January 5, 2025
पाकिस्तान को आगे बढ़ना है तो आतंकवाद से निपटना होगा : भारत की दो टूक

पाकिस्तान को आगे बढ़ना है तो आतंकवाद से निपटना होगा : भारत की दो टूक​

पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एकतरफा नहीं हो सकता कि हम सब कुछ करेंगे. यदि भारत की ओर से सद्भावना है, तो हम तैयार हैं. लेकिन प्रयास दोनों तरफ से होने चाहिए.’’

पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एकतरफा नहीं हो सकता कि हम सब कुछ करेंगे. यदि भारत की ओर से सद्भावना है, तो हम तैयार हैं. लेकिन प्रयास दोनों तरफ से होने चाहिए.’’

भारत ने आतंकवाद का इस्तेमाल औजार के रूप में करने की पाकिस्तान की नीति को उजागर करते हुए शुक्रवार को कहा कि इस्लामाबाद को दोनों पक्षों के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए आतंकवाद के मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटना होगा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने यह टिप्पणी पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार के उस बयान के बारे में पूछे जाने पर की, जिसमें उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार को फिर से शुरू करने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता बताई थी. डार ने कहा कि भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए आपसी इच्छाशक्ति की जरूरत है.

डार ने बृहस्पतिवार को इस्लामाबाद में विदेश कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए पिछले साल पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान के कूटनीतिक प्रयासों पर प्रकाश डाला.

डार से भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने संयुक्त रूप से प्रयास किए जाने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है.

डार की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर जायसवाल ने यहां प्रेस वार्ता में कहा कि ‘टी’ शब्द का प्रासंगिक मतलब आतंकवाद (टेररिज्म) है. डार पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी हैं.

पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एकतरफा नहीं हो सकता कि हम सब कुछ करेंगे. यदि भारत की ओर से सद्भावना है, तो हम तैयार हैं. लेकिन प्रयास दोनों तरफ से होने चाहिए.”

पुलवामा आतंकवादी हमले के जवाब में फरवरी 2019 में भारत के युद्धक विमानों द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर बमबारी करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे.

हालांकि, भारत-पाकिस्तान संबंधों में कुछ सकारात्मक रुख के संकेत मिले थे, जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अक्टूबर में इस्लामाबाद की यात्रा की थी.

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