पुलिस के अनुसार, उन्हें 11 अक्टूबर को सराय काले खां इलाके में एक महिला के खून से लथपथ पड़े होने की सूचना मिली थी.
मानसिक रूप से अस्वस्थ ओडिशा की एक महिला को पिछले महीने सराय काले खां इलाके में अगवा करके उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. उसने बताया कि पीड़िता पहले शोधकर्ता के रूप में काम कर चुकी है.
अधिकारियों ने बताया कि 10 अक्टूबर को कथित सामूहिक दुष्कर्म के बाद पीड़िता का दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उपचार किया जा रहा है. वह अपने परिवार को बताए बिना नौ मई को दिल्ली आ गई थी जिसके बाद परिवार ने पुरी में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी.
पुलिस ने बताया कि महिला के पास भुवनेश्वर स्थित उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर की डिग्री है, वह वहां शोधार्थी रही है तथा सामाजिक क्षेत्र में उसे आठ वर्षों से अधिक का अनुभव है.उन्होंने बताया कि कथित बलात्कार के एक दिन बाद उसे बचा लिया गया था, जब उसने प्रारंभिक बयान दिया था, लेकिन अपनी बीमारी के कारण वह पुलिस जांच या अस्पताल के कर्मचारियों के साथ आगे सहयोग नहीं कर सकी.
बाद में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में खुद को पेश करने वाले एक पुलिस अधिकारी ने एक मूल ओडिया भाषी की मदद से समय के साथ उसका विश्वास जीत लिया और उससे महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई. पहली गिरफ्तारी 30 अक्टूबर को की गई और उसके बाद अन्य दो आरोपियों को हिरासत में लिया गया.
पुलिस के अनुसार, उन्हें 11 अक्टूबर को सराय काले खां इलाके में एक महिला के खून से लथपथ पड़े होने की सूचना मिली थी.
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) (दक्षिणपूर्व) रवि कुमार सिंह ने कहा, ‘‘पुलिस कर्मी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे, जहां पीड़िता को बहुत बुरी स्थिति में पाया गया और उसे मेडिकल जांच तथा देखभाल के लिए एम्स के ‘ट्रॉमा सेंटर’ ले जाया गया. अस्पताल पहुंचने पर पीड़िता ने वहां मौजूद चिकित्सक को बताया कि तीन व्यक्तियों ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया है.” सिंह ने बताया कि प्रारंभिक बयान के बाद पीड़िता अपने स्वास्थ्य संबंधी कारण से जांच में सहयोग नहीं कर सकी.
डीसीपी ने कहा, ‘उसकी प्रोफाइल की जांच करते समय, टीम को पता चला कि वह भुवनेश्वर में उत्कल यूनिवर्सिटी ऑफ कल्चर से सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर है. उसने विभिन्न विकास संगठनों में सक्रिय रूप से योगदान दिया है. उसने एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के लिए कलिंग नेटवर्क में रिसर्च फेलो, स्वच्छता जागरूकता के लिए महिला शक्ति में सामुदायिक नेता और पुरी में वन स्टॉप सेंटर में काउंसलर के रूप में भी काम किया है.’
उन्होंने बताया कि वह नौ मई को अपने परिवार को बताए बिना दिल्ली आ गई थी. उन्होंने बताया कि उसके माता-पिता ने नौ जून को पुरी के कुंभारपाड़ा पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की कुल 10 टीम गठित की गईं और 700 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई. आरोपियों की पहचान प्रभु महतो, प्रमोद उर्फ बाबू तथा मोहम्मद शमसुल के रूप में हुई है.
डीसीपी के अनुसार, पूछताछ के दौरान प्रमोद ने बताया कि उसने 10 अक्टूबर को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक महिला को बैठे देखा था. उसने महिला के मानसिक रूप से अस्वस्थ्य होने का फायदा उठाते हुए शारीरिक रूप से दिव्यांग भिखारी शमसुल के साथ मिलकर उसका यौन उत्पीड़न करने की साजिश रची. सिंह ने बताया कि वे उसे जबरन एक सुनसान इलाके में ले गए और अपराध को अंजाम दिया.
उन्होंने बताया कि इस घटना को ऑटो चालक प्रभु महतो ने देखा था और उसने भी उस लड़की के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया. डीसीपी ने बताया कि इसके बाद महतो ने पीड़िता को सराय काले खां के पास फेंक दिया और भाग गया. डीसीपी ने बताया कि पीड़िता ओडिशा की रहने वाली है और काफी पढ़ी लिखी है.
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