February 25, 2025
जस्टिन ट्रूडो को पीएम रहने के बाद भी किस बात का अफसोस, उन्होंने खुद बताया; जानें क्या कहा?

जस्टिन ट्रूडो को पीएम रहने के बाद भी किस बात का अफसोस, उन्होंने खुद बताया; जानें क्या कहा?​

भारत विरोधी नीतियों के लिए मशहूर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह करीब 9 वर्षों तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। पार्टी में बढ़ते आंतरिक असंतोष और उनकी लोकप्रियता में कमी आने के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।

भारत विरोधी नीतियों के लिए मशहूर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह करीब 9 वर्षों तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। पार्टी में बढ़ते आंतरिक असंतोष और उनकी लोकप्रियता में कमी आने के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।

कनाडा के 23वें प्रधानमंत्री और एक दशक से ज़्यादा समय तक लिबरल पार्टी के नेता रहे जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी. इसके साथ ही उनके 9 साल के कार्यकाल का भी अंत हो गया. ओटावा में एक खचाखच भरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में 53 वर्षीय नेता ने अपनी उपलब्धियों, चुनौतियों का जिक्र किया. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि उन्हें किस बात का अफसोस रह गया. उन्होंने कहा कि इस साल देश में होने वाले आम चुनावों के दौरान भी यह बात उन पर हावी होती रहेगी.

ट्रूडो को किस बात का अफसोस

जस्टिन ट्रूडो ने कहा, “अगर मुझे किसी एक बात का अफसोस है, खासकर इस चुनाव के करीब आने पर तो शायद कई सारे अफसोस हैं जिनके बारे में मैं सोचूंगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि हम इस देश में अपनी सरकारों को चुनने के तरीके को बदल पाएं, ताकि लोग उसी बैलेट पर आसानी से दूसरा विकल्प या तीसरा विकल्प चुन सकें.” ट्रूडो का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब लिबरल पार्टी गिरते हुए मतदान आंकड़ों, आंतरिक कलह से जूझ रही है. पियरे पोलिएवर के नेतृत्व में कंजर्वेटिव विपक्ष से फिर से मजबूत हो रहा है.

ट्रूडो ने स्वीकार किया कि उनकी पार्टी और उनके नेतृत्व के सामने आने वाली चुनौतियां बहुत बड़ी हैं क्योंकि कनाडा इस साल के अंत में होने वाले महत्वपूर्ण चुनावों की तैयारी कर रहा है. ट्रूडो ने कहा, “यह देश अगले चुनाव में एक वास्तविक विकल्प का हकदार है, और यह मेरे लिए स्पष्ट हो गया है कि यदि मुझे आंतरिक लड़ाई लड़नी पड़ रही है, तो मैं उस चुनाव में सबसे बढ़िया विकल्प नहीं हो सकता.”

ट्रूडो आखिर क्यों पीछे हटे

जब उन्होंने 2015 में लिबरल्स को पहली बार जीत दिलाई, तो ट्रूडो को एक प्रगतिशील की मशाल लेकर चलने वाला बताया गया. उन्होंने कई वादे किए जलवायु कार्रवाई और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों की वकालत की. बढ़ती लीविंग कॉस्ट और अपनी ही पार्टी के भीतर पनपे असंतोष के अलावा कई मुद्दों पर आलोचना का सामना करते हुए, ट्रूडो ने एक कठिन चुनाव अभियान का सामना करने के बजाय पीछे हटने का विकल्प चुना.

दक्षिणपंथ का उदय

चूंकि ट्रूडो और उनकी पार्टी को कम रेटिंग का सामना करना पड़ रहा है, पियरे पोलीवरे ट्रूडो की आर्थिक और सामाजिक नीतियों के कट्टर आलोचक हैं. ट्रूडो की घोषणा के बाद एक बयान में, पोलीवरे ने समर्थकों को एक वीडियो संदेश में कहा, “हम खर्च को सीमित करेंगे, करों में कटौती करेंगे, काम को पुरस्कृत करेंगे, घर बनाएंगे, अपराध रोकेंगे, सीमाओं को सुरक्षित करेंगे और कनाडा को सबसे पहले रखेंगे.”

अब आगे की क्या राह

जस्टिन ट्रूडो के पद छोड़ने के फैसले ने लिबरल पार्टी के भीतर नेतृत्व की दौड़ के लिए नया मंच तैयार कर दिया है. संभावित दावेदारों के बारे में अटकलें पहले से ही लगाई जा रही हैं, जिनमें बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी, वर्तमान विदेश मंत्री मीनी जोली और खुद फ्रीलैंड शामिल हैं, भले ही उन्होंने जस्टिन ट्रूडो की हाल ही में आलोचना की हो.

पार्टी की नेशनल एग्जिक्यूटिव की इस सप्ताह बैठक होने की उम्मीद है, जिसमें नए नेता के चयन की प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार की जाएगी. इसमें महीनों लग सकते हैं. ट्रूडो को कनाडा के गवर्नर जनरल से 24 मार्च तक संसदीय कार्यवाही स्थगित करने की अनुमति मिल गई है, जिससे लिबरल्स को हाउस ऑफ कॉमन्स में विपक्ष का सामना करने से पहले फिर से संगठित होने का समय मिल जाएगा.

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