अमेरिका में चुनाव हैं. ऐसे में वर्तमान सरकार के मुखिया है राष्ट्रपति जो बाइडेन. ये डेमोक्रैट्स की सरकार है. इनसे पहले अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे. डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के नेता हैं और इस बार पार्टी की ओर से राष्ट्रपति के दावेदार भी हैं. जो बाइडेन इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और उनकी जगह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस चुनाव मैदान में हैं. वर्तमान समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर वैश्विक दबाव जरूर है. ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप जब चुनाव प्रचार कर रहे हैं तो वह लोगों से यह कहते नजर आ रहे हैं कि वर्तमान सरकार के काम की तुलना उनकी सरकार के काम से की जाए. वे लोगों से यह कह रहे हैं किस सरकार में हालात बेहतर थे इसे देखा जाए और फिर वोट किया जाए.
US Presidential election : Trump Vs Biden administration: अमेरिका में चुनाव हैं. ऐसे में वर्तमान सरकार के मुखिया है राष्ट्रपति जो बाइडेन. ये डेमोक्रैट्स की सरकार है. इनसे पहले अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे. डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के नेता हैं और इस बार पार्टी की ओर से राष्ट्रपति के दावेदार भी हैं. जो बाइडेन इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और उनकी जगह उपराष्ट्रपति कमला हैरिस चुनाव मैदान में हैं. वर्तमान समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर वैश्विक दबाव जरूर है. ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप जब चुनाव प्रचार कर रहे हैं तो वह लोगों से यह कहते नजर आ रहे हैं कि वर्तमान सरकार के काम की तुलना उनकी सरकार के काम से की जाए. वे लोगों से यह कह रहे हैं किस सरकार में हालात बेहतर थे इसे देखा जाए और फिर वोट किया जाए.
लगातार अपनी चुनावी रैलियों में डोनाल्ड ट्रंप वर्तमान डेमोक्रैट्स की सरकार पर अर्थव्यस्था से लेकर बाकी सारे आर्थिक मोर्चों पर फेल होने का आरोप लगा रहे हैं साथ ही अपने कार्यकाल के दौरान के आंकड़े दिखा रहे हैं. मतदाताओं को उनकी बातें पसंद भी आ रही हैं और बहुत सारे लोगों को कमला हैरिस की सोच पसंद आ रही है.
बाइडेन के आते ही मिली कोविड महामारी
जब ट्रंप लगातार अपनी सरकार कामयाबी का दावा कर रहे हैं तो यह भी जरूरी हो जाता है कि यह देखा जाए कि उनके कार्यकाल में अर्थव्यवस्था कैसी थी और जो बाइडेन के कार्यकाल में अर्थव्यस्था कैसी है. यहां गौर करने की बात यह है कि जब ट्रंप सत्ता से हटे थे तब दुनिया कोविड महामारी से पीड़ित थी और बाइडेन को सत्ता में आते ही इस महामारी के दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ा. रायटर की खबर के मुताबिक आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान अमेरिकी लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी करीब दो साल गिर गई थी और कोविड ने अमेरिका में 3,50,000 लोगों की जान ले ली थी.
कोविड में अमेरिकी अर्थव्यवस्था गिरी
इसमें कोई दो राय नहीं कि ट्रंप के चुनाव हारने और राष्ट्रपति पद से हटने के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने सबसे खराब तिमाहियों में से एक का अनुभव किया, जब अप्रैल से जून तक सकल घरेलू उत्पाद में 28% की वार्षिक दर से गिरावट आई थी. लेकिन, इसके बाद के तीन महीनों में एक चौंकाने वाली वापसी हुई. कोविड दौर के देखते हुए बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य संकट के माध्यम से परिवारों को बचाए रखने के लिए दोनों पक्षों द्वारा अनुमोदित लाभों पर संघीय घाटे के खर्च का परिणाम स्वरूप यह स्थिति बनी थी.
जीडीपी ट्रंप से बेहतर हुई
जीडीपी की बात की जाए तो ट्रंप के कार्यकाल से वर्तमान सरकार के समय में जीडीपी बेहतर है . आंकड़े बताते हैं कि ट्रंप के कार्यकाल के अंतिम दिनों से यदि आज के आंकड़ों की तुलना की जाए तो अर्थव्यवस्था 11.5 प्रतिशत की बेहतर है. यह वह दौर था जब ट्रंप के कार्यकाल में सर्वोच्च ऊंचाई पर अर्थव्यवस्था थी.
महंगाई या कहें इनफ्लेशन
अमेरिकी लोगों के लिए 2021 से महंगाई का दौर चला वह थमने का नाम नहीं ले रहा है. यह एक दुखद पहलू है जिससे अमेरिकी लोग परेशान हैं . आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका में पिछले 40 सालों में वर्तमान में सबसे तेजी से महंगाई बढ़ रही है. 1980 में जिमी कार्टर को दूसरी बार चुनाव जीतने में इसी वजह से दिक्कत हुई थी. जिमी कार्टर भी डेमोक्रैट्स की से राष्ट्रपति थे और उनका दूसरा कार्यकाल इसी वजह से नहीं हो पाया था. उन्हें तब रोनाल्ड रेगन ने बहुत बड़े अंतर से हराया था. कमला हैरिस को भी यदि इस चुनाव में कोई चिंता सता रही है तो वह यही आंकड़े हैं. कमला हैरिस महंगाई के मुद्दे पर लोगों के बीच फंसती तो स्पष्ट रूप से कहती हैं वह जल्द इस काबू पाएंगी. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार इसी मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जा रहे हैं और डेमोक्रैट्स को हराने की बात कह रहे हैं. वैसे इसमें कोई दो राय नहीं है कि महंगाई ऐसा मुद्दा है जो हर घर और हर जेब पर असर करती है. इसलिए यह एक मुद्दा कमला हैरिस के खिलाफ जा सकता है.
आय
एक और बात जो अमेरिकी उपभोक्ताओं के बीच ज्यादा असर नहीं करती है वह यह कि यदि महंगाई के साथ आय में वृद्धि होती है तो सब ठीक है. लेकिन यदि इसमें नेगेटिव असर है तो उनके लिए चिंता का विषय है. कुल मिलाकर आय वृद्धि ने मुद्रास्फीति के साथ तालमेल बनाए रखा तो ठीक है और तालमेल बिगड़ा तो सबके लिए दिक्कत है. आंकड़ों से यह पता चलता है कि यह बेहतर स्थिति था. जो बाइडेन के कार्यकाल में महंगाई के चलते बढ़ी हुई आय भी नेगेटिव तालमेल में है जिसकी वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बेरोजगारी
जहां तक अमेरिका में बेरोजगारी दर की बात की जाए तो आंकड़ों से यह दिखाई देता है कि ट्रंप के कार्यकाल में यह आंकड़ा थोड़ा बेहतर था. लेकिन इसमें यह ध्यान रखना जरूरी हो जाता है कि बाइडेन के शासन में आते ही कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में कहर ढा दिया था और बेरोजगारी को बढ़ा दिया था. फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने नोट किया है, महामारी से पहले ट्रम्प के तहत श्रम बाजार मजबूत था. बाद में बिडेन के तहत भी यह वापस आ गया.
ट्रंप के कार्यकाल के अंतिम दिनों से यदि बाइडेन के कार्यकाल के अंतिम दिनों की तुलना की जाए तो ट्रंप के कार्यकाल से ज्यादा अंतर नहीं है. महामारी के वर्षों के तेज उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करते हुए, बेरोजगारी दर 2017 से 2019 की तुलना में इस वर्ष 2022 तक औसतन थोड़ी कम थी.
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