ग्रीनलैंड क्यों खरीदना चाहते हैं ट्रंप, कितना चुकानी होगी कीमत ? जानें सब कुछ​

 अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर डेनमार्क के स्वशासित क्षेत्र और दुनिया के सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड को खरीदने की इच्छा जाहिर की है. उन्होंने 2019 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी इस मुद्दे पर विचार किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की. ग्रीनलैंड वास्तव में किसका है? और ट्रंप आखिर क्यों ग्रीनलैंड को अमेरिका का हिस्सा बनाना जाते हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.  1867 में खरीदा था अलास्का: ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अमेरिका ने पहले कोई क्षेत्र नहीं खरीदा हो. देश के सबसे बड़े राज्य अलास्का को वाशिंगटन ने 1867 में रूस से खरीदा था. अलास्का और ग्रीनलैंड दोनों ही क्षेत्रों में ठंडी जलवायु, कम जनसंख्या घनत्व, रणनीतिक लोकेशन और तेल भंडार हैं. 586,412 वर्ग मील वाले अलास्का की कीमत तब 7.2 मिलियन डॉलर थी, जो आज लगभग 153.5 मिलियन डॉलर है.ग्रीनलैंड की कीमत कितनी है: एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 836,000 वर्ग मील में फैले ग्रीनलैंड की कीमत अलास्का की समायोजित कीमत से 50% अधिक होने के आधार पर अनुमानित 230.25 मिलियन डॉलर हो सकती है. ग्रीनलैंड की जीडीपी 2021 में 3.24 बिलियन डॉलर थी.ग्रीनलैंड का इतिहास:  डेनमार्क और नॉर्वे एक देश हुआ करते थे. इन्हें डैनो-नॉर्वेजियन क्षेत्र (डेट डैनस्क-नॉर्स्के रीज) के नाम से जाना जाता था. इन्होंने ग्रीनलैंड  क्षेत्र पर संप्रभुता का दावा किया. हालांकि जब 1814 में डेनमार्क और नॉर्वे अलग हुए, तो उनके बीच यह सहमति बनी कि ग्रीनलैंड की कॉलोनी अब से डेनिश क्राउन को हस्तांतरित कर दी जाएगी. 57,000 की आबादी वाला ग्रीनलैंड 600 वर्षों से डेनमार्क का हिस्सा है. जर्मनी ने किया कब्ज़ा:  ग्रीनलैंड करीब 140 साल तक डेनिश राजघराने का हिस्सा रहा था. कोड नाम ‘ऑपरेशन वेसेरुबंग’ के तहत नाजी जर्मनी ने 9 अप्रैल, 1940 को डेनमार्क और नॉर्वे पर हमला कर दिया था. एक दिन के भीतर डेनमार्क ने आत्मसमर्पण कर दिया और उस पर कब्ज़ा कर लिया गया.  ग्रीनलैंड कुछ समय के लिए हिटलर के क्षेत्र का हिस्सा बन गया. लेकिन ग्रीनलैंड की रणनीतिक स्थिति को जानते हुए, संयुक्त राज्य अमेरिका ने तेजी से कार्रवाई की और हिटलर की सेना के ज़मीन पर उतरने से पहले ही ग्रीनलैंड पर कब्ज़ा कर लिया. ग्रीनलैंड पर 1940 से 1945 के बीच पांच साल तक अमेरिका का नियंत्रण रहा.डेनमार्क को सौंपा ग्रीनलैंड: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब हिटलर की मृत्यु हुई, उसके पांच दिन यानी 5 मई, 1945 को डेनमार्क को जर्मन से आज़ाद कर दिया गया था. महीनों बाद, अमेरिका ने ग्रीनलैंड को डेनमार्क को वापस करने का फ़ैसला किया था.ग्रीनलैंड में है ‘होम रूल’: साल 1953 में, डेनमार्क ने आधिकारिक तौर पर ग्रीनलैंड को अपने देश के हिस्से के रूप में एकीकृत कर दिया. इससे ग्रीनलैंड के लोग डेनमार्क के नागरिक बन गए. 1 मई, 1979 को डेनमार्क ने ग्रीनलैंड के निवासियों को शासन का बड़ा हिस्सा सौंपने का फैसला किया था. जिससे उन्हें ‘होम रूल’ की अनुमति मिल गई. लेकिन डेनमार्क ने विदेश मामलों और सुरक्षा के सभी मामलों को अपने पास ही रखा – जो आज भी जारी है.पहले में भी ग्रीनलैंड खरीदने की कोशिश: अमेरिका पहले भी ग्रीनलैंड को खरीदने की संभावनाओं पर विचार कर चुका है. 1946 के अमेरिकी प्रस्ताव में ग्रीनलैंड को 100 मिलियन डॉलर के सोने के बदले खरीदने पर विचार किया गया था, जो आज के 1.6 बिलियन डॉलर से अधिक के बराबर है. अमेरिका ने 1917 में डेनमार्क से यूएस वर्जिन आइलैंड्स को 25 मिलियन डॉलर के सोने (आज के हिसाब से लगभग 616.2 मिलियन डॉलर) में खरीदा था. 1803 में फ्रांस से लुइसियाना को 15 मिलियन डॉलर (आज के हिसाब से लगभग 418.8 मिलियन डॉलर) में खरीदा था.ग्रीनलैंड में क्यों है दिलचस्पी: ग्रीनलैंड में अमेरिकी दिलचस्पी के कई कारण हैं. यह द्वीप उत्तरी अमेरिका से यूरोप तक के सबसे छोटे मार्ग पर स्थित है. इसमें दुर्लभ खनिजों के कुछ सबसे बड़े भंडार हैं, जो बैटरी और उच्च तकनीक वाले उपकरणों के निर्माण में महत्वपूर्ण हैं. ग्रीनलैंड में एक बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा है. क्या है ट्रंप का प्लान? 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने वाले ट्रंप ने हाल ही में कहा कि वह ग्रीनलैंड को संयुक्त राज्य अमेरिका में मिलाने के लिए डेनमार्क के खिलाफ सैन्य या आर्थिक उपायों के इस्तेमाल की संभावना को खारिज नहीं करेंगे. ट्रंप के मुताबिक यह द्वीप चीनी और रूसी जहाजों पर नजर रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं जो आजकर हर जगह नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि हमें आर्थिक सुरक्षा के लिए इसकी जरुरत है.क्या ग्रीनलैंड को खरीदना है आसान? 2019 में, ट्रंप ने डेनमार्क की अपनी यात्रा रद्द कर दी थी. दरअसल प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने अमेरिका के ग्रीनलैंड खरीदने के विचार को खारिज कर दिया था.  डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने हाल ही में डेनिश टीवी से कहा कि ‘ग्रीनलैंड, ग्रीनलैंड के लोगों का है’ और केवल स्थानीय आबादी ही इसके भविष्य का निर्धारण कर सकती है. उन्होंने कहा कि ‘ग्रीनलैंड बिक्री के लिए नहीं है’, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि डेनमार्क को नाटो सहयोगी अमेरिका के साथ घनिष्ठ सहयोग की जरुरत है. (आईएएनएस इनपुट के साथ) NDTV India – Latest