Delhi Air Pollution : धान की कटाई के बाद रबी की फसलों, विशेषकर गेहूं की बुवाई के लिए बहुत कम समय होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए फसल अवशेषों को जल्दी से जल्दी साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं. किसानों का पराली जलाना में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का एक कारण माना जाता है.
नवंबर का महीना लगभग आधा बीत चुका है, लेकिन शहर की आबोहवा लगातार जहरीली होती जा रही है. अब हालात ये है कि देश की राजधानी लोगों के लिए गैस चेंबर बन चुकी है. यहां कि हवा में सांस लेना लोगों को भारी पड़ रहा है. दिल्ली की हवा कितनी प्रदूषित हो चुकी है इसका अंदाजा इससे लगा लीजिए कि आज लगातार पांचवें दिन दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया. आज सुबह दिल्ली का औसत एक्यूआई 429 पर पहुंच गया. गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्ता स्वस्थ व्यक्तियों के लिए खतरा पैदा करती है और मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त लोगों पर इसका और अधिक असर होता है.
शुक्रवार को जीआरएपी के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंध लागू होने के बाद अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. ट्रैफिक पुलिस, परिवहन विभाग एवं अन्य की टीम भी उल्लंघन करने वालो को दंडित रही हैं. ट्रैफिक पुलिस ने शुक्रवार को बीएस 3 पेट्रोल और बीएस 4 डीजल वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध के उल्लंघन के लिए लगभग 550 चालान जारी किए, और जीआरएपी के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंधों के पहले दिन एक करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया.
(ग्रैप) के तीसरे चरण के के तहत प्रदूषण रोकने की कोशिश के बीच पहले दिन प्रशासन ने करीब 5.85 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया एवं अपनी कार्रवाई तेज कर दी.
खराब श्रेणी में दिल्ली का AQI
दिल्ली में कैसे खराब हो रही हवा
दिल्ली में एयर क्वालिटी लगातार कई दिनों तक ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही. इसके बाद हालात और खराब होते चले गए. जिसके बाद एक्यूआई लगातार 400 पार पहुंच चुका है. शहर में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ रहा. दिल्ली में 30 अक्टूबर को एक्यूआई 307 दर्ज किया गया था. शून्य से 50 की श्रेणी को ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बहुत खराब’ और 401-500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है.
खराब होती हवा पर सियासत
शनिवार को कश्मीरी गेट अंतरराज्यीय बस टर्मिनल पर बसों के निरीक्षण के दौरान दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाया कि बीजेपी शासित पड़ोसी राज्य प्रतिबंध के बावजूद बीएस-4 डीजल बसें भेजकर राजधानी में वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं. हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों की ओर इशारा करते हुए राय ने कहा, ‘बीजेपी सरकारें जानबूझकर दिल्ली में डीजल से चलने बसें भेज रही हैं, जो वर्तमान दिशानिर्देशों के तहत प्रतिबंधित है, जिससे वायु प्रदूषण और खराब हो रहा है.’
प्रदूषण से निपटने के प्रयासों के तहत राय ने घोषणा की कि प्रतिबंध का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने के लिए परिवहन विभाग की कुल 84 प्रवर्तन टीमें और यातायात पुलिस की 280 टीमें तैनात की गई हैं. दिल्ली में वायु प्रदूषण के ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने के बाद सरकार ने ई-बस और सीएनजी से चलने वाली बस को छोड़कर अंतरराज्यीय बसों के यहां प्रवेश पर शुक्रवार को प्रतिबंध लगा दिया. इसके अलावा बीएस 3 पेट्रोल, बीएस 4 डीजल चार पहिया वाहनों पर भी रोक लगा दी गई है और उल्लंघन करने पर 20,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.
पीएम 10 के जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले को क्या खतरा
अमेरिका में हुई एक रिसर्च के अनुसार, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 के बढ़ते जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आंखों में संक्रमण होने का खतरा दोगुना हो सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो एंशुट्ज मेडिकल कैंपस के रिसर्चर्स ने दिखाया कि वायु प्रदूषण से उत्पन्न एंबिएंट पार्टिकल्स (छोटे कण) से आंख संबंधी समस्याओं से पीड़ित रोगियों की चिकित्सीय विजिट दोगुनी से भी अधिक हो गई. ओकुलर सरफेस डिजीज आंख की सतह पर होने वाला एक रोग है, जो कॉर्निया, कंजंक्टिवा और पलकों सहित आंख की सतह को प्रभावित करता है.
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