December 23, 2024
'डेटा विशिष्टता' का प्रावधान क्या है, इसके लागू होने से दवाएं हो जाएंगी कितनी महंगी

‘डेटा विशिष्टता’ का प्रावधान क्या है, इसके लागू होने से दवाएं हो जाएंगी कितनी महंगी​

डेटा की विशिष्टता भारत के दवा, कृषि और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. यह कंपनियों को डेटा विशिष्टता अवधि के खत्म होने तक जेनेरिक या बायोसिमिलर उत्पादों के उत्पादन से रोकता है. इस वजह से पेटेंट खत्म होने के बाद भी दवाएं सस्ती नहीं हो पाती हैं.

डेटा की विशिष्टता भारत के दवा, कृषि और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. यह कंपनियों को डेटा विशिष्टता अवधि के खत्म होने तक जेनेरिक या बायोसिमिलर उत्पादों के उत्पादन से रोकता है. इस वजह से पेटेंट खत्म होने के बाद भी दवाएं सस्ती नहीं हो पाती हैं.

डेटा की विशिष्टता भारत के दवा, कृषि और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. यह कहना है स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन का. डेटा की विशिष्टता पर लिखे एक ब्लॉग में महाजन ने कहा है कि टैरिफ और ट्रेड जनरल एग्रीमेंट (जीएटीटी) के बाद से ही यह विषय विवाद का विषय रहा है.

क्या है डेटा विशिष्टता

डेटा विशिष्टता उस अवधि को बताता है, जिस दौरान एक निर्माता किसी जेनेरिक या समान उत्पाद के अनुमोदन का समर्थन करने के लिए मौजूद डेटा पर भरोसा नहीं कर सकता है. यह कंपनियों को डेटा विशिष्टता अवधि के खत्म होने तक जेनेरिक या बायोसिमिलर उत्पादों के उत्पादन से रोकता है. इसका परिणाम यह हो रहा है कि किफायती विकल्पों को लाने में ही देरी हो रही है. इसका सीधा असर उपभोक्ता पर पड़ रहा है, खासकर दवा के क्षेत्र में. दवा के क्षेत्र में पेटेंट खत्म होने के बाद दवाओं की दरों में कटौती कर उसकी पहुंच को आसाना बनाना सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.

महाजन का कहना है कि भारत का दवा उद्योग किसी दवा का पेटेंट खत्म होने के बाद उसका जेनरिक वर्जन बनाने में सक्षम है. इससे दवाओं की कीमतों में 90 फीसदी तक कमी आती है. इसने पीएम जन औषधि केंद्र जैसी योजनाओं को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस योजना के तहत जेनरिक दवाओं को कम कीमत पर बेचा जाता है. डेटा विशिष्टता लागू होने से इस तरफ के फायदों पर विराम लग सकती है.इससे लोगों को दवाओं के लिए अधिक कीमत देनी पड़ सकती है.

डेटा विशिष्टता पर सरकार का रुख

सरकार का रुख डेटा विशिष्टता के खिलाफ है. इसके बाद भी बहुराष्ट्रीय कंपनियां और विदेशी सरकारें विशेष रूप से मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के जरिए इसे शामिल करने पर जोर दे रही हैं.ऐसे प्रयास दो दशक से अधिक समय से काफी हद तक असफल रहे हैं.लेकिन हालिया घटनाक्रम एक नए सिरे से दबाव डालने का संकेत दे रहे हैं. यह घरेलू उद्योगों और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है.

महाजन कृषि और किसान कल्याण विभाग की ओर से इस साल चार नवंबर को जारी एक आदेश का उदाहरण देते हैं. इस इस आदेश के मुताबिक कृषि रसायनों के लिए डेटा संरक्षण से संबंधित प्रावधानों का पता लगाने और उनका जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है. यह आदेश, डेटा संरक्षण नियामक की जरूरतों और डेटा संरक्षण पर दुनिया की बेहतर प्रथाओं का अध्ययन करने के लिए जारी किया गया है. यह उन नए अणुओं और कीटनाशकों को पेश करने के इरादे से जारी किया गया है जिनका कोई विकल्प नहीं है. इनका उद्देश्य आक्रामक कीटों और बीमारियों से प्रमुख फसलों को होने वाले नुकसान से बचाना है.

डेटा विशिष्टता का प्रभाव क्या होगा

भारत ने व्यापार वार्ताओं में डेटा विशिष्टता का लगातार विरोध किया है. महाजन का कहना है कि 2019 के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) से इसकी वापसी आंशिक तौर पर दवा कंपनियों की पेटेंट शर्तों को सामान्य 20 साल से आगे बढ़ाने के प्रावधानों के कारण थी. उन्होंने कहा कि इस तरह उपायों से सस्ती दवाओं तक पहुंच को खतरा है.महाजन ने अपने ब्लॉग में लिखा है,”ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपिय संघ समेत मुक्त व्यापार समझौतों में डेटा विशिष्टता का मुद्दा भारतीय उद्योग, खासकर दवा और रसायन के लिए चिंता का प्रमुख कारण है.

महाजन कहते हैं कि कीटनाशक प्रबंधन विधेयक पर 2015 के एक नोट समेत सरकारी नोटों में लगातार डेटा विशिष्टता को ट्रिप्स-प्लस (Trade Related Intellectual Property Rights) के रूप में चिह्नित किया गया है. इनमें कहा गया है कि यदि ये प्रावधान कृषि-रसायनों तक बढ़ाए जाते हैं,तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां का इसे दवा कंपनियों पर भी लागू करने का दबाव होगा. इससे जेनेरिक दवाएं बनाने में देरी होगी और कीमतें बढ़ेंगी.

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