November 25, 2024
जानलेवा है सेप्सिस इंफेक्शन, 2020 में अकेले भारत में 2.9 मिलियन मौतें, ऑर्गन हो जाते हैं फेल

जानलेवा है सेप्सिस इंफेक्शन, 2020 में अकेले भारत में 2.9 मिलियन मौतें, ऑर्गन हो जाते हैं फेल​

World Sepsis Day: सेप्सिस के कारण गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें ऑर्गन फेल्योर, सेप्टिक शॉक और उच्च मृत्यु दर शामिल हैं. जीवित बचे लोगों को लॉन्ग टर्म इफेक्ट जैसे कि पुरानी मांसपेशियों की कमजोरी, दर्द, थकान और कॉग्नेटिव प्रोब्लम्स का सामना करना पड़ सकता है.

World Sepsis Day: सेप्सिस के कारण गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें ऑर्गन फेल्योर, सेप्टिक शॉक और उच्च मृत्यु दर शामिल हैं. जीवित बचे लोगों को लॉन्ग टर्म इफेक्ट जैसे कि पुरानी मांसपेशियों की कमजोरी, दर्द, थकान और कॉग्नेटिव प्रोब्लम्स का सामना करना पड़ सकता है.

World Sepsis Day: विशेषज्ञों ने शुक्रवार को विश्व सेप्सिस दिवस पर कहा कि सेप्सिस से बचने के लिए तत्काल इलाज बहुत जरूरी है. यह एक ऐसी जानलेवा आपात स्थिति है जो इंफेक्शन के इम्यून रिएक्शन के कारण होती है. विश्व सेप्सिस दिवस हर साल 13 सितंबर को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों की जान लेने वाली इस विनाशकारी स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. अकेले 2020 में वैश्विक स्तर पर सेप्सिस के 48.9 मिलियन मामले सामने आए, जिससे 11 मिलियन मौतें हुईं, जो वैश्विक स्तर पर होने वाली सभी मौतों का 20 प्रतिशत है.

यह भी पढ़ें:न्यूट्रिशनिष्ट ने बताए बरसात में खाने के लिए 3 सब्जियों के नाम और फायदे, क्या आप खा रहे हैं इनको?

लो और मीडियम आय वाले देशों में सबसे ज्यादा मौतें

यह बोझ खासतौर से लो और मीडियम आय वाले देशों में ज्यादा है, जहां सेप्सिस से संबंधित 85 प्रतिशत मौतें होती हैं. भारत में 2020 में 11.3 मिलियन मामले और 2.9 मिलियन मौतें हुईं, जो बेहतर रोकथाम, जल्दी डायग्नोस और प्रभावी ट्रीटमेंट स्ट्रेटजी की तत्काल जरूरत को बताते हैं.

सेप्सिस के रिस्क फैक्टर्स:

सेप्सिस के कारण गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें ऑर्गन फेल्योर, सेप्टिक शॉक और उच्च मृत्यु दर शामिल हैं. जीवित बचे लोगों को लॉन्ग टर्म इफेक्ट जैसे कि पुरानी मांसपेशियों की कमजोरी, दर्द, थकान और कॉग्नेटिव प्रोब्लम्स का सामना करना पड़ सकता है.

जानलेवा आपात स्थिति है सेप्सिस:

एस्टर आरवी अस्पताल के प्रमुख सलाहकार, क्रिटिकल केयर डॉ. चिन्नादुरई आर ने बताया, “सेप्सिस एक जानलेवा आपात स्थिति है, जिसमें संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया कंट्रोल से बाहर हो जाती है, जिससे अंगों को नुकसान पहुंचता है और कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है.”

गंभीर स्थिति अक्सर निमोनिया, यूरिन ट्रैक्ट इंफेक्शन, पेट के संक्रमण या ब्लड फ्लो के संक्रमण जैसे जीवाणु संक्रमण के कारण होती है. इन्फ्लूएंजा और कोविड-19 जैसे वायरस भी सेप्सिस को ट्रिगर कर सकते हैं, जबकि फंगल और परजीवी संक्रमण कम आम कारण हैं.

यह भी पढ़ें:तेजी भरेगा शरीर में विटामिन बी12 का लेवल, सिर्फ खाएं ये 10 चीजें, नहीं लेनी पड़ेगी कोई दवा

तुरंत इलाज जरूरी:

चिन्नादुरई ने कहा, “तुरंत इलाज जरूरी है और इसमें शुरुआती पहचान, पहले घंटे के भीतर व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स देना और फोड़े को निकालकर या संक्रमित टिश्यू को हटाकर संक्रमण के स्रोत को कंट्रोल करना शामिल है.” पारस हेल्थ गुरुग्राम में संक्रामक रोगों के सलाहकार डॉ. आकाशनील भट्टाचार्य ने कहा: “सेप्सिस की रोकथाम के लिए सावधानी बरतना ज़रूरी है, जैसे कि अच्छी स्वच्छता का पालन करना, घावों को साफ रखना और उन्हें ढककर रखना, टीकाकरण करवाते रहना और संक्रमण बढ़ने से पहले समय पर मेडिकल केयर लेना”

एक्सपर्ट्स ने सार्वजनिक शिक्षा, प्रारंभिक उपचार को सेप्सिस को प्रभावी ढंग से मैनेज करने के लिए ट्रेनिंग देने और एविडेंस बेस्ड गाइडलाइन्स को फॉलो करने के जरिए सेप्सिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने की भी बात कही. समय पर पहचान और इलाज के साथ सेप्सिस से अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु की दर में काफी कमी लाई जा सकती है.

Video: Heart Attack: युवाओं में बढ़ रहे हैं हार्ट अटैक के मामले, Cardiologist से समझिए इससे बचने के उपाय

NDTV India – Latest

Copyright © asianownews.com | Newsever by AF themes.