का तीसरा फेज लागू नहीं किया है. क्योंकि उनका मानना है कि तेज हवा के चलते प्रदूषण कम होकर बहुत खराब श्रेणी में आ जाएगा.
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कहां कितना AQI?
दिल्ली के अलीपुर का AQI 443, आनंद विहार का 474, अशोक विहार का 478, बवाना का 464, चांदनी चौक का 416, CRRI मथुरा रोड का AQI 425, इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का 457, दिलशाद गार्डन का 407 रिकॉर्ड हुआ.
नरेला का AQI 447, नेहरू नगर का AQI 480, दिल्ली यूनिवर्सिटी नॉर्थ कैंपस का 448, द्वारका का 444, ओखला फेज-2 का 461, पटपड़गंज का 475, पंजाबी बाग का 462, पूसा का 448, आरके पुरम का 477 और रोहिणी का AQI 458 रिकॉर्ड हुआ. इसके साथ ही ITO दिल्ली का AQI 446, जहांगीरपुरी का 468, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का 444, लोधी रोड का 349, नजफगढ़ का AQI 482 रिकॉर्ड हुआ.
PM10 में 5% की बढ़ोतरी
CPCB के लेटेस्ट आंकड़ों में सामने आया कि इस साल 1 जनवरी से 12 नवंबर के बीच दिल्ली का वार्षिक औसत PM 10 पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 5% और PM 2.5 7% ज्यादा रहा है. इस साल PM10 का औसत 193.25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है, जो पिछले वर्ष के 184.25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जनवरी से 12 नवंबर के बीच राष्ट्रीय राजधानी में 116 दिन ऐसे रहे, जब AQI ‘खराब’, ‘बहुत खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया. आंकड़ों में सामने आया कि 201 दिन एक्यूआई ‘अच्छा’, ‘संतोषजनक’ या ‘मध्यम’ श्रेणी में रहा. दिल्ली में पिछले साल 110 दिन वायु गुणवत्ता ‘खराब’ और 206 दिन ‘अच्छी’, ‘संतोषजनक’ और ‘मध्यम’ श्रेणी में रही.
NCR की हवा भी हुई खराब
गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में मंगलवार को वायु गुणवत्ता ‘खराब’ रही थी. वहीं, फरीदाबाद में एक्यूआई ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज किया गया. CPCB के मुताबिक, दिल्ली के 36 निगरानी केंद्रों में से 30 ने वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर’ करार दिया.
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क्या है AQI?
एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक तरह का टूल है. इससे पता चलता है कि किसी इलाके की हवा कितनी खराब है. AQI से हवा में मौजूद एयर पॉल्यूटेंट्स से हमारी सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं? इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है. AQI में ग्राउंड लेवल ओजोन, पार्टिकल पॉल्यूशन, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं.
AQI का लेवल?
0-50 के AQI का मतलब है कि हवा अच्छी है. 51-100 AQI का मतलब है कि एयर क्वालिटी ठीक-ठाक है. 101 से 150 के AQI को शारीरिक तौर पर सेंसेटिव लोगों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. 151-200 के AQI को सभी तरह के लोगों के लिए खराब माना जाता है. 201-300 के AQI को बहुत अनहेल्दी माना जाता है. 301 से 500 का AQI बहुत खराब कैटेगरी में आता है.
पॉल्यूशन से हो रहा ब्रेन स्ट्रोक और हार्टफेल
साइंस मैगजीन लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक हालिया स्टडी के मुताबिक, एयर पॉल्यूशन से सबराकनॉइड हैमरेज (Subarachnoid Haemorrhage) यानी SAH के मामले बढ़ रहे हैं. यानी लोगों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले आ रहे हैं. विकलांगता और कई मामलों में हार्टफेल के लिए भी एयर पॉल्यूशन एक कारण होती है.
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