November 20, 2024
तमिलनाडु के नेताओं ने Lic पर हिंदी थोपने का लगाया आरोप, कंपनी ने तकनीक खामी बताया

तमिलनाडु के नेताओं ने LIC पर हिंदी थोपने का लगाया आरोप, कंपनी ने तकनीक खामी बताया​

राष्ट्रीय बीमा कंपनी ने बताया कि उसकी ‘‘कॉर्पोरेट वेबसाइट कुछ तकनीकी समस्या के कारण भाषा पृष्ठ को परिवर्तित नहीं कर पा रही थी.’’ एलआईसी इंडिया अपने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ जारी पोस्ट में कहा, ‘‘समस्या का समाधान कर लिया गया है और वेबसाइट अंग्रेजी/हिंदी भाषा में उपलब्ध है. असुविधा के लिए हमें बेहद खेद है - टीम एलआईसी.’’

राष्ट्रीय बीमा कंपनी ने बताया कि उसकी ‘‘कॉर्पोरेट वेबसाइट कुछ तकनीकी समस्या के कारण भाषा पृष्ठ को परिवर्तित नहीं कर पा रही थी.’’ एलआईसी इंडिया अपने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ जारी पोस्ट में कहा, ‘‘समस्या का समाधान कर लिया गया है और वेबसाइट अंग्रेजी/हिंदी भाषा में उपलब्ध है. असुविधा के लिए हमें बेहद खेद है – टीम एलआईसी.’’

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने मंगलवार को अपनी वेबसाइट पर ‘‘भाषा पृष्ठ को बदलने में आई समस्या के लिए तकनीकी खामी’ को जिम्मेदार ठहराया है. सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी ने यह स्पष्टीकरण तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और अन्य नेताओं द्वारा कथित तौर पर हिंदी थोपने के प्रयास के लिए एलआईसी की कड़ी आलोचना करने के बाद दिया है.

राष्ट्रीय बीमा कंपनी ने बताया कि उसकी ‘‘कॉर्पोरेट वेबसाइट कुछ तकनीकी समस्या के कारण भाषा पृष्ठ को परिवर्तित नहीं कर पा रही थी.” एलआईसी इंडिया अपने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ जारी पोस्ट में कहा, ‘‘समस्या का समाधान कर लिया गया है और वेबसाइट अंग्रेजी/हिंदी भाषा में उपलब्ध है. असुविधा के लिए हमें बेहद खेद है – टीम एलआईसी.”

इससे पहले दिन में बीमा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी को अपने होम पेज को केवल हिंदी में शुरू करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इससे ग्राहकों के लिए उस भाषा को न जानने के कारण वेबसाइट का इस्तेमाल करना मुश्किल हो गया था.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने एलआईसी की वेबसाइट पर हिंदी भाषा के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि वेबसाइट को हिंदी थोपने के लिए एक प्रचार उपकरण बना दिया गया है. मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स पर एलआईसी के हिंदी वेबपेज का ‘स्क्रीनशॉट’ साझा करते हुए लिखा, ‘‘एलआईसी की वेबसाइट हिंदी थोपने के लिए प्रचार का साधन बनकर रह गई है. यहां तक ​​कि अंग्रेजी चुनने का विकल्प भी हिंदी में प्रदर्शित किया गया है!”

उन्होंने दावा किया कि यह कुछ और नहीं बल्कि जबरन संस्कृति और भाषा को थोपना और भारत की विविधता को कुचलना है. स्टालिन ने ‘हैशटैग हिंदी थोपना बंद करो’ के साथ पोस्ट किया, ‘‘एलआईसी की स्थापना सभी भारतीयों की सहायता के लिए की गई थी. इसकी हिम्मत कैसे हुई कि वह अपने अधिकांश अंशदाताओं को धोखा दे? हम इस भाषाई अत्याचार को तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं.”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक डॉ. एस रामदास ने इस कदम को अन्य भाषा-भाषी लोगों पर हिंदी को ‘स्पष्ट रूप से थोपना’ करार दिया. उन्होंने कहा कि एलआईसी का यह प्रयास अत्यधिक निंदनीय है क्योंकि यह गैर-हिंदी भाषी लोगों के बीच एक भाषा को ‘थोपने’ का प्रयास है.

डॉ. रामदास ने ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘केवल हिंदी को अचानक प्राथमिकता देना स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि एलआईसी के ग्राहक भारत में विभिन्न भाषाओं के लोग हैं.” उन्होंने याद दिलाया कि केंद्र और उसके अधीन कार्यरत अन्य संस्थाएं सभी वर्गों की हैं, न कि केवल हिंदी भाषी आबादी की. पीएमके संस्थापक ने कहा, ‘‘इसलिए भारतीय जीवन बीमा निगम के होम पेज को तुरंत अंग्रेजी में बदला जाना चाहिए और तमिल संस्करण की वेबसाइट शुरू की जानी चाहिए.”

ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के महासचिव ई.के. पलानीस्वामी ने एलआईसी की वेबसाइट को पूरी तरह हिंदी में करने की आलोचना की और कहा कि संशोधित वेबसाइट फिलहाल उन लोगों के लिए अनुपयोगी है जो उस भाषा को नहीं जानते.

तमिलनाडु विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पलानीस्वामी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ वेबसाइट पर भाषा बदलने का विकल्प भी हिंदी में है और उसे ढूंढना संभव नहीं है. यह निंदनीय है कि केंद्र सरकार हिंदी थोपने के लिए किसी भी हद तक जा रही है.”

तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के. सेल्वापेरुन्थगई ने इस मुद्दे पर केंद्र की कड़ी आलोचना करते हुए उससे गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी भाषा थोपने की सभी गतिविधियों को तुरंत बंद करने को कहा.

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