जम्मू कश्मीर चुनाव को लेकर महिलाओं में कैसा उत्‍साह… जानें किस पार्टी के उम्‍मीदवार सबसे ज्‍यादा अमीर?​

 Jammu Kashmir Election जम्मू कश्मीर में होने वाले आगामी चुनाव कई मायनों में बेहद अहमियत रखते हैं. 10 साल बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में चुनाव हो रहे हैं और इस बीच प्रदेश में ‘आर्टिकल 370’ हटाया गया. चुनाव में आर्टिकल 370 सबसे बड़ा मुद्दा है. कुछ पार्टी आर्टिकल 370 के पक्ष, तो कुछ इसके खिलाफ खड़ी नजर आ रही हैं. घाटी में पिछले 10 सालों में आतंकवाद पर लगाम लगी है, ये भी एक मुद्दा चुनाव में उठ रहा है. अब जम्‍मू-कश्‍मीर के वोटर इन बदलावों को किस तरह देख रहे हैं, ये चुनाव परिणाम में पता चलेगा. जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने मतदान के लिए पंजीकरण कराया है. वहीं, पहले चरण के उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3 करोड़ रुपये है.

जम्‍मू-कश्‍मीर में भाजपा नेता अमित शाह ने शनिवार को चुनावी बिगुल फूंका और जमकर कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा. उन्‍होंने कहा कि कश्‍मीर में आजाद भारत के इतिहास में पहली बार भारतीय संविधान के तहत चुनाव हो रहे हैं. हमें यकीन है कि जनता उसमें बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेगी. अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में जब आतंकवाद होता था, तब यही कश्मीर में राज करते थे और दिल्ली में काफी पीते थे. आतंकवाद की घटनाएं बढ़ी. लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में 70 फीसदी आतंक की घटनाएं कम होंगी. अगर बीजेपी आई तो आतंकवाद खत्म होगा.

भाजपा ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया था. इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा था कि “यहां अब तक जितनी भी पार्टियां सत्ता में रहीं, सिर्फ और सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति और लोगों के हितों पर कुठाराघात करने का काम किया.” आर्टिकल 370 का जिक्र करते हुए अमित शाह ने कहा था, ‘मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर में अब किसी भी कीमत पर अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं किया जाएगा, चाहे कुछ भी हो जाए. अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद आतंकवाद की कमर टूटी है. अब अगर किसी भी राजनीतिक दल ने यहां सत्ता में आने पर इसे बहाल करने की कोशिश की, तो मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि एक बार फिर से घाटी में आतंकवाद को बल मिलेगा.’

जम्‍मू-कश्‍मीर में पहले चरण के 50% उम्मीदवार करोड़पति हैं और पीडीपी के दावेदार सबसे अमीर हैं. पहले चरण के उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3 करोड़ रुपये है. कुल 13 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके पास कम से कम 10 करोड़ रुपये की संपत्ति है. 219 उम्मीदवारों में से केवल नौ महिलाएं हैं, जो कुल का केवल 4 प्रतिशत है. 

रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के 18 में से 16 उम्मीदवारों की संपत्ति 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है. भारतीय जनता पार्टी के 16 उम्मीदवारों में से 11 ने खुद को करोड़पति घोषित किया, जबकि कांग्रेस के नौ में से आठ उम्मीदवारों ने एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का खुलासा किया. आम आदमी पार्टी के केवल एक उम्मीदवार ने 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का खुलासा किया. पार्टी ने पहले चरण में कुल सात उम्मीदवार उतारे हैं.

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने मतदान के लिए पंजीकरण कराया है. 7,74,462 पंजीकृत मतदाताओं में से 3,87,778 महिलाएं हैं, जबकि 3,86,654 पुरुष हैं और 30 लोगों ने खुद को तीसरे लिंग श्रेणी के तहत पंजीकृत कराया है. जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से, जदीबल खंड में सबसे अधिक 1,12,864 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 56,408 पुरुष और 56,451 महिलाएं और पांच ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं.

हजरतबल निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 1,12,541 है, जिनमें 56,175 पुरुष और 56,366 महिलाएं हैं. सेंट्रल शाल्टेंग विधानसभा सीट पर कुल पंजीकृत मतदाता 1,07,770 हैं, जिनमें से 54,185 पुरुष और 53,576 महिलाएं हैं जबकि नौ ट्रांसजेंडर मतदाता हैं. लाल चौक निर्वाचन क्षेत्र में 1,07,199 मतदाता हैं – 53,425 पुरुष और 53,773 महिलाएं, इसके अलावा एक ट्रांसजेंडर वोट है.

जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को लेकर शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधा था. इस पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता आलोक शर्मा ने आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए भाजपा पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि अमित शाह केंद्रीय गृहमंत्री हैं, लेकिन उनको समझ नहीं आता कि आर्टिकल 370 अभी भी संविधान का हिस्सा है.  कांग्रेस नेता आलोक शर्मा ने कहा, अमित शाह केंद्रीय गृहमंत्री हैं, लेकिन उनको अभी तक ये नहीं पता है कि आर्टिकल 370 अभी भी संविधान का हिस्सा है. आपने केवल दो बदलाव किए हैं. शाह ने खुद संसद में खड़े होकर कहा था कि कांग्रेस ने 36 बदलाव किए और भाजपा ने सिर्फ दो बदलाव किए, उसमें से भी एक को वापस ले लिया.

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देना ही है, तो छीना क्यों? पूर्ण राज्य का दर्जा छीनने से घाटी की आर्थिक व्यवस्था पंगु हो चुकी है.  कांग्रेस नेता ने कहा राज्य का दर्जा दिए बगैर क्यों चुनाव करा रहे हैं? आपकी न नीयत स्पष्ट है, न ही नीति. वहां निर्वाचित सरकार भी कठपुतली ही होगी. उसके पास कोई शक्ति नहीं होगी. हम दिल्ली और पुडुचेरी को देख ही चुके हैं. 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर शनिवार को कांग्रेस से सवाल किया कि वह अलगाववाद वाले लोगों के साथ क्यों खड़ी है? भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व सहयोगी और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जो बयान दिया है, उसने कांग्रेस और इंडी गठबंधन के खौफनाक इरादों को जनता के सामने रख दिया है. अगर उमर अब्दुल्ला ऐसा बयान देते हैं कि अफजल गुरु को फांसी देने के लायक वो केस नहीं समझते हैं, तो इसको लेकर कांग्रेस से सवाल करना चाहिए कि उनके कार्यकाल में जांच एजेंसियों ने जो किया वो गलत था क्या? दूसरा सवाल कांग्रेस पार्टी से ये पूछना चाहता हूं कि उनके समय में सुप्रीम कोर्ट ने अफजल गुरु को फांसी देने का निर्णय दिया था, क्या वो गलत था?

जम्मू-कश्मीर में मतदान तीन चरणों में होंगे, पहले चरण के लिए मतदान 18 सितंबर, दूसरे चरण के लिए 25 सितंबर और अंतिम चरण के लिए 1 अक्टूबर को होगा. चुनाव परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. चुनाव आयोग के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 90 निर्वाचन क्षेत्रों में 87.09 लाख मतदाता हैं। इनमें 42.6 लाख महिलाएं हैं। यहां पहली बार वोट देने वाले युवा मतदाताओं की संख्या 3.71 लाख है जबकि कुल मिलाकर 20.7 लाख युवा मतदाता हैं, जिनकी आयु 20 से 29 वर्ष के बीच है.
 

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