November 6, 2024
चुनाव के समय वक्त बर्बाद न करें, जाकर वोटरों को लुभाएं... 'घड़ी' विवाद पर शरद पवार और अजित पवार गुट को Sc की नसीहत

चुनाव के समय वक्त बर्बाद न करें, जाकर वोटरों को लुभाएं… ‘घड़ी’ विवाद पर शरद पवार और अजित पवार गुट को SC की नसीहत​

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में बीते 24 अक्टूबर को भी सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने अजित पवार गुट को राहत दी थी. अदालत ने कहा था कि NCP (अजित गुट) आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में घड़ी चिह्न का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन उसे चुनावी बैनर और पोस्टर्स में यह लिखना होगा कि यह विवाद का विषय है और कोर्ट में विचाराधीन है.​​​​​

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में बीते 24 अक्टूबर को भी सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने अजित पवार गुट को राहत दी थी. अदालत ने कहा था कि NCP (अजित गुट) आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में घड़ी चिह्न का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन उसे चुनावी बैनर और पोस्टर्स में यह लिखना होगा कि यह विवाद का विषय है और कोर्ट में विचाराधीन है.​​​​​

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 (Maharashtra Assembly Elections) के पहले नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ के विवाद पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले में अजित पवार (Ajit Pawar) गुट को बड़ी राहत दी है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार और अजित पवार की पार्टी को नसीहत भी दी. अदालत ने कहा कि वे कोर्ट में अपना समय बर्बाद न करें, बल्कि चुनाव में जाकर वोटरों को लुभाएं. अदालत ने अजित पवार गुट से कहा कि अखबारों में 36 घंटे के भीतर डिस्क्लेमर छपवाएं कि ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न का मामला कोर्ट में है.

दरअसल, NCP के घड़ी इलेक्शन सिंबल को लेकर शरद पवार गुट ने याचिका दायर की है. इसमें कहा गया कि अजित पवार गुट अदालत का आदेश नहीं मान रहा. इसलिए उसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ‘घड़ी’ चिह्न के इस्तेमाल से रोका जाए. शरद पवार गुट ने इसके साथ ही अजित पवार गुट को नए चिह्न के लिए अप्लाई करने का निर्देश देने की गुजारिश भी की.

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सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में बीते 24 अक्टूबर को भी सुनवाई हुई थी, जिसमें कोर्ट ने अजित पवार गुट को राहत दी थी. अदालत ने कहा था कि NCP (अजित गुट) आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में घड़ी चिह्न का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन उसे चुनावी बैनर और पोस्टर्स में यह लिखना होगा कि यह विवाद का विषय है और कोर्ट में विचाराधीन है.​​​​​

अजित पवार गुट ने कहा- हमने अंडरटेकिंग दी
आज की सुनवाई में अजित पवार की तरफ से वकील बलबीर सिंह ने कहा, “हमने अपना अंडरटेकिंग दाखिल किया है कि हम अदालत के पिछले आदेशों का पालन कर रहे हैं. हमने तस्वीरें भी दाखिल की हैं. इन सबके बावजूद, हमने कुछ समाचार पत्रों से संपर्क किया है और नए अंडरटेकिंग के साथ आ रहे हैं.”

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अजित पवार गुट से सीनियर एडवोकेट बलबीर सिंह ने अदालत में कहा, “हमने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर दी है. हमने घड़ी के चिह्न पर पहले ही 52 नामांकन दाखिल कर दिए हैं. यह नामांकन प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश है.”

शरद पवार गुट ने दी ये दलीलें
शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि अजित पवार गुट के लोग शरद पवार की घड़ी के साथ वीडियो चलाते हैं. फिर वीडियो हटा देते हैं. वे कह रहे हैं कि हम अदालत के आदेश का उल्लंघन करेंगे. कोर्ट आएंगे, रोकेंगे और फिर कुछ और उल्लंघन करेंगे. कोर्ट घड़ी का उपयोग करना बंद करवाए. शरद पवार 30 साल से घड़ी चिन्ह का इस्तेमाल कर रहे थे.”

शरद पवार गुट ने कहा, “अजित पवार गुट झूठ बोल रहे हैं. हर वीडियो के आखिर में एक डिस्क्लेमर था. यह मनगढ़ंत आरोप है. ज़मीन पर जो होता है वह यह है कि ये लोग शरद पवार के वीडियो दिखा रहे हैं, जिसमें घड़ी लगी हुई है.” शरद पवार की ओर से अदालत को एक नवंबर का पोस्टर दिया गया. इसमें कहा गया कि इसमें डिस्कलेमर नहीं है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार से कहा, “हम आपको 24 घंटे और ज्यादा से ज्यादा 36 घंटे की मोहलत देंगे. आप अखबारों में डिस्कलेमर प्रकाशित करें. साथ ही ये सुनिश्चित करें कि आप जिस पर भरोसा कर रहे हैं, वह सच है.”

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NCP में विभाजन के बाद चुनाव आयोग ने 6 फरवरी 2024 को अजित पवार गुट को असली NCP माना था. चुनाव आयोग ने विधायकों की संख्या के बहुमत के आधार पर अजित गुट को ही पार्टी का नाम और घड़ी निशान दिया था. जबकि शरद पवार गुट को नया नाम NCP(शरद चंद्र पवार) और नया निशान (तुरही) दिया था. जिसके बाद शरद पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी.

3 जजों की बेंच ने की सुनवाई
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच के समक्ष जब अजित पवार गुट ने दावा किया कि उन्होंने कोर्ट के निर्देश का पालन किया है. इसपर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि हमारे सामने होर्डिंग्स की तस्वीरें हैं. क्या आप बता सकते हैं कि इसके किस हिस्से में आपका डिस्क्लेमर यानी स्वघोषणा है? इसपर वकील ने कहा कि ये तस्वीरें कब और कहां से ली गई, इसका ही पता नहीं तो हम बताएं कैसे? सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट से अप्रैल और मार्च के आदेश का पालन करने को कहा है.

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