Nitish Kumar Pragati Yatra: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार साल 2005 के बाद से लगातार सीएम बने हुए हैं. क्या है इसका राज यहां जानिए…
Nitish Kumar Pragati Yatra: 19 साल में 15 यात्राएं . किसी मुख्यमंत्री के लिए ये देश में शायद एक रिकॉर्ड ही होगा. 2005 से सत्ता पर काबिज हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब तक 14 यात्राओं पर जा चुके हैं और अभी वो अपनी पंद्रहवीं यात्रा यानी प्रगति यात्रा पर निकले हुए हैं. क्या है नीतीश कुमार की इन यात्राओं के पीछे की सोच? क्या इसका कोई राजनीतिक फायदा भी मिलता है?
क्या रहा मकसद?
राजनीतिक यात्रा और नीतीश कुमार दोनों में काफी अटूट संबंध हैं. 2005 से सत्ता पर काबिज हुए नीतीश कुमार अब तक अलग-अलग नामों से बिहार में 14 यात्राएं कर चुके हैं और 15वीं जारी है. कभी न्याय दिलाने को लेकर तो कभी विकास को लेकर. कभी जनता को धन्यवाद देने के लिए तो कभी विश्वास जगाने के लिए और कभी निश्चय यात्रा के नाम पर. मकसद होता है लोगों से सीधा संवाद. ज़मीन पर विकास की योजनाओं की हकीकत को समझना और लोगों का फीडबैक लेना और फिर योजनाएं बनाने में आगे उपयोग में लाना.
कब-कब निकाले यात्रा पर
नीतीश कुमार ने पहली यात्रा जुलाई 2005 को न्याय यात्रा के नाम से शुरू की थी.लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने जनवरी 2009 को विकास यात्रा निकाली. लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद जून 2009 से धन्यवाद यात्रा शुरू की. दिसंबर 2009 को प्रवास यात्रा निकाली, जिसमें वो जिले में जाकर प्रवास करते थे.2010 के विधानसभा चुनाव में जाने से पहले अप्रैल 2010 से विश्वास यात्रा निकाली.विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद 2011 के अंत में सेवा यात्रा निकाली.सितंबर 2012 से बिहार को विशेष राज्य की दर्जा की मांग को लेकर नीतीश कुमार अधिकार यात्रा पर निकले.2014 के लोकसभा चुनाव से पहले संकल्प यात्रा की शुरुआत की.नवंबर 2014 से संपर्क यात्रा की शुरुआत की.2015 में सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने 7 निश्चय को लागू किया.इसी का फीडबैक लेने के लिए नवंबर 2016 से निश्चय यात्रा पर निकले.दिसंबर 2017 से समीक्षा यात्रा शुरू की, इसमें विकास कार्यों की समीक्षा की. दिसंबर 2019 को जल-जीवन-हरियाली यात्रा निकाली. दिसंबर 2021 को नीतीश समाज सुधार यात्रा पर निकले.इस लोकसभा चुनाव से पहले 28 जनवरी 2023 से समाधान यात्रा पर निकले. अब 2025 विधानसभा से पहले वो प्रगति यात्रा पर निकल चुके हैं.
हालांकि, समय-समय पर विपक्ष इन यात्राओं की आलोचना करता रहा है. खासकर खर्च ज्यादा होने के नाम पर, लेकिन इस बार खुद तेज़स्वी यादव भी अपने आपको नहीं रोक पाए और खुद भी निकल गए हैं जन संपर्क यात्रा करने. यानी बिहार में सत्ता हो या विपक्ष यात्रा करने से कोई भी खुद को नहीं रोक पा रहा.
NDTV India – Latest
More Stories
भारत की ऊंची छलांग, औद्योगिक विकास दर नवंबर में 6 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंची
अरविंद केजरीवाल ने CEC को लिखी चिट्ठी, परवेश वर्मा को अयोग्य घोषित करने की मांग
10 घंटे में भी दुनिया बदल सकते हैं : काम के घंटे को लेकर छिड़ी बहस के बीच बोले आनंद महिंद्रा