उत्तरी सागर में सोमवार, 10 मार्च को जेट फ्यूल ले जा रहे एक तेल टैंकर और अत्यधिक जहरीले केमिकल को ले जा रहे एक मालवाहक जहाज में टक्कर हो गई.
उत्तरी सागर में सोमवार, 10 मार्च को जेट फ्यूल ले जा रहे एक तेल के टैंकर और अत्यधिक जहरीले केमिकल को ले जा रहे एक मालवाहक जहाज में टक्कर हो गई. हादसा इतना खतरनाक था कि आग की लपटें और धुएं का गुबार कई किलोमीटर दूर तक नजर आया. रिपोर्ट लिखे जाने तक भी आग की लपटों पर काबू नहीं पाया जा सका. ब्रिटेन के तट पर हुए इस हादसे की जद में जो जेट फ्यूल टैंकर आया है, वह दरअसल अमेरिकी सेना का है.
इसमें 30 से अधिक लोग घायल हो गए. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार एचएम कोस्टगार्ड ने कहा कि चालक दल का एक सदस्य अभी भी लापता है.
चलिए समझते हैं कि अब तक सामने आई जानकारी के अनुसार यह हादसा कैसे हुआ? क्या यह सिर्फ एक मानवीय भूल थी? क्या उत्तरी सागर में ऐसे हादसे होते रहते हैं?
अमेरिका का टैंकर खड़ा था और उधर से……
शुरू से शुरू करते हैं. ऑयल टैंकर का नाम स्टेना इमैक्युलेट है जो अमेरिका में रजिस्टर्ड है. यह टैंकर अमेरिकी सेना के लिए जेट फ्यूल यानी ईंधन का परिवहन कर रहा था. इस टैंकर में जिस मालवाहक जहाज ने टक्कर मारी है वह पुर्तगाली का है, जिसका नाम सोलोंग है.

मरीनट्रैफिक के अनुसार, टैंकर स्टेना इमैक्युलेट ग्रीक के एगियोई थियोडोरोई बंदरगाह से आई थी और हंबर मुहाना (एस्टुअरी) के पास उसने लंगर डाल रखा था. वहीं सोलोंग जहाज स्कॉटलैंड के ग्रेंजमाउथ बंदरगाह से नीदरलैंड में रॉटरडैम तक के लिए निकला था.
अब समझते हैं कि यह टक्कर कैसे हुई?
AFP की रिपोर्ट के अनुसार टैंकर का मैनेजमेंट देखने वाली अमेरिकी शिपिंग फर्म क्रॉली मैरीटाइम ने बताया है कि टैंकर स्टेना इमैक्युलेट पूर्वी इंग्लैंड के हल बंदरगाह से लगभग 16 किलोमीटर दूर लंगर में था. इसे “कंटेनर जहाज सोलोंग ने टक्कर मार दी” और अलार्म 0948 GMT (भारत में सोमवार दोपहर 3.18 बजे) पर बज गया.
टक्कर के साथ ही भीषण आग भड़क उठी और दोनों, कंटेनर और जहाज को अपनी चपेट में ले लिया. टैंकर का चालक दल कई विस्फोटों के बाद जान बचाने के लिए पानी में कूद गया. लगभग 32 लोगों को तीन जहाजों की मदद से बाहर लाया गया. टैंकर की मालिक स्वीडिश कंपनी स्टेना बल्क ने कहा कि जहाज पर सवार सभी चालक दल जीवित हैं.
वहीं सोलोंग जहाज के जर्मन स्थित मालिक अर्न्स्ट रस के एक बयान में कहा गया है कि सोलोंग के 14 चालक दल के सदस्यों में से 13 को किनारे पर लाया गया है और लापता चालक दल के सदस्य का पता लगाने के प्रयास “जारी हैं”.
क्या मानवीय भूल?
मरीन एक्सीडेंट इंवेटिगेशन ब्रांच ने कहा कि जांच टीम ने सबूत इकट्ठा करना शुरू कर दिया है. अपने अगले कदम निर्धारित करने के लिए कड़ियां जोड़ी जा रही हैं. AFP की रिपोर्ट के अनुसार मैरीटाइम रिस्क एंड सेफ्टी कंसल्टेंसी के डेविड मैकफर्लेन ने कहा कि दुनिया भर में हर साल 200 से 300 जहाज टकराते हैं, लेकिन ज्यादातर बंदरगाह में “मामूली टक्कर” होती है.
“टक्कर से जुड़े नियम… बताते हैं कि सभी जहाजों को हर समय उचित निगरानी रखनी चाहिए. और स्पष्ट रूप से इस मामले में कुछ गलत हुआ है, क्योंकि अगर उचित निगरानी रखी गई होती, तो इस टक्कर से बचा जा सकता था.”
क्या ऐसे हादसे होते रहते है?
उत्तरी सागर में वैसे तो व्यस्त शिपिंग लेन हैं लेकिन यहां दुर्घटनाएं अपेक्षाकृत कम होती हैं.
- अक्टूबर 2023 में, दो मालवाहक जहाज, वेरिटी और पोलेसी, जर्मनी के हेलिगोलैंड द्वीप के पास टकरा गए. हादसे में तीन लोग मारे गए और दो अन्य लापता बताए गए.
- 6 अक्टूबर 2015 को, 125 टन डीजल और 427 टन ईंधन तेल ले जा रहा मालवाहक फ्लिंटरस्टार बेल्जियम तट से आठ किलोमीटर (पांच मील) दूर टैंकर अल ओरैक से टकराने के बाद डूब गया.
- जनवरी 1993 में उत्तरी सागर में एक बड़ा तेल रिसाव हुआ जब नॉर्वे से कनाडा जाते समय लाइबेरिया के टैंकर ब्रेयर का इंजन क्षतिग्रस्त हो गया. यह स्कॉटलैंड के शेटलैंड द्वीप समूह से घिरा हुआ था और 84,500 टन कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) लीक हो गया.
हादसे से क्या खतरे?
जेट फ्यूल का बॉइलिंग प्वाइंट (यानी जिस तापमान पर वो उबले और भाप बने) ज्यादा होता है. इसकी वजह से यह धीरे-धीरे ही भाप बनकर उड़ेगा. यह अपेक्षाकृत विषैला भी होता है, इसलिए इसके संपर्क में आने वाले समुद्री जीवन की मृत्यु हो सकती है.
वहीं सोलोंग जहाज सोडियम साइनाइड के 15 कंटेनर ले जा रहा था. सोडियम साइनाइड के कई कमर्शियल उपयोग हैं. इसके साथ खतरा है कि यह पानी में अत्यधिक घुलनशील है और जहरीला हो सकता है.
बीबीसी और AFP की रिपोर्ट के अनुसार यह स्पष्ट नहीं है कि सोलोंग जहाज से कोई सोडियम साइनाइड समुद्र में लीक हुआ है या नहीं.
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