पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव से भारत का इजरायल और ईरान के साथ द्विपक्षीय व्यापार संकट में​

 इजरायल (Israel) पर ईरानी हमले के बाद पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और युद्ध जैसे माहौल का असर भारत के आर्थिक हितों पर गहराता जा रहा है. दरअसल पश्चिम एशिया में लम्बे समय से तनाव बना हुआ है. इसकी वजह से भारत के इजरायल और ईरान (Iran) के साथ द्विपक्षीय व्यापार घटता जा रहा है. अब इस ताजा संकट की वजह से भारत के इजरायल और ईरान के बीच आर्थिक सम्बंध कमजोर होने की आशंका है. उधर गुरुवार को कच्चा तेल कुछ और महंगा हो गया. इसकी वजह से भारत का ऑयल इम्पोर्ट बिल 9 से 10 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की आशंका बढ़ रही है.

इजरायल (Israel) पर ईरानी हमले के बाद पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और युद्ध जैसे माहौल का असर भारत के आर्थिक हितों पर गहराता जा रहा है. दरअसल पश्चिम एशिया में लम्बे समय से तनाव बना हुआ है. इसकी वजह से भारत के इजरायल और ईरान (Iran) के साथ द्विपक्षीय व्यापार घटता जा रहा है. अब इस ताजा संकट की वजह से भारत के इजरायल और ईरान के बीच आर्थिक सम्बंध कमजोर होने की आशंका है. उधर गुरुवार को कच्चा तेल कुछ और महंगा हो गया. इसकी वजह से भारत का ऑयल इम्पोर्ट बिल 9 से 10 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की आशंका बढ़ रही है.

इजरायल पर ईरान के बड़े मिसाइल हमले और इजरायल द्वारा लेबनान में सैन्य कार्रवाई की वजह से पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव का असर ग्लोबल ट्रेड और अर्थव्यवस्था पर गहराता जा रहा है. यह संकट ऐसे समय पर खड़ा हुआ है जब पश्चिम एशिया में लम्बे समय से जारी अनिश्चितता की वजह से भारत-इजरायल और भारत-ईरान के बीच द्विपक्षीय व्यापार पहले से ही कमजोर पड़ चुका है.  

देश के बड़े एक्सपोर्टरों की संस्था फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने गुरुवार को एनडीटीवी से कहा कि, इन दोनों देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार पिछले करीब एक साल में 6 से 7 बिलियन डॉलर तक घट गया है.

जाहिर है, इस ताजा संकट का असर शार्ट टर्म और मीडियम टर्म दोनों पर पड़ना तय है. भारत एशिया में इजरायल का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और विश्व स्तर पर सातवां सबसे बड़ा भागीदार है. वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में द्विपक्षीय व्यापार 6.53 बिलियन अमेरिकी डॉलर (रक्षा को छोड़कर) था, जिसमें भारत का निर्यात 4.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर और इजरायल का निर्यात 2.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. लेकिन इस वित्तीय साल के पहले चार महीने में सिर्फ 600 मिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार ही हो पाया है. वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 10 महीनों में भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय व्यापार सिर्फ 1.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक सीमित रह गया.

अजय सहाय ने एनडीटीवी से कहा, “रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ने से पूरे ग्लोबल ट्रेड और ग्लोबल अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है. पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से भारत और इजरायल के साथ-साथ भारत और ईरान के बीच आर्थिक संबंधों पर बुरा असर पड़ा है और द्विपक्षीय व्यापार काफी घट गया है. पिछले एक साल में भारत- इजरायल और भारत-ईरान के बीच द्विपक्षीय व्यापार कुल मिलाकर 6 से 7 बिलियन डॉलर तक घट गया है. लाल सागर रूट असुरक्षित होने से ट्रेड रूट का खर्चा बढ़ गया है. एक्सपोर्ट की सप्लाई चैन भी बढ़ते तनाव की वजह से बाधित हुई है. इजरायल से हम डायमंड इम्पोर्ट करते हैं और जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट करते हैं. इजरायल के साथ हमारे डिफेंस, नॉन-डिफेंस सेक्टर में वेल्यू एडेड मशीनरी सेगमेंट प्रभावित हो सकता है.”

उधर महंगा होता कच्चा तेल भारत के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. एक अक्टूबर को इजरायल पर ईरान के हमले से पहले अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल फ्यूचर्स की कीमत 70.78 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल थी.
तीन अक्टूबर को ट्रेंडिंग के दौरान ब्रेंट क्रूड ऑयल फ्यूचर्स की कीमत एक समय बढ़कर 77.58 डॉलर/बैरल तक पहुंच गई थी. पिछले दो दिनों में कच्चा तेल 6 से 7 डॉलर प्रति बैरल तक महंगा हुआ है. भारत अपनी जरूरत का 80% से 85% तक कच्चे तेल का आयात करता है.

अजय सहाय ने कहा, “रूस-यूक्रेन वार के बाद अब ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ने से पूरे ग्लोबल ट्रेड और ग्लोबल अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है. कच्चा तेल महंगा हो रहा है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में एनएनजी की कीमतें भी बढ़ने लगी हैं. हमारा 45% तेल पश्चिम एशिया से आता है और कतर से 50 फीसदी एलएनजी अपनी जरूरत का भारत आयात करता है.”

जाहिर है आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां बढ़ रही हैं और भारत सरकार को इसके असर से निपटने की तैयारी जल्दी शुरू करनी होगी.

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