पति की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी. रमेश की पीठ ने यह फैसला सुनाया. पति की तलाक की अर्जी निचली अदालत ने खारिज कर दी थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि पत्नी का पर्दा नहीं करना क्रूरता नहीं हो सकती और इस तरह से यह तलाक के लिए आधार नहीं हो सकता. हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस आधार पर तलाक मंजूर कर ली कि पति और पत्नी 23 साल से अधिक समय से अलग अलग रह रहे हैं.
पति की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी. रमेश की पीठ ने यह फैसला सुनाया. पति की तलाक की अर्जी निचली अदालत ने खारिज कर दी थी.
अपीलकर्ता ने तलाक के लिए दो आधार रखे थे जिसमें से पहला आधार यह था कि उसकी पत्नी स्वतंत्र विचारों वाली है और अपनी मनमर्जी से बाजार एवं दूसरी जगहों पर चली जाती है एवं पर्दा नहीं करती है. दूसरा आधार था कि वह लंबे समय से उससे दूर है. इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, दोनों की शादी 26 फरवरी, 1990 को हुई और गौना चार दिसंबर, 1992 को हुआ जिसके बाद दो दिसंबर, 1995 को उन्हें एक बेटा हुआ. पति-पत्नी कभी कभार ही साथ रहते थे.
पत्नी द्वारा स्वीकार किया गया कि वह 23 साल से अधिक समय से पति के साथ नहीं रही और उनका इकलौता बेटा अब बालिग हो गया है. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील स्वीकार करते हुए कहा, “अपीलकर्ता अपनी पत्नी द्वारा मानसिक क्रूरता का दावा कर सकता है क्योंकि उसकी पत्नी बहुत लंबे समय से अलग रही.”
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