उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने कोलकाता रेप-मर्डर मामले (Kolkata Rape-Murder Case) को लेकर कहा कि ऐसे घटनाओं से हमारा दिल घायल है, हमारी अंतरात्मा रो रही है और जवाबदेही की मांग कर रही है. साथ ही उन्होंने कपिल सिब्बल पर निशाना साधा.
कोलकाता रेप और मर्डर की वारदात (Kolkata Rape-Murder Case) को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य बताया है. 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई घटना को उन्होंने चरम क्रूरता करार दिया. AIIMS ऋषिकेश में उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे क्रूर कृत्य पूरी सभ्यता को शर्मिंदा करते हैं और भारत के आदर्शों को तहस-नहस कर देते हैं. उन्होंने इस घटना के संदर्भ में ‘लक्षणात्मक विकृति’ शब्द के उपयोग पर अफसोस जताते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियां हमारे दर्द को और बढ़ाती हैं और हमारी घायल अंतरात्मा पर नमक छिड़कती हैं.
उन्होंने कहा, “जब मानवता को शर्मिंदा किया जाता है, तो कुछ आवाजें होती हैं, जो चिंता का कारण बनती हैं. वे केवल हमारे दर्द को और बढ़ाती हैं. सीधे शब्दों में कहें तो वे हमारी घायल अंतरात्मा पर नमक छिड़क रही हैं. जब यह बातें संसद के सदस्य, वरिष्ठ वकील से आती हैं तो यह अत्यधिक दोषपूर्ण होती हैं. ऐसे भयंकर विचारों के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता. मैं ऐसी गलतफहमी में पड़े लोगों से पुनः विचार करने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का आह्वान करता हूं. यह एक ऐसा अवसर नहीं है, जहां आप राजनीतिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं. यह राजनीतिक दृष्टिकोण खतरनाक होता है, यह आपकी वस्तुनिष्ठता को मारता है.”
उनका निशाना वरिष्ठ वकील और सांसद कपिल सिब्बल की ओर था. उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के उस कथित प्रस्ताव पर अध्यक्ष कपिल सिब्बल की आलोचना की कि दुखद घटना एक ‘लक्षणात्मक विकृति’ थी और इससे पता चल रहा था कि ऐसी घटनाएं आम बात हैं.
मुझे अपनी जिम्मेदारी दिखानी होगी : उपराष्ट्रपति
धनखड़ ने कहा, “संवैधानिक पद पर होने के नाते मुझे अपनी जिम्मेदारी दिखानी होगी. मुझे उपराष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष के रूप में जो पद है, उसकी पुष्टि करनी होगी.” उन्होंने कहा , “ऐसे घटनाओं से हमारा दिल घायल है, हमारी अंतरात्मा रो रही है और जवाबदेही की मांग कर रही है.”
स्वास्थ्य पेशेवरों के काम को ‘निष्काम सेवा’ बताते हुए उपराष्ट्रपति ने डॉक्टरों के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा की निंदा की. उपराष्ट्रपति ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और ऐसा तंत्र बनाने पर जोर दिया, जिसमें हेल्थ वॉरियर्स को पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सके.
साथ ही धनखड़ ने कहा, “कुछ एनजीओ एक घटना पर चुप्पी साध लेते हैं. हमें उनसे सवाल करना चाहिए. उनकी चुप्पी इस घिनौनी अपराध के अपराधियों की दोषपूर्णता से भी बदतर है. जो लोग राजनीति खेलना और राजनीतिक अंक जुटाना चाहते हैं, वे अपनी अंतरात्मा की पुकार का जवाब नहीं दे रहे.”
अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता समाज : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा, “जो कुछ भी हुआ, वह जवाबदेही के दायरे में आएगा, लेकिन समाज भी जिम्मेदार है. समाज अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता. मैं इसे सरकार या राजनीतिक पार्टियों का मामला नहीं बनाना चाहता. यह समाज का मामला है, यह हमारे अस्तित्व की चुनौती है. इसने हमारे अस्तित्व की नींव को हिला दिया है. इसने भारत के आदर्शों पर सवाल किया है जो हजारों वर्षों से कायम हैं.”
साथ ही कहा, “यह अवसर राजनीतिक अंक जुटाने का नहीं है. यह गैर-पार्टी है. इसमें द्विदलीय प्रयास की आवश्यकता है. सभी हितधारकों के मिलकर एक मंच पर आने की आवश्यकता है.”
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