New Year 2025: साल 2025 में देश के 2 बड़े राज्यों दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे, कई बड़ें मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी और काफी लॉन्ग वीकेंड आएंगे.
साल 2025 का आगाज होने जा रहा है. नया साल कई मायनों में खास होने वाला है. साल 2025 में देश के 2 बड़े राज्यों दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे. उधर, सुप्रीम कोर्ट में ‘उपासना स्थल ऐक्ट का परीक्षण’ से लेकर ‘तीन तलाक के खिलाफ कानून को चुनौती’ तक साल 2025 में कई अहम मामलों की सुनवाई करेगा, जिसका असर पूरे देश पर देखने को मिलेगा. इसके अलावा 2025 में कई लॉन्ग वीकेंड आएंगे. इन छुट्टियों में लोग घूमने की प्लानिंग कर सकते हैं. खास बात यह है कि इस साल होली से लेकर दीवाली तक ज्यादातर छुट्टियां वर्किंग-डे पर हैं. चुनाव, छुट्टियां, सुप्रीम कोर्ट के फैसले… आइए आपको देते हैं, साल 2025 की A टू Z जानकारी.
चुनाव 2025
साल 2025 देश की राजनीति के लिए भी काफी अहम रहनेवाला है. अगले साल देश की राजधानी दिल्ली और बड़े राज्य बिहार में विधानसभा चुनाव होंगे. दिल्ली में पिछले 10 सालों से आम आदमी पार्टी की सरकार है. वहीं, बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार है. इन दोनों राज्यों में बीजेपी और अन्य पार्टियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव: राजनीति की बात करें, तो साल 2025 का आगाज दिल्ली में विधानसभा चुनाव से होगा. जनवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली विधानसभा चुनाव का ऐलान किया जा सकता है. दिल्ली में फरवरी में विधानसभा चुनाव होंगे, जिसे लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. दिल्ली में आम आदमी पार्टी और बीजेपी में इस बार कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.
बिहार विधानसभा चुनाव: बिहार में साल 2025 में विधानसभा चुनाव होना है (Bihar Assembly Election 2025). सभी राजनीतिक पार्टियां अभी से ही तैयारी में जुट गई हैं. उधर, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को भी लगभग अंतिम रूप दे दिया है. 6 जनवरी 2025 को चुनाव आयोग मतदाता सूची प्रकाशित करने जा रही है. बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा का चुनाव हो सकता है। इस वक्त वहां नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है.
2025 की छुट्टियां
साल 2025 में कई लॉन्ग वीकेंड आएंगे, लेकिन ज्यादातर हॉलिडे वर्किंग डे पर ही पड़ रहे हैं. ईद से लेकर मकर संक्रांति और दीवाली जैसे त्योहार रविवार के दिन नहीं पड़ रहे हैं. आइए साल 2025 की छुट्टियों पर डालते हैं एक नजर…
साल 2025 के गेजेटेड हॉलिडे
साल 2025 में वैकल्पिक छुट्टियां
सुप्रीम नजर से गुजरेंगे ये केस
सुप्रीम कोर्ट साल 2025 में कई अहम मामलों में सुनवाई करेगा, जिन पर पूरे देश की नजरें रहेंगी. ये ऐसे मामले में जिनका देश पर दूरगामी सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक असर देखने को मिलेगा.
दिल्ली में सर्विसेज का विवाद: केंद्र सरकार ने कानून बनाकर दिल्ली में सर्विसेज का कंट्रोल एलजी के हाथ में दिया था. इस मामले को दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में ले गया. साल 2025 में दिल्ली में सर्विसेज से जुड़े केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई करनी है. सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई 2024 को मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को रेफर कर दिया था.
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कानून : सुप्रीम कोर्ट साल 2025 में मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के प्रावधानों को चुनौती देते हुए दाखिल रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई करेगा. विपक्षी पार्टी इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में लेकर गई है. सुप्रीम कोर्ट ने PMLA ऐक्ट के प्रावधान को चुनौती वाली याचिका 2022 में खारिज कर दी थी. इसके बाद रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई थी.
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का मामला : साल 2025 में भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. इस मामले पर अहम फैसला होना है. कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कह रखा है. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इनकी नियुक्ति के लिए बनाए गए नए कानून को चुनौती गई है.
उपासना स्थल ऐक्ट का परीक्षण : सुप्रीम कोर्ट उपासना स्थल ऐक्ट 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. भारत के चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की विशेष पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. यह कानून 15 अगस्त 1947 की स्थिति के अनुसार, धार्मिक ढांचों की यथास्थिति बनाए रखने और उनके परिवर्तन के लिए कानूनी कार्यवाही पर रोक लगाता है. यूपी के संभल से लेकर उत्तराखंड में मस्जिदों को लेकर चल रहे विवादों पर इस मामले का असर देखने को मिलेगा.
मैरिटल रेप अपराध या नहीं? : साल 2025 में सुप्रीम कोर्ट मैरिटल रेप मामले में सुनवाई करेगा, जो हर शादीशुदा पुरुष से जुड़ा मामला है. इसमें पति को अपवाद में रखे जाने के खिलाफ दाखिल अर्जी को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि वह आईपीसी और बीएनएस में बलात्कार के मामले में पति को अपवाद की श्रेणी में रखे जाने के प्रावधान की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा. आईपीसी की धारा-375 के अपवाद 2 और बीएनएस की धारा-63 में प्रावधान है कि अगर पत्नी बालिग है, तो उसके साथ पति का जबरन संबंध भी बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा. इसके लिए पति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है.
तीन तलाक के खिलाफ कानून को चुनौती : सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में तीन तलाक की प्रथा को खत्म कर दिया था. सरकार ने तीन तलाक को रोकने के लिए कानून बनाया, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर-संवैधानिक करार दिया इसके बावजूद इसकी संख्या कम करने के लिए यह प्रभावी नहीं हो पाया था.
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