चांदनी चौक में अवैध निर्माण केस : सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि सिर्फ साइट का निरीक्षण नहीं, निगम के मामलों पर भी गौर किया जाना चाहिए. अवैध व्यावसायिक निर्माण की अनुमति कैसे दी गई? इस मामले में जांच क्यों नहीं कराई जानी चाहिए?
चांदनी चौक में अवैध निर्माण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले में सीबीआई जांच कराने के लिए इच्छुक है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अवैध निर्माण को नियमित नहीं किया जा सकता, चाहे वह कितना भी पुराना हो. कोर्ट की टिप्पणी इस बात पर आधारित है कि चांदनी चौक में बिल्डर अवैध निर्माण कर रहे हैं और एमसीडी अपनी आंखें बंद कर बैठी है. इस मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ टीम की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि सिर्फ साइट का निरीक्षण नहीं, निगम के मामलों पर भी गौर किया जाना चाहिए. अवैध व्यावसायिक निर्माण की अनुमति कैसे दी गई? इस मामले में जांच क्यों नहीं कराई जानी चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट ने MCD से कहा- बिल्डर इस तरह निर्माण करते हैं और आप आंखें मूंद लेते हैं? कोई जनहित याचिका दायर करता है और आप अचानक जाग जाते हैं. हम कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने MCD से जवाब दाखिल करने को कहा है. एक हफ्ते बाद फिर मामले की सुनवाई होगी.
जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल उठाते हुए कहा कि चांदनी चौक में अवैध और अनाधिकृत निर्माण को लेकर MCD को फटकार लगाई. जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह ने मामले की सुनवाई की और एमसीडी से कड़े सवाल किए. हालांकि, MCD ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उसने सीलिंग व तोड़फोड़ आदि की कार्रवाई की है.
ये याचिका डॉ एस जेटली ने दायर की है, जिन्होंने चांदनी चौक में कटरा नील के निवासियों की ओर से दायर की है. याचिका में कहा गया है कि चांदनी चौक में बाग दीवार में एक संपत्ति पर अनाधिकृत और अवैध वाणिज्यिक निर्माण किया जा रहा है, जो एक आवासीय क्षेत्र है.
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