November 15, 2024
जर्मनी में मिला बनारस में छपा 180 पुराना पंचांग, रहस्यमयी पन्नों को डिकोड करने में लगे सोशल मीडिया यूजर्स

जर्मनी में मिला बनारस में छपा 180 पुराना पंचांग, रहस्यमयी पन्नों को डिकोड करने में लगे सोशल मीडिया यूजर्स​

Reddit पर AcceptableTea8746 नाम से जाने जाने वाले यूजर ने टेक्स्ट से भरे दो पीले पन्नों की तस्वीरें शेयर की है, जो संस्कृत में लिखी नजर आ रही है.

Reddit पर AcceptableTea8746 नाम से जाने जाने वाले यूजर ने टेक्स्ट से भरे दो पीले पन्नों की तस्वीरें शेयर की है, जो संस्कृत में लिखी नजर आ रही है.

हाल ही में एक व्यक्ति ने Reddit पर जर्मनी के पिस्सू बाजार में मिले एक अज्ञात देवनागरी टेक्स्ट की पहचान करने के लिए ऑनलाइन मदद मांगी. Reddit पर AcceptableTea8746 नाम से जाने जाने वाले यूजर ने टेक्स्ट से भरे दो पीले पन्नों की तस्वीरें शेयर की हैं, जो संस्कृत में लिखी नजर आ रही हैं. उन्होंने यूजर्स से इन पन्नों की पहचान करने और इस पर क्या लिखा है ये बताने में मदद मांगी. पोस्ट को कैप्शन देते हुए रेडिट यूजर ने लिखा, “जर्मनी के हैम्बर्ग में पिस्सू बाजार में यह मिला. क्या आप मुझे बता सकते हैं कि यह क्या है?” व्यक्ति ने सबरेडिट r/india पर अपनी पोस्ट में लिखा.

यहां देखें पोस्ट

Found this on a flea market in Hamburg, Germany. Can you tell me what it is?
byu/AcceptableTea8746 inindia

सोशल मीडिया यूजर्स ने पोस्ट पर तुरंत कमेंट्स देने शुरू कर दिए. उनमें से कई ने इस पाठ को वाराणसी में छपे ‘पंचांग’ से संबंधित बताया. ‘पंचांग’ एक हिंदू कैलेंडर और ज्योतिष पंचांग है, जिसका उपयोग शुभ समय निर्धारित करने और धार्मिक अनुष्ठानों की योजना बनाने के लिए किया जाता है.

एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बनारस शहर (वर्तमान में वाराणसी कहा जाता है) में छपा एक बहुत पुराना पंचांग है. पंचांग एक हिंदू कैलेंडर होता है.” एक अन्य ने लिखा, “यह एक हिंदू कैलेंडर है, जिसे पंचांग के नाम से जाना जाता है, जिसे भार्गव प्रेस द्वारा छापा गया है. इस प्रेस का स्वामित्व और प्रबंधन पंडित नवल किशोर भार्गव के पास था, जो अपने समय के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक थे. उनकी महत्ता का उल्लेख फिल्म “मिर्जा गालिब” में भी किया गया है, जहां उन्होंने गालिब के लिए प्रकाशन करने से मना कर दिया था. अगर मैं गलत नहीं हूं तो यह कैलेंडर कम से कम 150 से 180 साल पुराना है. मुझे यह इसलिए पता है क्योंकि वे हमारे पूर्वज थे, लगभग 5 पीढ़ियों पहले से हमारे रिश्तेदार. उनके वंशज अभी भी लखनऊ में रहते हैं, लेकिन वे अब प्रेस का संचालन नहीं करते हैं.”

एक यूजर ने लिखा, ‘यह पंचांग है.. जिसका उपयोग ज्यादातर हर दिन ग्रहों की स्थिति को बताने के लिए किया जाता है. इसका उपयोग ज्यादातर पुरोहित करते हैं, जो लोगों के घरों में पूजा करते हैं.’

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