तिरुपति के लड्डुओं में एनिमल फैट मिलने के बाद संगम नगरी के मंदिरों में प्रसाद को लेकर बने नियम, चढ़ावे पर भी रोक​

 तिरुपति के प्रसाद विवाद के बीच NDTV ने प्रयागराज के सिविल लाइंस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर और प्रयागराज के कोतवाल कहे जाने वाले संगम स्थित लेटे बड़े हनुमान मंदिर परिसर में बने प्रसाद की दुकानों का मुआयना किया.

आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित तिरुमाला बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी में एनिमल फैट मिलने के बाद पूरे देश के मंदिरों में खलबली मची हुई है. ऐसे में देशभर में मंदिरों का संचालन करने वाले ट्रस्ट और व्यवस्थापकों ने मंदिर परिसर के अंदर बनी दुकानों के प्रसाद की क्वालिटी पर ध्यान देने का आदेश दिए हैं. कई मंदिरों में ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं से अपील भी की है कि वो मंदिर के बाहर की दुकानों से भगवान को चढ़ाने के लिए प्रसाद न खरीदे, बल्कि मंदिर परिसर में ही बनी दुकानों से प्रसाद खरीदे.

तिरुपति मंदिर में मिलावटी प्रसाद के विवाद के बीच NDTV ने संगम नगरी प्रयागराज (इलाहाबाद) में दो बड़े प्रसिद्ध मंदिरों का जायज़ा लिया. हमने प्रयागराज के सिविल लाइंस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर और प्रयागराज के कोतवाल कहे जाने वाले संगम स्थित लेटे बड़े हनुमान मंदिर परिसर में बने प्रसाद की दुकानों का मुआयना किया. दोनों ही मंदिरों में बजरंग बलि को खासतौर से बेसन का लड्डू, मोतीचूर का लड्डू और पेड़े का प्रसाद चढ़ाया जाता है.

सिविल लाइंस स्थित हनुमान मंदिर के अंदर बनी दुकानों के दुकानदारों का कहना है कि यहां बिकने वाले प्रसाद के बारे में हर चीज़ का ट्रस्ट ही फैसला लेता है. मंदिर में प्रसाद की दुकान लगाने वाले भरत ने दावा किया कि उनके प्रसाद की क्वालिटी अच्छी होती है. ट्रस्ट ही प्रसाद का रेट तय करता है. इन मंदिर परिसरों में देसी घी से ही लड्डू बनाए जाते हैं.

सिविल लाइंस स्थित हनुमान मंदिर में प्रसाद की बिक्री पर पड़ा असर
हालांकि, तिरुपति मंदिर के प्रसाद विवाद के बाद यहां आने वाले श्रद्धालु दुकानदारों से प्रसाद की क्वालिटी के बारे में भी पूछ रहे हैं. लिहाजा प्रसाद की बिक्री पर भी थोड़ा बहुत असर पड़ा है. लोकल श्रद्धालु सिर्फ दर्शन के लिए आ रहे हैं. प्रसाद नहीं चढ़ा रहे.

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लेटे हनुमानजी जी मंदिर में ट्रस्ट करता है दुकानों की देखरेख
संगम में लेटे हनुमानजी जी मंदिर के अंदर प्रसाद की दुकानों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. मतलब प्रसाद की बिक्री में पहले जैसे ही है. ट्रस्ट ही इन दुकानों की देखरेख करता है. हालांकि, मंदिर के कपाट खुले तीन से चार दिन ही हुए हैं, क्योंकि यहां पानी बढ़ने के बाद बाढ़ के बीच मंदिर कई दिनों तक बंद रहा है. जो श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं, वो सिर्फ यही से प्रसाद खरीद कर भगवान को चढ़ाते है. बाहर का प्रसाद यहां चढ़ाना मना है.

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ललिता देवी मंदिर में बाहरी प्रसाद के चढ़ावे पर रोक
दूसरी ओर, प्रयागराज के एक और प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां ललिता देवी मंदिर में बाहरी प्रसाद के चढ़ावे पर रोक लगा दी गई है. मां ललिता देवी मंदिर में बकायदा पोस्टर लगाकर श्रद्धालुओं से बाहर का प्रसाद नहीं लाने की अपील की गई है. श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वो नवरात्रि के दौरान मंदिर में प्रसाद स्वरूप सिर्फ मेवा, फल और फूल ही चढ़ाएं.

क्या कहते हैं पुजारी?
ललिता देवी मंदिर के मुख्य पुजारी शिव मूरत मिश्रा ने बताया, “मंदिर के पिलर और मुख्य द्वार पर लगाए गए पोस्टर में बाहरी प्रसाद को न चढ़ाने का आग्रह भक्तों से किया गया है. शुद्धता को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. मंदिर प्रबंधन के फैसले का असर भी दिखाई देने लगा है. यहां आने वाले भक्त मेवा, फल और फूल ही चढ़ाने के लिए आ रहे हैं.”

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