Delhi Pollution: पिछले कुछ दिनों से दिल्ली की हवा लगातार जहरीली बनी हुई है. बच्चे और बुजुर्गों पर वायु प्रदूषण का बुरा असर पड़ रहा है. राजधानी में आज भी प्रदूषण का स्तर अधिक दर्ज किया गया है. कई इलाकों में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में दर्ज हुआ.
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. आज सुबह छह बजे कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 से ऊपर दर्ज किया गया. इनमें आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, मुंडका, जहांगीरपुरी, वजीरपुर, पंजाबी बाग, रोहिणी, सोनिया विहार और पटपड़गंज शामिल हैं. पड़ोसी गाजियाबाद और गुरुग्राम में भी एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया. आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार शहर के कई इलाकों में हल्का कोहरा छाए रहने तथा मौसम गर्म रहने का अनुमान है. वहीं रविवार तक दिल्ली की हवा में सुधार होने की कोई उम्मीद नहीं है.
खराब श्रेणी में दिल्ली का AQI
दिल्ली के इलाके का नाम
AQI @ 6.00AM
कौन सा ‘जहर’
कितना औसतमुंडका428PM 10 लेवल हाई408वजीरपुर434PM 10 लेवल हाई427जहांगीरपुरी439PM 10 लेवल हाई422आरके पुरम405PM 2.5 का लेवल हाई405ओखला397PM 2.5 लेवल हाई397बवाना441PM 2.5 का लेवल हाई441विवेक विहार414PM 2.5 लेवल हाई414नरेला404PM 2.5 लेवल हाई404अशोक विहार420PM 2.5 का लेवल हाई420द्वारका391PM 2.5 लेवल हाई391पंजाबी बाग405PM 2.5 का लेवल हाई405रोहिणी440PM 2.5 लेवल हाई440
केंद्र ने पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना किया
केंद्र सरकार ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर फसल अवशेष जलाने वाले किसानों के लिए जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी है. पांच एकड़ से अधिक कृषि भूमि वाले किसानों के लिए पराली जलाने पर अब जुर्माना राशि 30,000 रुपये तक हो गई है.अधिसूचना के अनुसार, दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को अब पराली जलाने पर 2,500 रुपये की जगह 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा. वहीं दो से पांच एकड़ के बीच भूमि वाले किसानों पर 5,000 रुपये के बजाय 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
वहीं दिल्ली सरकार अत्यधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में धूल प्रदूषण से निपटने के साथ-साथ प्रमुख प्रदूषकों से संबंधित डेटा एकत्र करने के लिए तीन ‘मिस्ट स्प्रे ड्रोन’ किराये पर लेने जा रही है. अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इन ड्रोन को 13 चिन्हित प्रदूषण स्थलों पर पानी का छिड़काव करने तथा वायु की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
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