दिल्ली चुनाव 2025: लोकसभा में क्लीन स्वीप करने वाली BJP विधानसभा में क्लीन बोल्ड क्यों हो जाती है?​

 दिल्ली में विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर लोकसभा चुनाव में बीजेपी के वोट शेयर से भी अधिक रहा है. लोकसभा चुनाव के कुछ ही दिनों के बाद होने वाले चुनाव में जनता के मूड में यह बड़ा बदलाव पिछले 2 चुनाव से देखने को मिला है.

दिल्ली की सत्ता से भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) पिछले 26 साल से दूर है.  दिल्ली में पहले कांग्रेस ने 15 साल और अब आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की 10 साल से सरकार है. हालांकि इस दौरान एक बात यह रही है कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से नंबर दो पर बनी रही है.  बीजेपी के वोट शेयर में भी बड़ी गिरावट नहीं हुई है. विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन का असर लोकसभा चुनावों पर नहीं देखने को पड़ता है. लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की इस दौरान बीजेपी के उम्मीदवारों को 70 विधानसभा में से 52 सीटों पर बढ़त मिली थी. 

बीजेपी पिछले तीन चुनावों से दिल्ली की सभी लोकसभा सीटें जीतती रही है. लगातार सत्ता में रहने के बाद भी आम आदमी पार्टी को अब तक दिल्ली की किसी भी लोकसभा सीट पर कभी भी जीत नहीं मिली है. आइए जानते हैं क्या हैं इसके पीछे के कारण और क्यों भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में पिछड़ जाती है. लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी का जलवा कायम रहता है. पहले जरा विधानसभा और लोकसभा में सीटवार गणित को जरा समझिए और देखिए कैसे लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पिटने वाली AAP विधानसभा चुनाव में करिश्माई प्रदर्शन करती रही है… 

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स्थानीय बनाम राष्ट्रीय मुद्दे
लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में मतदाता अलग सोच के साथ मतदान करते रहे हैं. लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर आधारित होते हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की नीतियां अहम भूमिका निभाती हैं. बीजेपी का मजबूत प्रचार और ब्रांड मोदी का प्रभाव इसमें मददगार साबित होता है.

विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों (जैसे बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य) पर आधारित होते हैं. दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की जमीनी स्तर पर पकड़ और उनके लोकल इश्यू पर फोकस बीजेपी के लिए चुनौती हमेशा रही है.  बीजेपी अब तक इसका काट नहीं खोज सकी है. 

पीएम मोदी के चेहरे की ही तरह केजरीवाल भी दिल्ली में लोकप्रिय
अरविंद केजरीवाल का व्यक्तिगत करिश्मा और “काम की राजनीति” का नारा उन्हें दिल्ली के मतदाताओं के बीच बेहद लोकप्रिय बनाता है. उनके नेतृत्व में AAP ने स्थानीय जरूरतों को केंद्र में रखकर योजनाएं चलाई हैं, जो सीधे जनता को लाभ पहुंचाती हैं.बीजेपी के पास दिल्ली में ऐसा कोई स्थानीय नेता नहीं है जो केजरीवाल को टक्कर दे सके.  लोकसभा के चुनाव में पीएम मोदी के नाम पर जनता बीजेपी को वोट करती है वहीं विधानसभा चुनाव में मजबूत नेता का अभाव बीजेपी में देखने को मिलता है. 

“मिनी-वेलफेयर स्टेट” का मॉडल

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के अंतर्गत सस्ती बिजली, मुफ्त पानी, और सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में सुधार को प्राथमिकता दी है. ये मुद्दे सीधे मतदाताओं के जीवन को प्रभावित करते हैं. दिल्ली में एक बहुत बड़ी आबादी कमाने खाने वाली है. इस आबादी को केजरीवाल की सरकार की तरफ से डायरेक्ट लाभ पहुंचाया गया है.  आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे का जमकर प्रचार भी किया है.  आप की जीत में इस फैक्टर की बड़ी भूमिका रही है. 

कांग्रेस के वोट बैंक का आप की तरफ स्विंग होना
दिल्ली में विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अल्पसंख्यक वोट बैंक का पूरा साथ मिलता रहा है. कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक में तेजी से गिरावट आयी है. हर चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत कम होता गया है. लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहता रहा है लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वोटर्स आप की तरफ शिफ्ट हो जाते हैं. 

मुफ्त योजनाओं ने आप को मजबूत बनाया
AAP की “मुफ्त बिजली, पानी, और महिला सुरक्षा के लिए बसों में मुफ्त यात्रा” जैसी योजनाओं ने एक बड़ा वोट बैंक तैयार किया है. बीजेपी इन योजनाओं का मुकाबला करने के लिए कोई ठोस वैकल्पिक रणनीति नहीं दे पाई है. चुनाव से ठीक पहले बीजेपी की तरफ से भी आम आदमी के ही मॉडल पर घोषणा की जाती है जिसका गलत संदेश जनता के बीच जाता रहा है. 

बीजेपी के पास नेतृत्व का अभाव है अहम फैक्टर
बीजेपी दिल्ली चुनावों में अक्सर केंद्रीय नेताओं और राष्ट्रीय स्टार प्रचारकों पर निर्भर रहती है. हालांकि ये नेता जनसभाओं में भीड़ खींचते हैं, लेकिन उनके पास स्थानीय स्तर पर AAP जैसी मजबूत रणनीति नहीं होती है. संगठन के स्तर पर भी बीजेपी आम आदमी पार्टी की तुलना में कमजोर रही है. बीजेपी के पास स्थानीय स्तर पर कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल को चुनौती दे सके. 

बीजेपी के वोटर्स में आप की सेंध
लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में दिल्ली के वोटर्स आप की तरफ शिफ्ट हो जाते हैं. बीजेपी का परंपरागत वोट बेस आमतौर पर शहरी हिंदू मध्य वर्ग और उच्च वर्ग है. लेकिन यह वर्ग दिल्ली चुनावों में बहुत बड़ा नहीं है, खासकर निम्न आय वर्ग और अल्पसंख्यकों की तुलना में. मोहल्ला क्लीनिक, सरकारी स्कूलों में सुधार, और बिजली-पानी की योजनाओं ने एक ऐसी छवि बनाई है कि AAP “काम करने वाली सरकार” है. बीजेपी इस तरह का जमीनी नेटवर्क तैयार करने में पीछे रह जाती है. 

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