दिल्ली में पेड़ काटे जाने का मामला : SC ने कहा – एफिडेविट फाइल करें LG, मांगा 5 सवालों का जवाब​

 दिल्‍ली के रिज इलाके में पेड़ों की कटाई मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्‍त रुख अपनाया है. इसे लेकर अदालत ने उपराज्‍यपाल से डीडीए चेयरमैन के नाते हलफनामा मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दक्षिणी दिल्‍ली के रिज इलाके में बिना अनुमति के पेड़ काटने के मामले में सख्‍त रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल वीके सक्‍सेना से व्‍यक्तिगत हलफनामा मांगा है. उपराज्‍यपाल से डीडीए चेयरमैन के नाते यह हलफनामा मांगा गया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्‍यपाल से पांच सवालों का जवाब भी मांगा है. इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 22 अक्तूबर को होगी. 

इन पांच सवालों पर मांगा जवाब

1.  क्या डीडीए चेयरमैन द्वारा 3 फरवरी को साइट विजिट के दौरान ये बताया गया कि पेड़ों को गिराने के लिए इस अदालत से किसी अनुमति की आवश्यकता होगी?
2. यदि उपरोक्त का उत्तर सकारात्मक है तो इसे संबोधित करने के लिए क्या कदम उठाए गए? 
3. यदि उत्तर नकारात्मक है तो डीडीए चेयरमैन को इस तथ्य से कब अवगत कराया गया कि पेड़ों की कटाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति की आवश्यकता है?
4. इसके अलावा यदि कटाई से होने वाले पारिस्थितिक नुकसान के लिए उपचार और बहाली के लिए कोई कदम उठाए गए हैं, तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
5. जानबूझकर इस तथ्य को छिपाने वाले अफसरों पर क्या कार्रवाई की गई है?

इस मामले में CJI ने कहा कि कार्रवाई करने से पहले हम चाहते हैं कि डीडीए इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे. साथ ही उन्‍होंने कहा कि बहाली और लकड़ी के साथ क्या किया गया. इसकी जानकारी भी दी जाए. 

उपराज्‍यपाल से पूछे यह सवाल

साथ ही कहा कि डीडीए अध्यक्ष को अपने अधिकार का इस्तेमाल करने दें. साथ ही उन्‍होंने उपराज्‍यपाल से कुछ सवाल पूछे हैं- 

– उपराज्‍यपाल बताएं कि क्या पेड़ों को काटने की अनुमति के बारे में चर्चा के बारे में कोई जानकारी थी? 
– उन्हें कब बताया गया कि अनुमति की आवश्यकता है?
– क्या एलजी को यह जानकारी नहीं थी कि पेड़ों को सुप्रीम कोर्ट में अनुमति के लिए आवेदन दायर किए जाने से पहले ही काटा जा चुका था?
– उपचारात्मक उपायों के रूप में क्या कदम उठाए गए?
– चूंकि रिज की प्राचीन प्रकृति को संरक्षित करने के लिए आदेश था, इसलिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?
– क्या उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई और क्या डीडीए अध्यक्ष के अनुसार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी?
– क्या न्यायालय के बाध्यकारी निर्देशों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाएगा?

अधिकारियों की चूकों पर ध्‍यान दें : CJI

इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि हम उम्मीद करेंगे कि इस न्यायालय के आदेशों की प्रतीक्षा किए बिना ऐसी कार्रवाई की जाए. इस न्यायालय के समक्ष जानबूझकर इस तथ्य को दबाने के लिए अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए गए कि 4 मार्च को आदेश दिए जाने के समय बिना सूचना के आवेदन दायर किए जाने से पहले पेड़ों को काटा गया था. LG हलफनामा दाखिल करते समय सभी अधिकारियों द्वारा की गई सभी चूकों पर ध्यान दें. 

सुनवाई के दौरान उपराज्‍यपाल की ओर से महेश जेठमलानी ने कहा कि रिज और नॉन रिज पेड़ों के लिए तीन वैधानिक अनुमतियां लंबित थीं. दो प्राप्त हुईं और 15 फरवरी को वृक्ष अधिकारी ने भी एक राय दी, जिसे गलत समझा गया और फिर सुप्रीम कोर्ट में मामला गया. वृक्ष अधिकारी का पत्र स्पष्ट रूप से नहीं था कि आप पेड़ काट सकते हैं, लेकिन इसमें अनुमति की बात कही गई है. उन्‍होंने कहा कि इसमें उपराज्‍यपाल कैसे शामिल हो सकते हैं? साथ ही कहा कि वह अंतिम अधिकारी नहीं हैं. उन्होंने केवल 3 फरवरी को कहा कि कृपया इस प्रक्रिया को तेज करें. 

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