CTI ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि ये मालूम होना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में किस जाति के लोगों की अहम भूमिका है. कौन सबसे अधिक टैक्स देते हैं और क्या सरकार उनके हितों को ध्यान में रखकर कोई नीति बनाती है.
देश में काफी दिनों से जातिगत जनगणना की मांग उठ रही है. इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार को अक्सर घेरते भी रहते हैं. अब दिल्ली के व्यापारिक संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने मांग की है कि जातिगत जनगणना अगर होती है, तो इसका भी आंकड़ा इकट्ठा किया जाए कि किस जाति के लोग सरकार को कितना टैक्स देते हैं. इसे लेकर सीटीआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. सीटीआई की तरफ से सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी इस बाबत पत्र भेजा जाएगा.
पीएम को CTI ने पत्र में क्या लिखा
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में CTI ने कहा है कि लोगों को पता होना चाहिए कि अर्थव्यवस्था में किस जाति के लोगों की अहम भूमिका है. कौन सबसे अधिक टैक्स देते हैं और क्या सरकार उनके हितों को ध्यान में रखकर कोई नीति बनाती है. इस पत्र में कहा गया है कि सरकार के पास इनकम टैक्स और जीएसटी संबंधी सभी तरह का डेटा है. लेकिन आज तक यह पता नहीं चल पाया कि कौन सी जाति सरकार को कितना राजस्व देती है.
बीमा, पेंशन, मेडिकल सुविधाओं की मांग की
इसके साथ ही लिखा कि जो भी जाति सबसे अधिक राजस्व देती है, उसके लिए भी नीतियां, बीमा, पेंशन, मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए. CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बयान जारी कर कहा है कि व्यापारिक संगठन होने के नाते हम ऐसी मांग कर रहे हैं क्योंकि ट्रेडर्स कम्युनिटी में इस पर जोरों की चर्चा चल रही है. हजारों व्यापारियों ने इस मांग पर सहमति जताई है.
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